1100 साल पुरानी विष्णु प्रतिमा पर क्या लिखा है, पढ़ना है मुश्किल
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1100 साल पुरानी विष्णु प्रतिमा पर क्या लिखा है, पढ़ना है मुश्किल

इतिहासकारों का मानना है कि विष्णुधाम सामस में भगवान विष्णु की अदभुत प्रतिमा करीब 11 सौ साल पुरानी है. जानकारों का कहना है कि मूर्ति पर जिस प्रकार की लिपि खुदी हुई है वो उत्तर भारत में नौवीं सदी के बाद मिलती है. प्रतिहार राजा महेंद्रपाल (891-907 ई.) के दिघवा-दुली दानपात्र में इस शैली की लिपि का प्रयोग पुराने समय में किया जाता था.

1100 साल पुरानी विष्णु प्रतिमा पर क्या लिखा है (फाइल फोटो)

Patna: बिहार की धरती ने राजनीति और समाज को पोषित करने में जितना योगदान दिया है, उससे कहीं बड़ा योगदान यहां की धरती ने धर्म और आस्था को जीवंत बनाए रखने में किया है. राज्य के कई धार्मिक स्थल इस बात के प्रत्यक्ष प्रमाण हैं. इन्हीं में एक है विष्णु धाम मंदिर. 1100 साल पहले की विरासत के संजोए हुए यह मंदिर बिहार के शेखपुरा जिले में सामस गांव में स्थित है. इस मंदिर में भगवान विष्णु के संपूर्ण चतुर्भुज स्वरूप सत्यनारायण की प्रतिमा स्थापित है. मंदिर की इस प्रतिमा को बहुत ही दिव्य माना जाता है.

काले पत्थर की है प्रतिमा
सामस गांव में 1992 को किसी निर्माण के लिए खुदाई का काम चल रहा था. अचानक मजदूरों की कुदाल किसी ठोस चीज से टकराई. आसपास और खुदाई की गई तो भगवान विष्णु की यह प्राचीन मूर्ति सामने आ गई. ग्रामीण नतमस्तक हो गए. भगवान विष्णु की ये मूर्ति काले पत्थर की खड़ी मुद्रा में हैं. इनके चार हाथों में शंख, चक्र, गदा तथा पद्मम भी सुशोभित हैं. मूर्ति की वेदी पर प्राचीन देवनागरी में लिपि में अभिलेख ‘ऊं उत्कीर्ण सूत्रधारसितदेव:’ भी खुदा हुआ है.  इस लिपि में आकार, इकार और ईकार की मात्रा विकसित हो गई है. ब्राह्मी लिपि में छोटी खड़ी लकीर के स्थान पर यह पूरी लकीर बन गई है. लकीर के रूप में क्या लिखा है, इसे पढ़ना संभव नहीं हो पाया है.

इस आधार पर सामने आई प्राचीनता
इतिहासकारों का मानना है कि विष्णुधाम सामस में भगवान विष्णु की अदभुत प्रतिमा करीब 11 सौ साल पुरानी है. जानकारों का कहना है कि मूर्ति पर जिस प्रकार की लिपि खुदी हुई है वो उत्तर भारत में नौवीं सदी के बाद मिलती है. प्रतिहार राजा महेंद्रपाल (891-907 ई.) के दिघवा-दुली दानपात्र में इस शैली की लिपि का प्रयोग पुराने समय में किया जाता था. इस अभिलेख में मूर्तिकार ‘सितदेव’का नाम भी लिखा हुआ है.

सामस गांव में मिली थी कई मूर्तियां
विष्णुमूर्ति के दांए और बांए दो और छोटी मूर्तियां हैं. हालांकि ये स्पष्ट रूप से पता नहीं है कि ये मूर्तियां शिव-पार्वती की हैं या शेषनाग और उनकी पत्नी की हैं. ये दुर्लभ मूर्ति जुलाई 1992 में तालाब में खुदाई के दौरान मिली थी. सामस गांव और उसके पास गांवों में खुदाई के दौरान बड़ी संख्या में मूर्तियां मिली थीं. जिसमें से कई सामस गांव के जगदम्बा मंदिर में ही रखी गई हैं. मूर्ति मिलने के बाद यहां विष्णु धाम मंदिर का निर्माण किया गया है. जिसमें दर्शन करने हर रोज श्रद्धालु आते हैं.

 

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