बिहार के जमुई में इतना गोल्ड कहां से आया, कैसे पता लगाते हैं कि जमीन में सोना है या नहीं ?
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बिहार के जमुई में इतना गोल्ड कहां से आया, कैसे पता लगाते हैं कि जमीन में सोना है या नहीं ?

जीएसआई की पुष्टि के अनुसार, देश का लगभग 44 प्रतिशत सोना जमुई जिले के सोनो में हो सकता है. यहां के अधिकतर ग्रामीण खेती नहीं कर सकते. 

जीपीआर प्रोसेस के जरिए मिट्टी की परत-दर-परत जांच होती है.

Jamui: Gold Reserve: बिहार को पूरे देश में अलग पहचान दिलवा रहे जमुई जिले और वहां मिले सोने के भंडार की चर्चा जोरों पर है. अब इसे खोजने की प्रक्रिया भी जल्द शुरू होगी. जमुई का करमटिया, सोनो प्रखंड के अंतर्गत आने वाला एक साधारण सा गांव है लेकिन यहां की धरती जल्द 'सोना' उगलेगी. लेकिन क्या आप जानते हैं कि बिहार के जमुई में इतना सोना कहां से आया. ये कैसे पता लगाया जाता है कि जमीन के नीचे सोना है या नहीं ? 

इतिहास पर डालिए नजर 
जीएसआई की पुष्टि के अनुसार, देश का लगभग 44 प्रतिशत सोना जमुई जिले के सोनो में हो सकता है. यहां के अधिकतर ग्रामीण खेती नहीं कर सकते. दरअसल, यहां के इतिहास की बात करें तो साल 1982 में सरकार द्वारा इसे अपना अधिकार में लेकर सुरक्षित क्षेत्र घोषित कर दिया गया. जिसके बाद कई जगहों पर जांच हेतु खुदाई हुई और खुदाई के चलते ज्यादातर इलाके आज भी वीरान पड़े हैं. 

कैसे पता चलता है, जमीन में सोना है या नहीं ? 
जमीन के नीचे क्या है, इसका पता लगाने के लिए मुख्य तौर पर दो तकनीकें उपयोग में लाई जाती हैं,  एक जीपीआर यानी ग्राउंड पेनीट्रेटिंग रडार तकनीक और दूसरी वीएलएफ टेक्नोलॉजी यानी Very Low Frequency तकनीक.

जीपीआर प्रोसेस के जरिए मिट्टी की परत-दर-परत जांच होती है. नीचे क्या है इसकी सटीक जानकारी निकाली जाती है. जीपीआर मिट्टी के भौतिक गुणों जैसे घनत्व, चुंबकीय गुण, रेजिस्टिविटी को रिकॉर्ड करता है और इसी के आधार पर ग्राफ तैयार करके यह अंदाजा लगाया जाता है कि मिट्टी के नीचे कौन-कौन से तत्व मौजूद हैं. इसके बाद कोर एनालिसिस किया जाता है. इस प्रोसेस में जमीन के नीचे ड्रिलिंग कर थोड़ा-थोड़ा मैटेरीयल निकाल कर उसकी जांच की जाता है. इससे स्थल विशेष पर नीचे क्या है इसकी सटीक जानकारी मिलती है.

वहीं, वीएलएफ टेक्नोलॉजी के जरिए भी जमीन के अंदर छिपी संपदा, धातु, (सोना, चांदी, तांबा आदि) का पता लगाया जा सकता है. इसके लिए जमीन के अंदर तरंगे भेजी जाती है. एक बार इन तरंगों से टकराने के बाद वीएलएफ रिसीवर्स उस वस्तु के चारों ओर इलेक्ट्रोमैग्नेटिक फील्ड बनाता है. खास मेटल से टकराकर एक गूंज पैदा करता है. जिसके जरिए भी यह पता लगता है कि आखिर जमीन के नीचे कौन सा तत्व या धातु मौजूद है.

कौन करता है सर्वे ? 
इस तरह का सर्वे एएसआई यानी आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया और जीएसआई यानी जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की टीमें करती हैं. आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया, देश के संस्कृति मंत्रालय से जुड़ी एक भारतीय सरकारी एजेंसी है जो पुरातात्विक अनुसंधान और देश में सांस्कृतिक ऐतिहासिक स्मारकों के संरक्षण का काम करती है. दूसरी तरफ, जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (GSI) भारत की एक वैज्ञानिक एजेंसी है, जिसकी स्थापना 1851 में हुई थी. GSI भारत के खान मंत्रालय के तहत सरकार का एक संगठन है. जीएसआई का प्रमुख कार्य राष्ट्रीय भू-वैज्ञानिक डेटा और खनिज संसाधन मूल्यांकन, हवाई और समुद्री सर्वेक्षण के निर्माण और उनसे जुड़ी जानकारी को अपडेट करते रहना होता है.

Rishabh Awasthi, output desk

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