Nuh Violence: सेक्सटॉर्शन है नूंह के साइबर ठगों का मुख्य हथियार, जामताड़ा वेब सीरीज से मिलती है यहां की कहानी
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Nuh Violence: सेक्सटॉर्शन है नूंह के साइबर ठगों का मुख्य हथियार, जामताड़ा वेब सीरीज से मिलती है यहां की कहानी

Nuh Violence: नूंह के गांवों में 40 हजार रुपये से लेकर एक लाख रुपये तक में कोचिंग सेंटर्स में साइबर ठगी की ट्रेनिंग दी जाती है. ठगी की क्लास जो लोग लगाते हैं, उनका सिलेबस और यूनिफॉर्म भी है. लेक्चर ऑनलाइन होता है. एक या दो कमरों के मकान पर टिनशेड में ट्रेनिंग दी जाती है. 

सेक्सटॉर्शन है नूंह के साइबर ठगों का मुख्य हथियार

Nuh Violence: नेटफ्लिक्स पर जामताड़ा (Jamtara Web Series) की 2 वेब सीरीज आ चुकी है. 2020 में इसका पहला वर्जन आया था, जिसमें साइबर ठगी (Cyber Fraud) के तरीकों को डिटेल में बताया गया था. वेब सीरीज में बताया गया था कि कैसे जामताड़ा में फर्जी सिम कार्ड (Fake Sim Card) के इस्तेमाल से लोगों को ठगी का शिकार बनाया गया था. मेवात या नूंह में ठीक वैसे ही होता है. बताया जाता है कि मेवात में किसी के पास काम का कोई धंधा नहीं है. गरीबी बहुत है, जिससे युवा आसानी से अपराध की ओर झुकते चले जाते हैं. मेवात के साइबर ठग ज्यादातर बुजुर्गों को फांसते हैं, क्योंकि उनको निशाना बनाना आसान होता है. एक मोबाइल एप के जरिए बुजुर्गों का नंबर निकाला जाता है और फिर फोन कर उन्हें फांसने का काम किया जाता है. अपराधियों का यहां सब कुछ फेक होता है- फोन से लेकर अकाउंट तक, हां मुखबिरी का डर होता है. 

नूंह के गांवों में 40 हजार रुपये से लेकर एक लाख रुपये तक में कोचिंग सेंटर्स में साइबर ठगी की ट्रेनिंग दी जाती है. ठगी की क्लास जो लोग लगाते हैं, उनका सिलेबस और यूनिफॉर्म भी है. लेक्चर ऑनलाइन होता है. एक या दो कमरों के मकान पर टिनशेड में ट्रेनिंग दी जाती है. पुलिस का कहना है कि नूंह यानी मेवात के ठग जामताड़ा के ठगों से भी ट्रेनिंग ले चुके हैं. ठगी दो तरीकों से होती है- सेक्सटॉर्शन या फिर व्हाट्सएप और फिर कॉल के जरिए टारगेट किया जाता है. सेक्सटॉर्शन में न्यूड तस्वीरें या वीडियो बनाई जाती है और फिर सामने वाले व्यक्ति को ब्लैकमेल किया जाता है. जो लोग फंस जाते हैं, उनके सामने अपराधियों को मुंह मांगी रकम देने के सिवा कोई चारा नहीं होता. हालांकि कुछ इसे नजरंदाज भी करते हैं. 

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कई बार तो मेवात के ठग खुद ही लड़की की आवाज में लोगों से बात कर फंसाने की कोशिश करते हैं. उसके बाद जो फंस जाता है, उसे ब्लैकमेल किया जाता है. ये ठग डिजिटल मार्केटप्लेस पर फर्जी ऐड डालते हैं और लोगों को फंसाते हैं. जैसे किसी महंगे सामान का ऐड सस्ती कीमत पर मार्केटप्लेस पर डाल दिया और खुद को विश्वसनीय साबित करने के लिए सेना से जुड़ा बता देते हैं. फिर जो भी इस ट्रैप में फंसता है, उनसे पैसे मांगे जाते हैं. 

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नूंह के 40 गांवों में सक्रिय 2 लाख सिम कार्ड को बंद करवा दिया है. इन गांवों से राजस्थान, यूपी, दिल्ली और अन्य कई राज्यों की पुलिस की शिकायत मिली थी. पुलिस टीम इन गांवों में जाती है तो उन पर हमला हो जाता है. इस धंधे में पढ़े लिखे से लेकर अनपढ़ लोग भी शामिल हैं.

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