बोकारो : एक गांव ऐसा जहां विकास की बात तो दूर संपर्क के लिए सड़क तक नहीं
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बोकारो : एक गांव ऐसा जहां विकास की बात तो दूर संपर्क के लिए सड़क तक नहीं

  झारखंड के बोकारो जिले में एक ऐसा गांव जहां लोगों को आवाजाही करने में काफी परेशानी होती है. जहां एक तरफ पूरे प्रदेश में सड़कों के जाल बिछे होने का दावा किया जाता है. वहीं दूसरी तरफ यह एक ऐसा गांव है जहां विकास की रौशनी क्या पहुंचेगी जहां संपर्क के लिए सड़क तक नहीं है.

(फाइल फोटो)

बोकारो :  झारखंड के बोकारो जिले में एक ऐसा गांव जहां लोगों को आवाजाही करने में काफी परेशानी होती है. जहां एक तरफ पूरे प्रदेश में सड़कों के जाल बिछे होने का दावा किया जाता है. वहीं दूसरी तरफ यह एक ऐसा गांव है जहां विकास की रौशनी क्या पहुंचेगी जहां संपर्क के लिए सड़क तक नहीं है. गांव के पास रेलवे ट्रैक पर ट्रेन या मालगाड़ी रुक जाने से गांव की जिंदगी भी ठहर सी जाती है. सड़क के अभाव में ग्रामीण मरीजों को भी लाने ले जाने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है.

बोकारो का यह गांव जिला मुख्यालय से मात्र 15 किलोमीटर दूर 
बता दें कि बोकारो जिले के आदिवासी बहुल यह गांव जिला मुख्यालय से 15 किलोमीटर की दूरी पर है फिर भी विकास के मामले में पिछड़ा हुआ है. सेल और रेल के एनओसी के चक्कर में यहां की जिंदगी ठहरी हुई है और विकास यहां से कोसों दूर है.

गांव के एक तरफ रेलवे ट्रेक है तो दूसरी तरफ सेल
खड़ी मालगाड़ी के नीचे से पार होकर महिला और पुरुषों को गुजरना होता है. ये इन गांववालों की मजबूरी है क्योंकि गांव के एक तरफ रेलवे ट्रेक है तो दूसरी तरफ सेल कि जमीन जहां कच्ची सड़क के साथ छोटा सकरा रास्ता है. सेल से NOC नहीं मिलने और रेलवे ट्रैक होने के चलते एक तरह से गांव कैद में है. बोकारो में ये आदिवासी बहुल गांव बोकारो मुख्यालय से मात्र 15 किलोमीटर की दूरी पर बसा हुआ है.

गांव को विकास के लिए सेल से NOC मिलने का इंतजार 
बोकारो रामगढ़ हाईवे से महज कुछ ही कदम की दूरी पर बसा है हिरताड़ गांव जहां हर दिन लोगों कि जिंदगी इसी तरह से चलती है. हिरताड़ के ग्रामीणों का कहना है कि हमलोंगो के लिए कोई संपर्क पथ नहीं है. रेलवे ट्रेक के उस पार स्कूल है जहां अगर मालगाड़ी खड़ी रही तो ट्रेन या मालगाड़ी के नीचे से पार होकर जाना पड़ता है. ग्रामीणों ने कहा की मरीजों को भी ले जाने और लाने में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है, ग्रामीणों की मानें तो यहां करीब दो से तीन हजार की आबादी रहती है.

उप विकास आयुक्त को नहीं इस बात की जानकारी 
वहीं जिले के उप विकास आयुक्त कीर्ति श्री ने कहा कि अभी आपके माध्यम से जानकारी मिली है. ऐसे में बहुत ही जल्द इस गांव में दौरा करके समस्या को दूर करने का प्रयास किया जाएगा. बोकारो के इस आदिवासी बहुल गांव में जिस तरह से लोग जान को जोखिम में डालकर रोजमर्रा की जिंदगी के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं, ऐसे में गांव का सड़क बन जाने से जिंदगी आसान हो जाएगी.

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