झारखंड के जामताड़ा में इन दिनों काजू की बंपर फसल हुई है लेकिन, फसल में उग रहे काजू का फायदा लोगों को नहीं मिल पा रहा है. जामताड़ा के नाला प्रखंड स्थित 49 एकड़ सरकारी भूमि पर लगभग 70 हजार काजू के पेड़ है और इस साल मौसम अनुकूल होने के कारण उसमें अच्छी फसल आई है.
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जामताड़ाः ड्राई फ्रूट्स का नाम सुनते ही सबके दिमाग में काजू-बादाम की तस्वीर दौड़ने लगती है. दौड़े भी क्यों ना. ऐसा कौन ही होगा? जिसे ड्राई फ्रूट्स पसंद नहीं हो. वहीं झारखंड के धनबाद में इन दिनों काजू की बंपर फसल हुई है लेकिन, फसल में उग रहे काजू का फायदा लोगों को नहीं मिल पा रहा है.
सरकारी भूमि पर लगभग 70 हजार काजू के पेड़
जामताड़ा के नाला प्रखंड स्थित 49 एकड़ सरकारी भूमि पर लगभग 70 हजार काजू के पेड़ है और इस साल मौसम अनुकूल होने के कारण उसमें अच्छी फसल आई है. फसल पककर जमीन पर गिरकर बर्बाद हो रही है. गांव के बच्चे अपरिपक्व फसलों को तोड़ रहे हैं और औने पौने दाम में दुकानदारों को बेच रहे हैं.
लाखों के काजू हो रहे बर्बाद
ग्रामीण युवक बताते हैं कि वे काफी कम कीमत में स्थानीय दुकानदारों को काजू के फलों को बेच देते हैं. बर्बादी का यह नजारा आपको जामताड़ा में देखने को मिलेगा. इसकी वजह है कि यहां काजू का प्रोसेसिंग प्लांट नहीं है. सिर्फ प्रोसेसिंग प्लांट के अभाव में लाखों के काजू बर्बाद हो रहे हैं. सरकारी अधिकारियों के उदासीनता का नतीजा है कि लाखों रुपए का काजू बर्बाद हो रहा है.
प्रोसेसिंग प्लांट के लिए प्रशासन से मांग
कई बार काजू के प्रोसेसिंग प्लांट के लिए प्रशासन से मांग भी की गई, लेकिन आज तक इस दिशा में कोई प्रगति नहीं हुई है. नाला प्रखंड मुख्यालय स्थित इस वृहद बागान से उपजे काजू को अगर प्रोसेसिंग प्लांट के माध्यम से बाजार में भेजा जाता तो जहां सरकार को लाखों के राजस्व की आमदनी होती है, वहीं फसल नुकसान नहीं होता.
वहीं जब इस मामले में स्थानीय विधायक संविधान सभा अध्यक्ष रविंद्र नाथ महतो से बात की गई तो उन्होंने भी इस बात को स्वीकारा कि यहां के बागान में काजू की फसल बर्बाद हो रही है. हालांकि जिले के उपायुक्त फैज अक अहमद से जब बात की गई तो उन्होंने इस दिशा में पहल करने की बात कही है.
इनपुट: देवाशीष भारती
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