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बोधगया: राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर बोधगया में विश्व आयुर्वेद परिषद बिहार इकाई द्वारा आयोजित कार्यक्रम में शामिल हुए. इस दौरान राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने कहा कि आयुर्वेद प्राचीन चिकित्सा पद्धति है, जिसे हमसबों को अपनाने की जरूरत है. उन्होंने आगे कहा, 'मेरी मां रसोई घर से ही कुछ चीज़े लेकर मा इलाज कर देती थी और मैं ठीक हो जाता था. हम इस पद्धति को अलग नहीं हो सकते हैं.'
'हम सभी को अपनाने की जरूरत है'
आयुर्वेद भारत के प्राचीन वैदिक काल में उत्पन्न एक पारंपरिक चिकित्सा पद्धति है. इस प्राचीन पद्धति को हमसबों को अपनाने की जरूरत है. यह पद्धति अपने आपको केवल मानवीय शरीर के उपचार तक ही सीमित रखने की बजाय, शरीर और मन का भी विचार आयुर्वेद में किया गया है. उक्त बातें बिहार के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने महाबोधि सांस्कृतिक केंद्र में विश्व आयुर्वेद परिषद बिहार इकाई के आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा.
उन्होंने कहा आगे कहा कि वर्तमान दौर में आयुर्वेद की मान्यता बढ़ रही है. आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्वति भारतीय वैदिक संस्कृति से जुड़ी है. विश्व की जितनी भी चिकित्सा पद्धतियां आज है, सबकी जननी किसी न किसी रूप में हमारी आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति ही है. लेकिन बदलते दौर में इस चिकित्सा पद्धति को वैकल्पिक चिकित्सा पद्धति मानते हैं. आयुर्वेद के क्षेत्र में हजारों सालों से जो शोध या अनुसंधान किया गया है. वह हमारे समक्ष है. परन्तु हम आधुनिक चिकित्सा पद्धति को मूलभूत मानते हैं.
उन्होंने कहा कि हर घर के रसोई में भी आयुर्वेद की दवा उपलब्ध है. इसे अपनाने की जरूरत है. मानव विचार को एक साथ लेकर चलना ही हमारी संस्कृति है. कहा कि हम स्वतंत्रता के शताब्दी वर्ष की ओर बढ़ रहे हैं. इस मौके पर आयुर्वेद चिकित्सा के छात्रों को सम्मानित भी किया.