Bihar News: भगवान बुद्ध और उनके शिष्यों के अस्थि कलश का आज से दर्शन शुरू, देश-विदेश से पहुंचे श्रद्धालु
Advertisement
trendingNow0/india/bihar-jharkhand/bihar2089396

Bihar News: भगवान बुद्ध और उनके शिष्यों के अस्थि कलश का आज से दर्शन शुरू, देश-विदेश से पहुंचे श्रद्धालु

Bihar News: भगवान बुद्ध की पावन ज्ञान भूमि बोधगया में श्रीलंकाई मंदिर जयश्री महाबोधि महाविहार का 17वां वार्षिक उत्सव मना रहा है. इस दौरान श्रीलंकाई महाविहार के प्रांगण में भगवान बुद्ध और उनके दो परम शिष्य महामोग्गलान और सारिपुत्त के अस्थि कलश को आम लोगों के दर्शन के लिए प्रदर्शित किया जा रहा है. 

Bihar News: भगवान बुद्ध और उनके शिष्यों के अस्थि कलश का आज से दर्शन शुरू, देश-विदेश से पहुंचे श्रद्धालु

गयाः Bihar News: भगवान बुद्ध की पावन ज्ञान भूमि बोधगया में श्रीलंकाई मंदिर जयश्री महाबोधि महाविहार का 17वां वार्षिक उत्सव मना रहा है. इस दौरान श्रीलंकाई महाविहार के प्रांगण में भगवान बुद्ध और उनके दो परम शिष्य महामोग्गलान और सारिपुत्त के अस्थि कलश को आम लोगों के दर्शन के लिए प्रदर्शित किया जा रहा है. इस दौरान देश-विदेश के सैकड़ों श्रद्धालु कतारबद्ध होकर भगवान बुद्ध और उनके दोनों शिष्यों के अस्थि कलश को दर्शन कर रहे हैं.

इस मौके पर श्रीलंकाई बौद्ध भिक्षु भंते शीलवंश ने बताया कि इस बार श्रीलंकाई मंदिर जयश्री महाबोधि महाविहार का 17वां वार्षिक वार्षिक उत्सव मनाया जा रहा है. इस दौरान भगवान बुद्ध और उनके दो परम शिष्य महामोग्गलान और सारिपुत्त के अस्थि कलश के दर्शन के लिए आम लोगों के लिये रखा गया है. श्रीलंकाई मंदिर जयश्री महाबोधि महाविहार का 17वां वार्षिक वार्षिक उत्सव तीन दिनों तक चलेगा.

इस समारोह में विश्व के कई बौद्ध देशों के श्रद्धालु अस्थि कलश के दर्शन हेतु आ रहे हैं. अस्थि कलश के दर्शन से मन को शांति मिलती है. भगवान बुद्ध को बोधगया में ज्ञान की प्राप्ति हुई थी. जिसके बाद उन्होंने पूरी दुनिया को मध्यम मार्ग का रास्ता बताया था. यही वजह है कि प्रतिवर्ष लाखों की संख्या में श्रद्धालु और पर्यटक बोधगया आते हैं.

बता दें कि महाबोधि सोसायटी परिसर में भगवान बुद्ध की रखी पवित्र अस्थि कलश को श्रीलंका से लाया गया है. इसे ब्रिटिश शासन के दौरान 1937 में महियंगम स्तूप से खुदाई के दौरान प्राप्त किया गया था. भगवान बुद्ध के दोनों शिष्यों की अस्थि कलश सांची के स्तूप संख्या तीन से मिली थी. 1851 में कनिंघम ने खुदाई के दौरान इसे निकाला था. इन अस्थि कलश को बाद में लंदन के अल्बर्ट संग्रहालय में रखा गया था. महाबोधि सोसायटी के प्रयास से 14 मार्च 1947 को इन अस्थि कलश को श्रीलंका भेजा गया. वहां से 12 जनवरी 1949 में इसे भारत लाया गया. बोधगया में कोलकाता स्थित मुख्यालय से अस्थि कलश को लाकर रखा गया है.
इनपुट- पुरुषोत्तम कुमार

यह भी पढ़ें- Hemant Soren: ईडी ने सोरेन को किया गिरफ्तार, अब चंपई होंगे राज्य के नये मुख्यमंत्री

Trending news