Bihar News : तिब्बती धर्म गुरु ने कहा कि इसी प्रकार बोधिचित्त एक बहुत ही अनमोल अभ्यास है जो आंतरिक शक्ति प्रदान करता है और मैं इसका भी पालन करता हूं. बोधिचित्त के कारण बुद्ध को ज्ञान प्राप्त हुआ. हमें भी बोधिचित्त का प्रमुखता के साथ पालन करना चाहिए और दूसरों को नुकसान नहीं पहुंचाना चाहिए.
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गया : तिब्बती धर्म गुरु दलाई लामा ने बुधवार को बिहार के गया जिले में तीन दिवसीय अंतराष्ट्रीय संघ फोरम (आईएसएफ) 2023 का उद्घाटन किया. भगवान बुद्ध की ज्ञानस्थली बोधगया स्थित सांस्कृतिक केंद्र इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर में "परंपराओं को जोड़ना, आधुनिकता को अपनाना- आज की दुनिया में बुद्ध की शिक्षा पर एक संवाद" विषय पर आज से शुरू इस तीन दिवसीय अंतराष्ट्रीय संघ फोरम 2023 का उद्घाटन करते हुए दलाई लामा ने कहा कि हर किसी में करुणा पैदा होनी चाहिए. चाहे वह पाली या संस्कृत परंपराओं में बौद्ध धर्म का पालन करते हों.
साथ ही बता दें कि हमें अपने और विश्व शांति के लिए बोधिसत्व की प्रथाओं का पालन करना चाहिए. मैं बोधिसत्व की प्रथाओं का पालन करता हूं और वे मेरे लिए बहुत फायदेमंद हैं. तिब्बती धर्म गुरु ने कहा कि इसी प्रकार बोधिचित्त एक बहुत ही अनमोल अभ्यास है जो आंतरिक शक्ति प्रदान करता है और मैं इसका भी पालन करता हूं. बोधिचित्त के कारण बुद्ध को ज्ञान प्राप्त हुआ. हमें भी बोधिचित्त का प्रमुखता के साथ पालन करना चाहिए और दूसरों को नुकसान नहीं पहुंचाना चाहिए. जब आपके पास बोधिचित्त होता है, तो आप सहज महसूस करते हैं. क्रोध, घृणा और ईर्ष्या शांत हो जाती है. हमें याद रखना चाहिए कि हमें बड़े पैमाने पर दुनिया की सेवा करनी है. हमें समाज की भलाई के लिए काम करना चाहिए. इस अवसर पर अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू भी मौजूद थे.
इस सम्मेलन में विभिन्न देशों के बौद्ध परंपराओं के 2000 अनुयायी भाग ले रहे हैं. सम्मेलन के दौरान विभिन्न बौद्ध परंपराओं के भिक्षु और विद्वान विनय नियमों के बारीक पहलुओं और 21वीं सदी में बौद्ध धर्म की भूमिका पर चर्चा शुरू करेंगे. आईएसएफ के एक बयान के अनुसार सम्मेलन का प्राथमिक उद्देश्य दक्षिण पूर्व और दक्षिण एशियाई देशों भारत, थाईलैंड, म्यांमा, कंबोडिया, लाओस, श्रीलंका, बांग्लादेश और इंडोनेशिया की पाली परंपराओं के मानने वालों और संस्कृत परंपरा के तिब्बत, भूटान, नेपाल, वियतनाम, चीन, ताइवान, जापान, कोरिया, रूस, मंगोलिया और दुनिया के अन्य हिस्सों के लोगों के बीच संवाद और सहयोग विकसित करना है.
तिब्बती धर्म गुरु 23 दिसंबर की सुबह महाबोधि स्तूप में जनता के साथ अंतरराष्ट्रीय संघ फोरम के प्रतिनिधियों के साथ विश्व शांति प्रार्थना सत्र में भाग लेंगे. इसके अलावा वे 29, 30 और 31 दिसंबर को बोधगया के कालचक्र मैदान में धार्मिक प्रवचन देंगे. नोबेल पुरस्कार से सम्मानित दलाई लामा की लंबी आयु के लिए एक जनवरी 2024 की सुबह कालचक्र मैदान में विशेष प्रार्थना भी की जाएगी.
इनपुट- भाषा
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