इस वजह से बिहार के इस जिले के लोग भगवान बुद्ध के साथ लोग मनाते हैं होली, जानकर चौंक जाएंगे आप
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इस वजह से बिहार के इस जिले के लोग भगवान बुद्ध के साथ लोग मनाते हैं होली, जानकर चौंक जाएंगे आप

दुनिया भर में जहां भी हिंदू लोग रह रहे हैं वहां होली का त्योहार मनाया जाएगा, रंग के साथ उमंग के इस त्योहार के मस्ती की खुमारी चारों तरफ छा गई है. बसंत के इस उत्सव का स्वागत लोग बड़ी बेसब्री से करते हैं. रंगों के इस त्योहार होली को मनाने की देशभर में अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग परंपरा है.

(फाइल फोटो)

Bihar Holi: दुनिया भर में जहां भी हिंदू लोग रह रहे हैं वहां होली का त्योहार मनाया जाएगा, रंग के साथ उमंग के इस त्योहार के मस्ती की खुमारी चारों तरफ छा गई है. बसंत के इस उत्सव का स्वागत लोग बड़ी बेसब्री से करते हैं. रंगों के इस त्योहार होली को मनाने की देशभर में अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग परंपरा है. ऐसे में कुछ जगहों पर इस त्योहार को ऐसे अनुठे अंदाज में मनाया जाता है कि इसकी चर्चा चारों ओर होती है. ऐसे में बिहार के नालंदा जिले के एक ऐसे गांव में होली को मनाए जाने की खास परंपरा के बारे में आपको हम बताएंगे जिसे जानकर आप हैरान हो जाएंगे. 

बिहार के नालंदा जिले में एक गांव है जो जिला मुख्यालय बिहार शरीफ से 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. इस गांव का नाम है तेतरावां इस गांव के लोग भगवान बुद्ध की प्रतिमा के साथ होली के त्योहार की शुरुआत करते हैं. दरअसल इस गांव की परंपरा रही है कि यहां किसी भी शुभ कार्य का प्रारंभ और समापन भगवान बुद्ध की प्रतिमा के पास ही किया जाता है. यह परंपरा यहां कब से चली आ रही है इसके बारे नमें कहना मुश्किल है. यह परंपरा यहां बहुत पुरानी है. यहां भगवान बुद्ध को लोग बाब भैरो के नाम से पुकारते हैं. 

यहां बुद्ध की एक विशाल काले रंग की पत्थर की मूर्ति है जिसके ऊपर रंग और गुलाल लगाकर यहां के लोग सामूहित तौर पर इस त्योहार का समापन करते हैं. लोग मानते हैं कि जब नालंदा विश्विद्यालय था तब मूर्ति कला की पढ़ाई इसी तेतरावां गांव में होती थी. लोगों का कहना है कि यह प्राचीन पाषाण की बुद्ध की मूर्ति नालंदा विश्वविद्यालय के समय की हीं है. ऐसे में तब से यह परंपरा चली आ रही है कि यहां के स्थानीय लोग किसी भी शुभ कार्य का समापन भैरो बाबा (भगवान बुद्ध की प्रतिमा) के पास ही आकर करते हैं. गांव वालों का विश्वास है कि यहां जो भी मांगा जाता है वह मुराद पूरी होती है. ऐसे में किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत के पहले यहां भगवान बुद्ध की इस मूर्ति की साफ-सफाई के साथ की जाती है. 

यहां के लोग भगवान बुद्ध यानी भैरो बाबा की इस प्रतिमा के पहले रवा लेप लगाते हैं उसके बाद घी लगाते हैं. फिर प्रतिमा पर सफेद चादर चढ़ाई जाती है. उसके बाद प्रतिमा को रंग-गुलाल लगाने के बाद होली का जश्न मनाया जाता है. लोग इस प्रतिमा से प्रर्थना करते हैं कि पूरे साल यहां गांव में सुख-समृद्धि और शांति बनी रहे. कहते हैं कि यहां पहले इस प्रतिमा के देखने के लिए देश-विदेश से लोग आते थे. स्थानीय लोगों का दावा है कि यह प्रतिमा एशिया की सबसे बड़ी काले पत्थर की प्रतिमा है.  

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