पूर्वजों के मोक्ष की प्राप्ति के लिए अब नहीं आना होगा गयाजी, घर बैठे ई-पिंडदान ऐप के जरिए कीजिए पितरों का श्राद्ध और तर्पण
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पूर्वजों के मोक्ष की प्राप्ति के लिए अब नहीं आना होगा गयाजी, घर बैठे ई-पिंडदान ऐप के जरिए कीजिए पितरों का श्राद्ध और तर्पण

Gaya News: पर्यटन विभाग ने गया में पिंडदानियों की सुविधा के लिए ई-पिंडदान की व्यवस्था को मुहैया किया है. इसके माध्यम से लोग अपने घर से ही पूर्वजों का पिंडदान कर उन्हें मोक्ष की प्राप्ति दिला सकते हैं. इस बार गया में 17 सितंबर से 2 अक्टूबर तक पितृपक्ष मेला चलेगा, जिसके लिए जिला प्रशासन की ओर से जोरो से तैयारी चल रही है. 

 

पूर्वजों के मोक्ष की प्राप्ति के लिए अब नहीं आना होगा गयाजी, घर बैठे ई-पिंडदान ऐप के जरिए कीजिए पितरों का श्राद्ध और तर्पण

E-Pinddaan In Gaya: गया स्थित विश्वप्रसिद्ध विष्णुपद मंदिर अन्तःसलिला मोक्षदायिनी फल्गु नदी के पश्चिमी किनारे पर स्थित एक तीर्थस्थल के रूप में विश्व विख्यात है. इस मंदिर का वर्णन रामायण काल में भी वर्णित है. कहा जाता है कि भगवान राम ने यहां अपने पूर्वजों को मोक्ष प्राप्ति के लिए पिंडदान किया था. बताया जाता है कि वर्तमान में जो मंदिर स्थित है इसे इंदौर की महारानी देवी अहिल्याबाई होलकर के द्वारा सन् 1787ई0 में बनवाया गया था. मंदिर की भव्यता काफी अद्भुत है. सोने को कसने वाली काले पत्थर कसौटी से बना यह मंदिर काफी अद्भुत है. मन्दिर की ऊंचाई करीब 100 फिट है, इस मंदिर में कुल 44 पिलर है, मंदिर के शीर्ष पर 50 किलो सोने का कलश और 50 किलो सोने की ध्वजा लगी है. वहीं, मंदिर के गर्भगृह में 50 किलो चांदी का छत्र और 50 किलो चांदी का अष्टपहल है. इसके साथ ही मन्दिर के गर्भगृह के द्वार को चांदी से बनाया गया है.

भगवान विष्णु चरण चिन्ह 
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान विष्णु ने इसी जगह पर गयासुर नामक राक्षस के छाती पर अपने पैरों से दबाया था. उसी समय से भगवान विष्णु की चरण चिन्ह यहां विराजमान हैं. यह विश्व का पहला ऐसा मंदिर है जहां भगवान विष्णु की प्रतिमा नहीं बल्कि उनके चरण का साक्षात दर्शन होता है. उसकी पूजा होती है. यहां भगवान विष्णु के पदचिन्हों का श्रृंगार रक्त चंदन से किया जाता है. इस पर शंख,चक्र,गदा अंकित किए जाते हैं.

पूर्वजों को मोक्ष की प्राप्ति
ऐसी मान्यता है कि यहां पितरों के तर्पण के पश्चात इस मंदिर में भगवान विष्णु के चरणों के दर्शन करने से समस्त दुखों का नाश होता है. गया में पिण्डदान का बड़ा ही महत्व है. कहा जाता है कि गया जी में पिंडदान करने से पूर्वजों को मोक्ष की प्राप्ति होती है. इसलिए गया जी को मोक्षस्थली भी कहा जाता है. बताया जाता है कि गया में भगवान विष्णु स्वयं पितृदेव के रूप में निवास करते हैं. गया में पिंडदान, श्राद्ध और तर्पण करने से कुछ भी शेष नहीं रह जाता है. व्यक्ति पितृऋण से मुक्त हो जाता है. 

पिंडदान और तर्पण के लिए गया सर्वश्रेष्ठ तीर्थस्थल
गया जी में पिंडदान करने से पूर्वजों को मोक्ष मिल जाता है. उन्हें स्वर्ग में स्थान प्राप्त होता है. बताया जाता है कि पिंडदान को मोक्ष प्राप्ति के लिए सहज और सरल मार्ग माना गया है. यही वजह है की पिंडदान और तर्पण के लिए गया सर्वश्रेष्ठ तीर्थ स्थल है. ऐसे तो यहां सालो भर पिण्डदान, श्राद्ध और तर्पण का कर्मकांड होता है पर अश्विन मास के शुक्लपक्ष में लगने वाले पितृपक्ष में देश के कोने-कोने से तीर्थयात्री पिंडदान करने के लिए गया जी पहुंचते हैं.

पितृपक्ष में यहां 17 दिनों तक पिंडदान किया जाता है. यहां आने वाले पिंडदानी कोई एक दिन में पिंडदान का कर्मकांड पूरा करते हैं तो कोई 3 दिन,5 दिन,7 दिन,15 दिन,17 दिन तक रह कर पिंडदान का कर्मकांड पूरा करते हैं. गया जी में कुल 54 वेदी है जहां पिंडदान का कर्मकांड किया जाता है.

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पिंडदानियों की सुविधा के लिए ई-पिंडदान ऐप तैयार
इस बार आगामी 17 सितंबर से 2 अक्टूबर तक गया जी में पितृपक्ष मेले का आयोजन होगा. जहां देश-विदेश से लाखों की संख्या में पिंडदानी अपनी पूर्वजों को मोक्ष की कामना लेकर कर्मकांड करने के लिए यहां आने की संभावना है. जिसको लेकर जिला प्रशासन की ओर से जोर-शोर से तैयारी की जा रही है. पिंडदानियों के सुविधा को लेकर सभी तरह की तैयारी की जा रही है, ताकि पितृपक्ष मेले में यहां आने वाले पिंडदानियों को किसी प्रकार की कोई परेशानी न हो.

यहां सभी जरूरी चीजों का ध्यान रखा जा रहा है. इस बार पर्यटन विभाग ने पिंडदानियों की सुविधा के लिए ई-पिंडदान ऐप भी तैयार किया है. जिसके माध्यम से लोग घर बैठे भी ऑनलाइन पिंडदान कर सकते हैं. ई-पिंडदान के लिए 23 हजार रुपये शुल्क निर्धारित किया गया है. इस शुल्क में हर वो कर्मकांड कराए जाएंगे, जो गया जी आने के बाद लोग संपन्न कराते हैं. पर्यटन निगम की वेबसाइट पर ई-पिंडदान का पैकेज लॉन्च कर दिया गया है. विदेशों से बुकिंग भी प्रारंभ हो गई है.

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ई-पिंडदान ऐप शुल्क
ई-पिंडदान का मूल शुल्क 21 हजार 500 रुपये हैं. इसके अतिरिक्त पर्यटन निगम 1429 रुपये सेवा शुल्क लगेगा, इसमें पांच प्रतिशत जीएसटी 71 रुपये है. पूरा शुल्क जोड़कर 23 हजार रुपये है. ई-पिंडदान ऐप पर सबसे पहले विष्णुपद मंदिर में धार्मिक प्रक्रियाएं कराई जाएंगी. इसके बाद अक्षयवट, मोक्षदायिनी फल्गु नदी पिंडवेदी पर कर्मकांड होगा. शुल्क में पंडित, गयापाल पुरोहित, पूजन सामग्री, अन्य पुरोहित की दक्षिणा आदि सम्मिलित है.

वहीं, पिंडदान के सभी स्थलों के चित्र और वीडियो पेन ड्राइव में उपलब्ध कराए जाएंगे. इसके लिए राज्य पर्यटन निगम की ओर से ई-पिंडदान का शुल्क जमा करने को लेकर खाता नंबर जारी किया है. बीएसटीडीसी ट्रेवल्स ट्रेड का बैंक एचडीएफसी पटना है. जिसका खाता संख्या 50100339205415, आईएफएससी कोड एचडीएफसी 0000332 है. हालांकि ई-पिंडदान को लेकर गयापाल पंडा समाज रोष जता रहे हैं.

इनपुट - पुरुषोत्तम कुमार

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