Bihar News: बिहार के गया से एक मामला सामने आया है जिसे सुनकर हर कोई हैरान है. दरअसल पुलिस ने सड़क दुर्घटना में मारे गए मुस्लिम की बिना शिनाख्त किए उसका दाह संस्कार कर दिया.
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गया: गया में एक अजीबो-गरीब घटना सामने आई है जो पुलिस विभाग के लापरवाही के कारण घटी है. दरअसल एक मुस्लिम समुदाय के युवक की मौत सड़क दुर्घटना में हो जाती है और पुलिस बिना शिनाख्त किए उसका दाह संस्कार कर देती है. परिजनों के द्वारा पुलिस से शव मांगे जाने पर पुलिस विभाग की लापरवाही की पोल खुल गई. एसएसपी आशीष भारती ने इस मामले में प्रेस विज्ञप्ति जारी कर थानाध्यक्ष सहित तीन को किया निलंबित. बता दे कि यह पूरा मामला बीते 27 सितंबर की है. जब परैया थाना क्षेत्र के कोसडिहरा गांव के पास एक युवक की सड़क दुर्घटना हो जाती है. सड़क दुर्घटना में वह युवक बुरी तरह घायल हो जाता है.
जिसके बाद घायल युवक को स्थानीय लोग और पुलिस के मदद से गया के मगध मेडिकल कॉलेज में इलाज के लिए लाया जाता है पर तब तक उसकी मौत हो जाती है. वहीं मौत के बाद मगध मेडिकल अस्पताल में ही उसका पोस्टमार्टम भी कर दिया जाता है. जिसके बाद उसे अज्ञात शव समझ कर शव को अस्पताल के शीतगृह में 72 घंटे तक रखा जाता है और जब इस युवक की पहचान नहीं होती है तो पुलिस के द्वारा इसका अंतिम संस्कार भी कर दिया जाता है.
वहीं लगभग घटना के 10 दिन बीतने के बाद मृतक के परिजनों को मालूम होता है कि उनकी स्कूटी गया के परैया थाना में लगी हुई है. तब थाना पहुंचने के बाद परिजन को पता चलता है कि इस स्कूटी से एक युवक का सडक दुर्घटना में मौत हो गई है. जिसके बाद परिजनों के द्वारा जब पुलिस से शव को मांगा गया तो पुलिस ने बताया उसके शव का अंतिम संस्कार कर दिया गया है.
मिली जानकारी के अनुसार सड़क दुर्घटना में जिस युवक की मौत हुई है उसका नाम मो. शहाबुद्दीन था. जो गया शहर के करीमगंज मोहल्ले का रहने वाला था. घटना के 10 दिन बाद उनके परिजनों को यह जानकारी मिली जिसके बाद परिजनों ने पुलिस पर लापरवाही का आरोप लगाया है कि घटना वाले दिन घटनास्थल से पुलिस ने स्कूटी और मोबाइल बरामद तो किया परन्तु पुलिस ने इनके बेटे की शिनाख्त करने में लापरवाही की है और अज्ञात शव कहकर उसका दाह संस्कार करवा दिया है. अगर पुलिस तत्परता से छानबीन करती तो शायद हम अपने बच्चे का मुंह देख पाते.
वहीं पीड़ित परिवार अपने बेटे की शव की डिमांड कर रहें हैं. जिसके बाद पुलिस के पसीने छूट रहे हैं. एफआईआर रिपोर्ट के अनुसार पुलिस ने शव का अंतिम संस्कार कर दिया है. लेकिन पोस्टमार्टम के बाद शव कहां गई पुलिस भी इस बात से अंजान है. पुलिस का कहना है डेड बॉडी की जिम्मेदारी चौकीदार को दी गई थी. वही बताएगा बॉडी का क्या किया गया. जिस चौकीदार को ड्यूटी दी गई थी वह पिछले चार साल से अपने ससुर के जगह चौकीदारी कर रहा था.
वही मृतक मो. शहाबुद्दीन के पिता मो.गुलाम हैदर बताया कि जब वह थाने में पुलिस से शव की डिमांड की तो पुलिस ने बताया पोस्टमार्टम के तीन दिन बाद शव को अंतिम संस्कार करने के लिए बॉडी चौकीदार को दे दिया गया है. वही बताएगा डेड बॉडी के साथ क्या किया है? दूसरे दिन फिर थाने जाकर चौकीदार से बात किया तो उसने बताया कि उसने डेड बॉडी को एक लोकल आदमी को डिस्पोज करने के लिए दे दिया. उसने बॉडी के साथ क्या किया किसी को पता नहीं. पिछले 5 दिन से हम पुलिस से डेड बॉडी की डिमांड कर रहे हैं तो पुलिस का कहना है शव का अंतिम संस्कार कर दिया गया है.
वहीं इस घटना के बाद करीमगंज मोहल्ले के लोगों में पुलिस के प्रति आक्रोश है और पुलिस के इस घिनौने कार्य से दुखी भी है. मोहल्ले के लोगों का कहना था कि घटना स्थल पर शहाबुद्दीन की मोबाइल और स्कूटी के नंबर से परिजनों को खोजबीन किया जाता तो उसकी शिनाख्त हो जाती लेकिन पुलिस ने अपने काम में लापरवाही बरती है. वहीं इस मामले में टिकारी के एसडीपीओ सुशांत कुमार चंचल ने बताया कि इस घटना में जिस भी पुलिसकर्मी या अधिकारी के द्वारा लापरवाही बरती गई है उन्हें चिन्हित कर कार्रवाई की जाएगी। हम लोगों ने मृतक के परिजनों से मुलाकात की है और उनकी मांगों को सून लिया गया है. उन्होंने बताया इस मामले में हमलोग जांच कर रहें हैं. वही गया के एसएसपी आशीष भारती ने एक प्रेस विज्ञप्ति करी कर इस मामले में परैया थानाध्यक्ष मुकेश कुमार सहित तीन लोगों को निलंबित किया है.
इनपुट- पुरूषोत्तम कुमार
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