Hazaribagh News: हजारीबाग की प्राकृतिक खूबसूरती हमेशा से पर्यावरण प्रेमियों को अपनी ओर खींचती रही है. यहां के जलाशय विदेशी पक्षियों के लिए एक सुरक्षित जगह बन गए हैं. राजहंस का यहां आना इस इलाके की खूबसूरती और महत्व को और बढ़ा देता है. फरवरी के अंत तक इन सुंदर पक्षियों को देखा और उनकी सुंदरता का आनंद लिया जा सकता है. यह नजारा सच में प्रकृति प्रेमियों के लिए किसी तोहफे से कम नहीं है.
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हजारीबाग: झारखंड के हजारीबाग में इस बार प्रकृति ने एक और अद्भुत नजारा पेश किया है. यहां के छड़वा डैम में राजहंस का एक छोटा समूह पहुंचा है, जिसे बार हेडेड गीज के नाम से भी जाना जाता है. इन विदेशी पक्षियों का हजारीबाग तक पहुंचना न केवल पर्यावरणविदों के लिए खास है, बल्कि आम लोगों के लिए भी आकर्षण का केंद्र बना हुआ है.
हिमालय को पार करने वाला पक्षी है राजहंस
राजहंस को खासतौर पर उनकी अद्भुत उड़ान क्षमता के लिए जाना जाता है. यह पक्षी मंगोलिया और उसके आसपास के इलाकों से लगभग 3,100 किलोमीटर की हवाई दूरी तय कर हजारीबाग पहुंचता है. सबसे खास बात यह है कि राजहंस हिमालय की ऊंची चोटियों को पार कर भारत आता है. यह पक्षी 29,000 फीट की ऊंचाई तक उड़ सकता है, जो दुनिया के सबसे ऊंचाई पर उड़ने वाले पक्षियों में इसे तीसरे स्थान पर रखता है. साथ ही पर्यावरणविद मुरारी सिंह बताते हैं कि राजहंस को मंगोलिया से भारत आने में लगभग तीन दिन लगते हैं. यह पक्षी दिन में करीब 1,000 किलोमीटर की दूरी तय करता है. ऊंचाई पर उड़ान भरने में इनकी मदद उनके बड़े फेफड़े करते हैं, जो इन्हें ऑक्सीजन की कमी वाली जगहों पर भी आसानी से उड़ने में सक्षम बनाते हैं.
राजहंस की खासियत और व्यवहार
राजहंस का शरीर सफेद रंग का होता है और सिर पर दो काली धारियां होती हैं. उड़ते समय ये पक्षी समूह में 'V' आकार बनाते हैं, जहां सबसे आगे वाला पक्षी लीड बर्ड कहलाता है. ये पक्षी रात में पानी के पास रुकने के बजाय जंगलों में चले जाते हैं. सुबह आठ बजे से शाम पांच बजे के बीच इन पक्षियों को पानी में देखा जा सकता है. साथ ही बर्ड लवर अमित जैन बताते हैं कि राजहंस पानी में उतरते वक्त फाइटर प्लेन की तरह लैंड करता है और पानी से उड़ान भरते समय थोड़ा दौड़ने के बाद हवा में उड़ता है. इनके द्वारा निकाली जाने वाली अजीबोगरीब आवाजें भी इनकी पहचान में मदद करती हैं.
हजारीबाग में पर्यावरण का महत्व
हजारीबाग की प्राकृतिक सुंदरता ने हमेशा पर्यावरण प्रेमियों को आकर्षित किया है. यहां के जलाशय विदेशी पक्षियों के लिए एक सुरक्षित ठिकाना बन गए हैं. राजहंस का आना इस क्षेत्र के पर्यावरणीय महत्व को और बढ़ा देता है. फरवरी के अंत तक इन पक्षियों का आनंद लिया जा सकता है. यह नजारा निश्चित रूप से प्रकृति प्रेमियों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है.
इनपुट- यादवेन्द्र मुन्नू
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