Dhanurasana: धनुरासन संस्कृत शब्द धनु और आसान से मिलकर बना है. यह आसान करने पर धनुष की मुद्रा बन जाती है, इसलिए इसे धनुरासन कहते है. रोजाना धनुरासन करने से शरीर में चुस्ती, अच्छा पाचन तंत्र और हड्डियां मजबूत बनती है. अगर आप भी पीठ दर्द से परेशान हैं फिर तो यह आसन आपके लिए रामबाण से कम नहीं है. आइए जानते हैं धनुरासन करने का सही तरीका और लाभ.
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Yoga For Back Pain: पीठ दर्द आजकल एक बहुत ही आम समस्या बन चुकी है. हर दूसरा आदमी आज पीठ दर्द से परेशान है और इसका सबसे बड़ा कारण गलत पोस्चर में बैठना या एक ही जगह पर अधिक समय के लिए बैठे रहना है. इस दर्द से छुटकारा पाने के लिए लोग जेल या स्प्रे का सहारा लेते हैं, लेकिन यह आपको सिर्फ कुछ समय के लिए राहत देता है. लंबे समय तक इस प्रॉब्लम को इग्नोर करना किसी गंभीर समस्या की वजह बन सकती है. ऐसे में आज हम आपको एक ऐसे आसन के बारे में बताने जा रहे हैं, जो आपकी इस समस्या को चुटकियों में दूर कर देगा. साथ ही आपकी पीठ हड्डियों को भी मजबूत रखेगा.
धनुरासन क्या है ? (What is Dhanurasana (Bow Pose))
धनुरासन संस्कृत शब्द धनु और आसान से मिलकर बना है. यह आसान करने पर धनुष की मुद्रा बन जाती है, इसलिए इसे धनुरासन कहते है. रोजाना धनुरासन करने से शरीर में चुस्ती, अच्छा पाचन तंत्र और हड्डियां मजबूत बनती है. अगर आप भी पीठ दर्द से परेशान हैं फिर तो यह आसन आपके लिए रामबाण से कम नहीं है. आइए जानते हैं धनुरासन करने का सही तरीका और लाभ.
धनुरासन करने के लाभ (Benefits of Dhanurasana)
धनुरासन करने से डिप्रेशन के लक्षण और मोटापा कम करने में मदद मिलती है. साथ ही यह आसन आपके मांसपेशियों और हड्डियों को लचीला और मजबूत बनाता है. यदि आप पीठ या कमर दर्द जैसी समस्याओं से परेशान हैं फिर तो यह आसन आपके लिए किसी रामबाण से कम नहीं है. धनुरासन को रोजाना करने से महिलाओं के मासिक धर्म की अनियमितता दूर होती है. इस आसन से अपच, अजीर्ण और पेट के विकार दूर होते हैं और भूख बढ़ती है.
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धनुरासन करने की विधि (How to do Dhanurasana)
सबसे पहले पेट के बल लेट जाएं.
घुटनों को मोड़ें और हाथों से पैर के पंजों को पकड़ लें.
गहरी सांस भरते हुए, हाथों से पैर को खींचें जिससे शरीर के आगे का हिस्सा खुद-ब-खुद ऊपर उठने लगेगा.
अब कुछ देर तक इसी स्थिति में बने रहें. इसके बाद सांस छोड़ते हुए पूर्व स्थिति में आ जाएं और पैरों को खोल दें.
शुरू में इसका अभ्यास 3-5 बार करना काफी होगा. नियमित अभ्यास के बाद इसे और बढ़ाया जा सकता है.