झारखंड के 'कुंवारों का गांव' में नहीं देना चाहता कोई अपनी बेटी, वजह जान हो जाएंगे हैरान
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झारखंड के 'कुंवारों का गांव' में नहीं देना चाहता कोई अपनी बेटी, वजह जान हो जाएंगे हैरान

Kunwaron Ka Gaon: शादियों का सीजन चल रहा है और तरफ शहनाई की गुंज सुनाई दे रही है. लेकिन झारखंड का एक गांव ऐसा भी है, जहां कोई भी अपनी बेटी की शादी नहीं करना चाहता हैं. दरअसल झारखंड का ये कुंवारों के गांव (Kunwaron Ka Gaon ) एक साथ कई परेशानियों से जूझ रहा है.

झारखंड के 'कुंवारों का गांव' में नहीं देना चाहता कोई अपनी बेटी, वजह जान हो जाएंगे हैरान

जमशेदपुर: Kunwaron Ka Gaon: शादियों का सीजन चल रहा है और तरफ शहनाई की गुंज सुनाई दे रही है. लेकिन झारखंड का एक गांव ऐसा भी है, जहां कोई भी अपनी बेटी की शादी नहीं करना चाहता हैं. दरअसल झारखंड का ये कुंवारों के गांव (Kunwaron Ka Gaon ) एक साथ कई परेशानियों से जूझ रहा है. आजादी के 75 सालों के बाद भी ये गांव अभी तक मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहा है. हम बात कर रहे हैं जमशेदपुर के जिला मुख्यालय से 100 किलोमीटर दूर बहरागोड़ा प्रखंड क्षेत्र के खंडामौदा पंचायत अंतर्गत आने वाले बड़ाडहर गांव (Baradahar village ) के बारे में. यहां की बदहाली का इस बात से ही अंदाजा लगा सकते हैं कि इस में गांव जाने के लिए आपको 2 किलोमीटर पैदल चलना पड़ेता है.

गांव में पीने का पानी नहीं

बड़ाडहर गांव में रहने वाले लोग पूरे साल परेशानी में घिरे रहते हैं. कुल 20 परिवार इस गांव में रहते हैं जिनमें लगभग 215 लोग निवास करते हैं. गांव में पीने की पानी की सबस बड़ी समस्या है. वैसे एक सरकारी चापाकल गांव में तो है जिसमें 4 साल पहले मुखिया निधि से सोलर जलमीनार बनाया गया था लेकिन चापाकल में लगी मोटर भी अब मिट्टी के अंदर धंस गई है जिसके कारण गांव में पीने के पानी के लिए हाहाकार मचा हुआ है. ऐसे में गांव से 500 मीटर दूर जाकर घर की महिलाएं एवं बच्चे खाल नदी से पीने का पानी लाते हैं.

सड़क न होने से चलते कुंवारे हैं लड़के

सड़क और पीने के पानी की व्यवस्था नहीं होने के चलते लोग इस गांव में अपनी बंटी की शादी नहीं करना चाहते हैं. गांव के किसी लड़की की अगर शादी होती है तो बाराती गांव से 2 किलोमीटर दूर पैदल यात्रा कर ससुराल पहुंचते हैं. लंबे समय से इस गांव में किसी लड़के की शादी नहीं हुई है. वहीं इस गांव में सड़क औऱ पीने की पानी की समस्या का अलावा स्कूल, हॉस्पिटल जैसी बुनियादी सुविधाएं भी उपलब्ध नहीं हैं. पढ़ने के लिए गांव के बच्चों को पंचायत जाना पड़ता है. इसके अलावा गांव में यदि कोई बीमार हो जाए तो उसे एम्बुलेंस तक खाट पर लिटाकर पहुंचाया जाता है. इसके अलावा शौचालय नहीं होने के कारण गांव के लोग खुले में शौच करते हैं. बरसात के समय जब नदी अपने उफान पर होती है तो इस गांव का कनेक्शन बाकी के दुनिया से पूरी तरह से टूट जाता है.

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