बलि के बकरों से जगमग होगा रजरप्पा तीर्थ का छिन्नमस्तिका मंदिर, जानिए क्या है योजना
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बलि के बकरों से जगमग होगा रजरप्पा तीर्थ का छिन्नमस्तिका मंदिर, जानिए क्या है योजना

रामगढ़ की उपायुक्त माधुरी मिश्रा ने बताया कि श्रद्धालु मंदिर के चढ़ावे के बाद बचे हुए अपशिष्ट को नदी में डालते हैं. इससे नदी भी प्रदूषित हो रही है. इसी को देखते हुए हम लोगों ने एक प्रोजेक्ट तैयार किया है. जिला प्रशासन पशु बलि देने वाले श्रद्धालु को एक टोकन देगी.

बलि के बकरों से जगमग होगा रजरप्पा तीर्थ का छिन्नमस्तिका मंदिर, जानिए क्या है योजना

रांचीः झारखंड के रामगढ़ जिले के पास स्थित छिन्न मस्तिका मंदिर अपने रहस्य और चमत्कारों के लिए तो जाना ही जाता है. अब मंदिर की पहचान में यहां एक और खास बात जुड़ने वाली है. दामोदर और भैरवी नदी के संगम पर बसा रजरप्‍पा तीर्थ बलि के लिए जाना जाता है. मंदिर में हर रोज सैकड़ों बकरों की बलि चढ़ती है. अब यही बलि के बकरे मंदिर को जगमग करेंगे. रजरप्पा तीर्थ देवी छिन्न मस्तिका का प्रसिद्ध धाम है. 

  1. माता के मंदिर में चढ़ने वाले फूलों से बनाई जाएगी अगरबत्ती
  2. बलि के बकरों की खाल से 25 किलोवाट की बिजली बनेगी

25 किलोवाट तक की बिजली होगी तैयार
जानकारी के मुताबिक, अब इस मंदिर बलि के साथ नया प्रयोग किया जाएगा. यहां चढ़ने वाले बकरे की बलि के बाद खाल-अपशिष्ट से बिजली तैयार होगी. इसी बिजली से मंदिर की बिजली आपूर्ति पूरी की जाएगी. रोजाना कोई डेढ़-दो सौ बकरों की यहां बली चढ़ती है जिससे करीब एक हजार किलो अपशिष्‍ट निकलता है. इसी का इस्‍तेमाल बिजली तैयार करने के लिए किया जायेगा. रोजाना करीब 25 से 35 किलोवाट बिजली उत्‍पादन का आकलन किया गया है.

तैयार किया गया है प्रोजेक्ट
रामगढ़ की उपायुक्त माधुरी मिश्रा ने बताया कि श्रद्धालु मंदिर के चढ़ावे के बाद बचे हुए अपशिष्ट को नदी में डालते हैं. इससे नदी भी प्रदूषित हो रही है. इसी को देखते हुए हम लोगों ने एक प्रोजेक्ट तैयार किया है. जिला प्रशासन पशु बलि देने वाले श्रद्धालु को एक टोकन देगी.

इस टोकन के द्वारा उन्हें पशु बलि का प्रसाद दिया जाएगा और उसके वेस्ट प्रोडक्ट को मंदिर परिसर में बने मिथिनेशन प्लांट में डाल दिया जाएगा. इससे तकरीबन 25 किलोवाट से अधिक की बिजली का प्रोडक्शन हो सकता है. इससे मंदिर परिसर में लाइट के लिए प्रयोग होनेवाले बिलजी में किया जायेगा

फूलों से बनेगी अगरबत्ती
मंदिर में रोजाना बड़ी मात्रा में श्रद्धालु फूल चढ़ाते हैं, उस फूल से अगरबत्‍ती बनाने की योजना है. सेमी ऑटोमेटिक स्‍लॉटर हाउस और अगरबत्‍ती के लिए प्रोसेसिंग यूनिट तथा बिजली उत्‍पादन के लिए एक अलग यूनिट रहेगी. मीथेन गैस की यूनिट से बिजली उत्‍पादन के साथ कूकिंग गैस का भी काम हो सकेगा. अपशिष्‍ट के इस इस्‍तेमाल से नदी भी प्रदूषित होने से बचेगी, क्‍योंकि अपशिष्‍ट का बड़ा हिस्‍सा नदी में चला जाता था. 

बढ़ जाएगी खूबसूरती
कोयले का प्रचुर भंडार समेटे रामगढ़ में डीएमएफटी यानी डिस्ट्रिक्‍ट मिनरल फाउंडेशन ट्रस्‍ट से करीब 72 लाख रुपये खर्च होंगे. जिला प्रशासन के करीब तीन माह के अध्‍ययन के बाद परियोजना रिपोर्ट तैयार कराया है. एक साल के भीतर इसे जमीन पर उतारने की योजना है. हाल के वर्षों में सरकार ने यहां आधारभूत संरचना का काफी काम किया है. बलि और फूल के अपशिष्‍ट के इस्‍तेमाल से इसकी 'खूबसूरती' और बढ़ जायेगी.

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