रांची में शुक्रवार की हिंसा के दौरान जिस युवक की हुई मौत, उसके परिजनों ने पुलिस पर लगाए गंभीर आरोप
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रांची में शुक्रवार की हिंसा के दौरान जिस युवक की हुई मौत, उसके परिजनों ने पुलिस पर लगाए गंभीर आरोप

शुक्रवार को मेन रोड में जब हिंसक घटना घटी उसमें दो लोगों की मौत हुई है, जबकि कई लोग घायल हुए थे. घटना के दिन हिंदी पीढ़ी के मुद्दसिर की भी गोली लगने से मौत हुई थी. 

(फाइल फोटो)

रांची: रांची में शुक्रवार को मेन रोड में उत्पात मचा रही भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पुलिस ने फायरिंग की थी. जिसमें गोली लगने से दो की मौत हो गई थी. बता दें कि शुक्रवार को मेन रोड में जुमे की नवाज के बाद जो जुलूस निकाली गई थी उसके हिंसक होने और उपद्रव मचाने के दौरान दो लोगों की मौत हो गई थी. भीड़ हिंसक थी और पुलिस के रोकने के बाद भी लगातार उत्पाद मचा रही थी, उस दौरान भीड़ पथराव कर रही थी, जिससे कई पुलिसकर्मियों को चोट भी आई थी. 

हालात को नियंत्रण में करने के लिए पुलिस को कई राउंड गोली भी चलानी पड़ी थी. घटना के दौरान हिंदी पीढ़ी के लाइन रोड निवासी मुद्दिसीर की भी मौत हुई थी. मृतक के परिजन इस घटना को जानबूझ कर पुलिस प्रशासन के द्वारा अंजाम देने का आरोप लगा रहे हैं और इसके एसआईटी जांच के बजाय न्यायिक जांच की मांग कर रहे हैं. परिजनों का ये भी आरोप है डेली मार्केट थाना इनके एफआईआर को नहीं ले रही है. 

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शुक्रवार को मेन रोड में जब हिंसक घटना घटी उसमें दो लोगों की मौत हुई है, जबकि कई लोग घायल हुए थे. घटना के दिन हिंदी पीढ़ी के मुद्दसिर की भी गोली लगने से मौत हुई थी. 

मुद्दसिर के परिजनों का कहना है, मृतक मुद्दसिर के पिता परवेज आलम, जो स्ट्रीट लाइन मुहल्ला हिंदी पीढ़ी के रहने वाले हैं. जो हर दिन डेली मार्केट थाना के पास फल की दुकान लगाते थे. परिजनों का आरोप है जिस दिन घटना घटी उस दिन मृतक मुद्दसिर जुलूस के वक्त तक अपने पिता के साथ फल के दुकान पर था. जब जुलूस आई तो वो भी उसमें शामिल हो गया था और कुछ ही देर में गोली का शिकार हो गया. 

परिवार वालों का कहना है कि इतने मासूम बच्चे को कोई मारता भी नहीं है पर उसे गोली से निशाना बनाया गया. मृतक मुद्दसिर अपने पिता परवेज आलम का इकलौता संतान था. अब पुलिस, प्रशासन और राज्य सरकार से उसके परिजना इंसाफ चाहते हैं. 

मृतक मुद्दसिर के चाचा ने कहा कि सिर्फ रांची नहीं पूरे भारत में मुसलमानों के खिलाफ एक मानसिकता बना लिया गया है. मुसलमान है तो आतंकवादी है, दोषी है. उसी का परिणाम है.  अगर बात आ रही है कि बाहरी लोग इस तरह की घटना के पीछे थे तो सिद्ध करें. मधुमक्खी के छत्ते में ईंट मरिएगा तो मधुमक्खी आपको देख कर डंसेगी. आप पत्थर मारियेगा तो हमलोग फूल बरसायेंगे. 

उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि अगर जुलूस जा रहा था तो पुलिस की क्या तैयारी थी. कितने जगह बैरिकेटिंग लगाए थे. उसको रोकने का कहां प्रयास किया. कुल मिलाकर कहें तो उन लोगों की प्लानिंग थी कि जुमा के नमाज के बाद जुलूस निकलेगा तो मारो इन लोगों को. प्रशासन से लेकर सरकार तक की प्री प्लानिंग थी. न्यायिक लड़ाई हमलोग इसको लेकर सड़क से लेकर सदन तक लड़ेंगे ताकि इंसाफ मिले. 

मृतक मुद्दसिर के चाचा का आरोप है कि गोली मंदिर से भी चल रही थी और पुलिस भी चला रही थी. पुलिस जिस तरीके से गोली चला रही थी वो चिंता का विषय है. सिविलियन से ऐसे लड़ा जाता है. गोली के आलावे भी कई विकल्प थे. ऐसा लग रहा था पुलिस आतंकवादियों से लड़ रही थी. आला अधिकारी, नौकरशाह सभी इसमें दोषी हैं. मेरे बच्चे को कौन सी गोली लगी हम नहीं जानते हैं पर गोली लगी है और मौत हुई है. अभी तक सरकार की तरफ से कोई बयान नहीं आया है कि हमारे बच्चे को इंसाफ मिलेगा. इस घटना की जांच के लिए एसआईटी गठित हुआ है, पर हमें सरकार के इस जांच पर पुलिस प्रशासन के जांच पर कोई भरोसा नहीं है. इसकी न्यायिक जांच हो. सभी वर्ग के कमेटी मिल कर न्यायिक जांच करे. 

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