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रांची: RIMS: रिम्स के अराजपत्रित कर्मचारियों ने अपनी मांगों को लेकर शुक्रवार को धरना प्रदर्शन किया. कर्मचारियों ने रिम्स प्रबंधन के खिलाफ आक्रोश व्यक्त किया और जमकर नारेबाजी की. लेकिन इस आंदोलन का असर अस्पताल में आने वाले मरीजों पर पड़ रहा है. अस्पताल और कर्मचारियों के बीच की लड़ाई में मरीजों को उन्हें परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.
रोका जाए अवैध वसूली
रिम्स अराजपत्रित कर्मी अपनी दो मांगे ईपीएफ के अवैध कटौती और 10-15 साल से जो कर्मी दैनिक मजदूरी पर कार्यरत हैं उनके समायोजन को लेकर आंदोलनरत है. रिम्स अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष रानी खलखो ने बताया कि करीब 20 सालों से जो रिम्स में कार्य कर रहे हैं. उनको दैनिक मजदूर पर समायोजित करने की शाशि परिषद के बैठक में निर्णय लिया गया था उस पर अभी तक विचार नहीं किया जा रहा है. साथ ही ईपीएफ अवैध वसूली की जा रही है. एनपीएस के साथ ईपीएफ की कटौती की जा रही है. किसी भी संस्थान में दो कटौतीयां नहीं की जा सकती है. विभाग के तरफ से भी लेटर आया हुआ है, इसमें जो भी दोषी है उन पर कार्रवाई की जाए. इसकी अवैध वसूली जल्द से जल्द रोका जाए. रिम्स प्रबंधन का रवैया पूरी तरह से निराशा पूर्ण है.
ओपीडी सेवा बंद करने की धमकी
महासंघ के महासचिव धीरेंद्र प्रसाद ने कहा कि रिम्स में दैनिक मजदूर कार्यरत हैं, उनके नियमितीकरण का जो माननीय उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय का आदेश प्राप्त है. रिम्स प्रबंधन इस पर भी ध्यान नहीं दे रहा है. हमारा आंदोलन चलता रहेगा अगर रिम्स प्रबंधन हमारी मांगों पर विचार नहीं करता है तो हम लोग अंत में ओपीडी सेवा को बंद करेंगे. मरीजों को जो भी परेशानी होगी उसके लिए रिम्स प्रशासन दोषी होंगे.
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मरीजों के लिए वैकल्पिक व्यवस्था
वहीं मरीजों को हो रही परेशानियोंपर रिम्स के पीआरओ डॉक्टर कृष्ण मुरारी ने बताया कि जब यह लोग दैनिक मजदूर थे ,तभी इनका ईपीएफ काटना चाहिए था जो उस समय नहीं कटा, इसीलिए इनकी डबल कटौती हो रही है. अभी जीबी में बात चल रही है कि आगे समय में कुछ किया जाए. अगर यह लीगल नहीं है तो इस पर वकील से सलाह लिया जाएगा. तभी प्रबंधन आगे कुछ कदम उठाएगी. वहीं आंदोलन से मरीजों पर पड़ने प्रभाव पर उन्होंने कहा कि हम लोग इसके लिए देख रहे हैं कि मरीजों का किस तरीके से ख्याल रखा जाए. मरीजों के लिए कुछ ना कुछ वैकल्पिक व्यवस्था की जाएगी.