पक्की सड़क को तरसता गुमला का एक गांव, जान हथेली पर रखकर सफर करने को मजबूर ग्रामीण
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पक्की सड़क को तरसता गुमला का एक गांव, जान हथेली पर रखकर सफर करने को मजबूर ग्रामीण

गुमला के अति नक्सल प्रभावित मरचाई पाठ गांव में अब तक पक्की सड़क नहीं पहुंची है. ऐसे में लोग गांव से बाहर आने-जाने के लिए नदी का सहारा लेते हैं. बरसात में तो हालात बेहद खराब हो जाते हैं.

 

पक्की सड़क को तरसता गुमला का एक गांव. (प्रतीकात्मक तस्वीर)

Gumla: गुमला जिले के सुदुरवर्ती मरचाई पाठ गांव में आजादी के इतने साल बीत जाने के बाद भी पक्की सड़क नहीं पहुंची है. ऐसे में ग्रामीण जान जोखिम में डालकर सफर करने को मजबूर हैं. गांव से बाहर जाने के लिए लोगों को नदी पार करनी पड़ती है. मामला गुमला जिले के डुमरी प्रखण्ड के करनी पंचायत मरचाई पाठ गांव का है. यहां अब तक ग्रामीणों को सड़क की सुविधा नहीं मिली है. लोगों को डुमरी प्रखण्ड मुख्यालय आना पड़ता है, जहां से वे नदी पार कर आवाजाही करते हैं. 

बरसात में बढ़ जाती है परेशानी
वहीं, बरसात के समय गांव में दिक्कत और भी ज्यादा बढ़ जाती है. बारिश के मौसम में नदी का जलस्तर बढ़ जाता है और इस दौरान गांव के लोगों का प्रखण्ड मुख्यालय से सम्पर्क भी टूट जाता है. बरसात में ये क्षेत्र पूरी तरह से टापू में तब्दील हो जाता है.  

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क्षेत्र से जुड़े हुए हैं बड़े नेता
बता दें कि इसी क्षेत्र से लोहरदग्गा के सांसद सुदर्शन भगत और पूर्व विधायक शिवशंकर उरांव भी आते हैं बावजूद इसके गांव का विकास नहीं हो पाया है. गांव के लोगों ने सड़क के लिए लिखित रूप से आवेदन भी दिया और संबधित अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों से भी गुहार लगाई गई लेकिन किसी ने भी गांव वालों की सुध नहीं ली.

सरकार के मंसूबों पर पानी फेर रहे अधिकारी
वैसे ये क्षेत्र नेताओं का गढ़ भी है. इसके बावजूद मरचाई पाठ गांव की अब तक अनदेखी की गई. एक तरफ सरकार गली-गली तक सड़क पहुंचाने की कोशिश कर रही है. वहीं, कुछ अधिकारी सरकार के मंसूबों पर पानी फेर रहे हैं. मरचाई पाठ गांव भी इसी दंश को झेल रहा है.

एक हकीकत ये भी है कि गांव में विकास के दरवाजे खुलने के लिए यहां तक पहुंचना आसान होना चाहिए. यानि गांव में पक्की सड़क होनी चाहिए. ऐसे में मरचाई पाठ गांव के विकास को लेकर जिला प्रशासन को गंभीर होने की जरूरत है.

(इनपुट- रणधीर)

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