Jharkhand News: अंधकार में जा रहा विद्यार्थियों का भविष्य! खूंटी में कम शिक्षकों में चल रहे अनेक विद्यालय
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Jharkhand News: अंधकार में जा रहा विद्यार्थियों का भविष्य! खूंटी में कम शिक्षकों में चल रहे अनेक विद्यालय

Teachers Day Special: खूंटी में विद्यार्थियों का भविष्य अंधकार में जा रहा है. ऐसा हम इसलिए कह रहे है क्योंकि झारखंड के खूंटी में कई ऐसे विद्यालय है जिसमें दो टीचर आठवीं तक के छात्रों को पढ़ा रहे है तो किसी में एक ही कमरे में तीन कक्षाओं तक के विद्यार्थी एक साथ पढ़ाई कर रहे है. 

Jharkhand News: अंधकार में जा रहा विद्यार्थियों का भविष्य! खूंटी में कम शिक्षकों में चल रहे अनेक विद्यालय

खूंटीः Khunti News: झारखंड के खूंटी में सरकारी विद्यालय में कम शिक्षकों में अधिक कक्षा का अध्यापन शिक्षकों के साथ-साथ अब विद्यार्थियों को भी भारी पड़ने लगा है. कम शिक्षक शिक्षिकाओं में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा व पूरी कक्षा के साथ ज्ञान पाने या देने वाले शब्द बेकार की बात साबित होती है. जिले के कई ऐसे सरकारी प्राथमिक व मध्य विद्यालय एक दो शिक्षकों के बदौलत जिंदा है. जहां विद्यार्थियों को नाममात्र पढ़ाई का लाभ मिल पाता है. जहां एक-एक शिक्षिका एक साथ दो-तीन कक्षा को एक साथ पढ़ाती हैं. जिसमें खूंटी प्रखण्ड के जोजोहातु गांव के मध्य विद्यालय, मध्य विद्यालय संडासोम, मध्य विद्यालय फूदी, नव प्राथमिक विद्यालय टोड़ांगकेल के अलावा और कई विद्यालय हैं.

शिक्षक शिक्षिकाओं के अलावा विद्यालय के विद्यार्थियों ने भी अपने भविष्य को उज्जवल बनाने के लिए शिक्षक शिक्षिकाओं की मांग करते रहे हैं. राजकीय मध्य विद्यालय की प्रभारी शिक्षिका ने बताया कि दो शिक्षाओं के बदौलत आठवीं कक्षा तक के विद्यार्थियों को पढ़ना पड़ता है और हम दोनों पांचवीं कक्षा तक के लिए बहाल हुए हैं. राजकीय मध्य विद्यालय फुद्दी की शिक्षिका ने बताया कि एक ही कमरे में दो कक्षाओं के विद्यार्थियों को पढ़ाना पड़ता हैं.

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नव प्राथमिक विद्यालय टोड़ांगकेल की शिक्षिका ने बताया कि एक ही कमरे में तीन कक्षाओं तक के विद्यार्थियों को एक साथ बिठाते हैं. संडास हम गांव के राजकीय उत्क्रमित मध्य विद्यालय की प्रभारी शिक्षिका ने बात करते हुए बताया कि विद्यालय में वह अकेली शिक्षिका है. जिसे आठवीं कक्षा तक के विद्यार्थी को पढ़ने के लिए काफी समस्या होती है. इधर विद्यार्थियों ने भी शिक्षकों की मांग की है.

वही ग्रामीणों का कहना है कि एक स्वस्थ और अच्छी शिक्षा के लिए शिक्षकों का होना आवश्यक है. लेकिन इस पर ना तो जनप्रतिनिधि ध्यान देते हैं और ना ही प्रशासन. अरुण सांगा ने बताया कि यह जनजाति है, बाहुल्य क्षेत्र है. जहां अच्छी शिक्षा के लिए शिक्षकों की बहाली करना आवश्यक है या जहां अधिक शिक्षक शिक्षिकाएं वहां से ऐसे विद्यालय में शिक्षक को भेजना चाहिए.
इनपुट- ब्रजेश कुमार, खूंटी 

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