Jharkhand News: खूंटी के संडासोम गांव के राजकीय मध्य विद्यालय में केवल एक शिक्षिका काकोली पाल के भरोसे कक्षा 1 से 8 तक कि पढ़ाई हो रही है. एक शिक्षक का प्रखण्ड संसाधन केंद्र जाने के क्रम में दर्दनाक सड़क दुर्घटना हो गया था, जो आज भी इलाजरत हैं. इसके बाद से वह अकेले ही स्कूल चला रही हैं. जिससे बच्चों की शिक्षा प्रभावित हो रही है.
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Jharkhand News: खूंटी जिले के संडासोम गांव स्थित राजकीय मध्य विद्यालय की स्थिति बेहद चिंताजनक है. जहां कक्षा 1 से 8 तक के बच्चों की शिक्षा का दायित्व केवल एक शिक्षिक काकोली पाल के कंधों पर टिका हुआ है. यह विद्यालय बीते दो महीनों से इसी एकमात्र शिक्षिका के भरोसे चल रहा है. जिसके कारण विद्यालय का संचालन और बच्चों की पढ़ाई दोनों बुरी तरह प्रभावित हो रहा है.
इस विद्यालय में पहले दो शिक्षक थे. एक शिक्षक का प्रखण्ड संसाधन केंद्र जाने के क्रम में दर्दनाक सड़क दुर्घटना हो गया था। जो आज भी इलाजरत हैं. जिसके बाद से काकोली पाल अकेले ही इस विद्यालय का संचालन कर रही हैं. उन्हें न केवल सभी कक्षाओं के लिए अध्ययन करना पड़ता है बल्कि स्कूल के भोजन की सूची भरना, कार्यालय की कागजी कार्रवाई और प्रखंड संसाधन केंद्र में आवश्यक मीटिंग में भी भाग लेना पड़ता है. जब भी वह किसी कार्य के लिए विद्यालय से बाहर जाती है तो उन्हें बच्चों को बड़ी बच्चियों और रसोइया के भरोसे छोड़ना पड़ता है.
जिससे बच्चों की पढ़ाई पर प्रभाव पड़ता है. विद्यालय की शिक्षिका ने बताया कि, जब वह कक्षाएं लेती है तो एक कक्षा को काम देकर दूसरी कक्षा को पढ़ाना पड़ता है. इस व्यवस्था में बड़ी कक्षाओं के बच्चे नीचे की कक्षाओं के बच्चों को पढ़ाने में मदद करते हैं. इसके बावजूद बच्चों की शिक्षा प्रभावित हो रही है और अभिभावक अपने बच्चों को इस विद्यालय से निकाल कर दूसरे विद्यालय में मजबूरी में भेज रहे हैं. विद्यालय की छात्रा तारामनी कुमारी ने बताया कि अकेले शिक्षिका के भरोसे पूरे विद्यालय की पढ़ाई संभालना कठिन हो गया है.
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जब भी शिक्षिका बहार जाती है तो पढ़ाई में बहुत दिक्कत होती है. आरती कुमारी ने कहा कि जब मैडम मीटिंग में चली जाती हैं. तो हमे छोटे बच्चों को पढ़ाने में मदद करनी पड़ती है, लेकिन इससे हमारी पढ़ाई अधूरी रह जाती है. वहीं सलोनी कुमारी ने भी इस समस्या की तरफ इशारा करते हुए कहा कि कक्षा 1 से 8 तक की सभी कक्षाओं को पढ़ाना बेहद मुश्किल हो गया है. काकोली पाल ने कई बार अधिकारियों से अतिरिक्त शिक्षकों के लिए गुहार लगाई है. लेकिन अब तक कोई समाधान नहीं निकला है.
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जनजातीय क्षेत्र का यह विद्यालय जहां कभी 250 से अधिक विद्यार्थी पढ़ते थे. अब शिक्षक की कमी के कारण धीरे-धीरे खाली होता जा रहा है आवश्यकता है कि इस विद्यालय में और शिक्षकों की नियुक्ति की जाए ताकि बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल सके और उनका भविष्य उज्जवल हो सके.
इनपुट - ब्रजेश कुमार
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