Bihar Floor Test: नीतीश सरकार की ओर से अगर क्राइसिस मैनेजमेंट ठीक से नहीं किया गया तो यह एनडीए के लिए बहुत बड़ा झटका साबित हो सकता है. लोकसभा चुनाव के मुहाने पर अगर एनडीए को ऐसा झटका लगता है तो इससे राजद और उसके कार्यकर्ताओं को मनोवैज्ञानिक तौर पर बहुत अधिक बढ़त मिल सकती है.
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Bihar Floor Test: बिहार विधानसभा का बजट सत्र शुरू हो चुका है. स्पीकर की कुर्सी पर अवध बिहारी चौधरी बैठ चुके हैं और राज्यपाल का अभिभाषण शुरू हो चुका है. राज्यपाल के अभिभाषण के बाद विधानसभा अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा और वोटिंग हो सकती है. इससे पहले खबर आ रही है कि राजद के 2, जेडीयू के 3 और भाजपा के 3 विधायक विधानसभा नहीं पहुंचे हैं. जाहिर सी बात है कि ये विधायक अनुपस्थित रहकर अपने विरोधी दलों को फायदा पहुंचा सकते हैं. अब सवाल यह है कि सत्ताधारी दल या गठबंधन के विधायक क्यों टूटेंगे और विरोधी दल राजद के साथ जाने से उन्हें क्या फायदा हो सकता है. वहीं एक सवाल यह भी है कि राजद जैसे कैडर बेस पार्टी के विधायक क्यों टूटेंगे और नीतीश कुमार को फायदा पहुंचाकर उन्हें क्या हासिल हो सकता है.
यह बताने की जरूरत नहीं है कि आने महीनों में लोकसभा चुनाव होने वाले हैं. बिहार के कुछ विधायक लोकसभा जाने को इच्छुक हैं और संभव है कि विरोधी दल से उन्हें लोकसभा चुनाव में टिकट देने का लालच मिला हो. राजद के विधायक अगर टूटते हैं तो हो सकता है कि ऐसे विधायकों को मंत्री बनने का लालच हो. और अगर मंत्री पद न मिला तो बहुत संभव है कि लोकसभा चुनाव के लिए टिकट मिल जाए. इसी तरह अगर भाजपा या जेडीयू के विधायक टूटते हैं और राजद को फायदा पहुंचाते हैं तो उन्हें लोकसभा चुनाव का टिकट मिलने का लालच हो सकता है. इसके अलावा धनबल का इस्तेमाल भी इसके पीछे का एक कारण हो सकता है.
कहां तो टूट की बात कांग्रेस के लिए कही जा रही थी, लेकिन अब कांग्रेस को छोड़कर राजद, भाजपा और जेडीयू तीनों इसकी जद में आ गए हैं. राजद के 2 विधायक चेतन आनंद और नीलम देवी, भाजपा की रश्मि वर्मा, भागीरथी देवी और मिश्रीलाल और जेडीयू की बीमा भारती, डा. संजीव और दिलीप अभी तक विधानसभा नहीं पहुंचे हैं, जबकि वहां राज्यपाल का अभिभाषण चल रहा है. इस तरह कांग्रेस को छोड़कर राजद, भाजपा और जेडीयू तीनों दलों में एक तरह से सेंधमारी हो गई है. अब किसने किस दल में सेंधमारी की है, यह तो आपको पता ही होगा, इसमें बताने जैसा कुछ है ही नहीं. सत्तारूढ़ गठबंधन के लिए चिंताजनक बात यह है कि उनके 6 विधायक लापता हैं और बदले में वे 2 विधायकों को ही लापता करवा पाए हैं.
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नीतीश सरकार की ओर से अगर क्राइसिस मैनेजमेंट ठीक से नहीं किया गया तो यह एनडीए के लिए बहुत बड़ा झटका साबित हो सकता है. लोकसभा चुनाव के मुहाने पर अगर एनडीए को ऐसा झटका लगता है तो इससे राजद और उसके कार्यकर्ताओं को मनोवैज्ञानिक तौर पर बहुत अधिक बढ़त मिल सकती है. भले ही उसके भी 2 विधायकों का पता नहीं है, लेकिन सरकार को खतरा होता है तो राजद इसे अपनी जीत के तौर पर प्रचारित करेगी और हाल ही में भाजपा के साथ गए जेडीयू के साथ साथ खुद भाजपा कार्यकर्ताओं का मनोबल भी गिर सकता है.