Lok Sabha Election 2024: बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व ने इस बार चिराग को पूरा भरोसा दिया है. यही वजह है कि एनडीए सरकार के शपथ ग्रहण में बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा अपने साथ चिराग को लेकर पहुंचे थे. इससे नीतीश कुमार को संदेश देने की कोशिश थी कि इस बार वह चिराग को अकेला ना समझें.
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Lok Sabha Election 2024: बिहार में सियासी उठापटक समाप्त होने का नाम नहीं ले रही है. लोकसभा चुनाव से ठीक पहले नीतीश कुमार के हृदय परिवर्तन से जहां INDIA ब्लॉक को तगड़ा झटका लगा है वहीं NDA का भी सीट शेयरिंग का गेम गड़बड़ा गया है. दरअसल, नीतीश कुमार की एनडीए में वापसी से अन्य छोटे दल खुद को असहज महसूस कर रहे हैं. उन्हें लगता है कि नीतीश कुमार के आने से ना सिर्फ उनकी वैल्यू कम हो गई है, बल्कि उनके हिस्से की सीटें भी जेडीयू को दी जा सकती हैं. सीएम नीतीश से सबसे ज्यादा खतरा तो लोजपा रामविलास के अध्यक्ष चिराग पासवान महसूस कर रहे हैं.
दरअसल, चिराग पासवान की छवि नीतीश कुमार का धुर-विरोधी के रूप में हैं. वह हमेशा से नीतीश कुमार की आलोचना करते रहे हैं. इसी वजह से रामविलास पासवान के निधन के बाद नीतीश कुमार ने चिराग को ना सिर्फ एनडीए से बाहर कराया था, बल्कि चाचा पशुपति पारस को भी उनके खिलाफ कर दिया. इससे चिराग बिल्कुल अकेले पड़ गए थे. खुद को 'पीएम मोदी का हनुमान' बताने के बाद भी चिराग को बीजेपी से कोई सहारा नहीं मिला था. अब नीतीश के वापस आने के बाद चिराग को अपना राजनीतिक भविष्य संकट में दिख रहा है.
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हालांकि, बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व ने इस बार चिराग को पूरा भरोसा दिया है. यही वजह है कि एनडीए सरकार के शपथ ग्रहण में बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा अपने साथ चिराग को लेकर पहुंचे थे. इससे नीतीश कुमार को संदेश देने की कोशिश थी कि इस बार वह चिराग को अकेला ना समझें. इसके बाद भी चिराग को भरोसा नहीं हो रहा है. शायद यही करण है कि उन्होंने 11 लोकसभा सीटों के लिए प्रभारियों का ऐलान कर दिया है. इससे सीट शेयरिंग का गणित उलझ सकता है. वहीं सूत्रों का कहना है कि ये भी बीजेपी आलाकमान के संकेत पर किया है.
सूत्रों का कहना है कि बीजेपी नेतृत्व इस बार नीतीश कुमार को अपनी शर्तों पर चलाना चाहता है. वहीं नीतीश भी प्रेशर पॉलिटिक्स के प्रिसिंपल माने जाते हैं. वह भी इतनी आसानी से बीजेपी की शर्ते नहीं मानने वाले हैं. सीट शेयरिंग को लेकर बीजेपी ने जो फॉर्मूला तैयार किया है उसके मुताबिक, बीजेपी 17 सीटों पर लड़ेगी और जेडीयू को इस बार 13 सीटें मिलेगी, बाकी बची सीटों पर सहयोगियों को एडजस्ट किया जाएगा. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, अगर सीएम नीतीश को यह फॉर्मूला मंजूर नहीं हुआ तो बीजेपी एक बार फिर से 'फॉर्मूला 2020' का सहारा लेगी. यही वजह है कि बीजेपी ने चिराग को आगे कर दिया है.
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सूत्रों के मुताबिक, जेडीयू को झारखंड और नार्थ-ईस्ट राज्यों में भी कुछ सीटें दी जा सकती हैं. इतने पर भी अगर नीतीश कुमार ने बिफरने की कोशिश की, तो चिराग को एक्टिवेट कर दिया जाएगा. इससे 2020 बिहार विधानसभा चुनाव की तरह 2024 में भी ऐन मौके पर बिहार में बड़ा राजनीतिक उलटफेर देखने को मिल सकता है. बीजेपी को इससे शायद ही कोई नुकसान हो लेकिन इसका पूरा खामियाजा बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उनकी पार्टी जेडीयू को उठाना पड़ सकता है.