Lok Sabha Election 2024: JDU कैंडिडेट लिस्ट में नीतीश कुमार ने साधा जातीय समीकरण, देखें लालू यादव की कैसी है तैयारी?
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Lok Sabha Election 2024: JDU कैंडिडेट लिस्ट में नीतीश कुमार ने साधा जातीय समीकरण, देखें लालू यादव की कैसी है तैयारी?

Bihar Politics: नीतीश कुमार ने 16 सीटों में से 6 पिछड़ा और 5 अति पिछड़ा वर्ग से आने वाले नेताओं को टिकट दिया है. एक अल्पसंख्यक और एक हरिजन जाति के नेता को भी टिकट मिला है. वहीं दूसरी ओर राजद सुप्रीमो लालू यादव भी इस बार जातीय घेराबंदी करते हुए मैदान में उतर रहे हैं. वह अब तक अपने 10 प्रत्याशियों को चुनावी सिंबल बांट चुके हैं.

लालू यादव बनाम नीतीश कुमार

Bihar Politics: लोकसभा चुनाव 2024 के लिए नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड ने अपनी 16 सीटों पर उम्मीदवारों के नाम की घोषणा कर दी है. नीतीश कुमार ने टिकट वितरण में जातीय समीकरण का खासा ध्यान रखा है. दरअसल, बिहार में हुई जातिगत गणना की रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश में सबसे ज्यादा आबादी अति पिछड़ा समाज की है. जातिगत गठना की रिपोर्ट के बाद सभी राजनीतिक दल जातीय समीकरण को सेट करते हुए दिख रहे हैं. जेडीयू की ओर से 16 में से 11 उम्मीदवार ऐसे हैं जो पिछड़ा और अति पिछड़ा समाज से आते हैं. वहीं सवर्ण जाति के 3 नेताओं टिकट दिया गया है. एक अल्पसंख्यक और एक हरिजन जाति के नेता को भी टिकट मिला है. 

नीतीश कुमार ने 6 पिछड़ा और 5 अति पिछड़ा वर्ग से आने वाले नेताओं को टिकट दिया है. वहीं गोपालगंज से जेडीयू का टिकट पाने वाले आलोक कुमार सुमन महादलित समाज से ताल्लुक रखते हैं. किशनगंज से मुजाहिद आलम को मैदान में उतारा गया है. इस तरह से नीतीश कुमार ने मुस्लिम समाज को भी साधने की कोशिश की है. मुंगेर, सीतामढ़ी और शिवहर से सवर्ण जाति के प्रत्याशियों पर दांव खेला गया है. पार्टी ने मुंगेर से ललन सिंह, सीतामढ़ी से देवेश चंद्र ठाकुर और शिवहर से लवली आनंद को मौका दिया गया है.

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नीतीश कुमार ने अपने कोटे की 16 सीटों में दो महिलाओं को भी टिकट देने का काम किया है. बीजेपी ने इस बार सीटों के बंटवारे में शिवहर सीट को जेडीयू को दी है. नीतीश कुमार ने यहां से लवली आनंद को मैदान में उतारा है. तो वहीं सिवान सीट से कविता सिंह का टिकट काटकर विजय लक्ष्मी कुशवाहा को उम्मीदवार बनाया गया है. काराकाट से जेडीयू के महाबली सिंह का टिकट कट गया है, क्योंकि इस बार ये सीट उपेंद्र कुशवाहा की रोलोमो को मिली है. इसी तरह से गया से विजय मांझी का टिकट कट गया है, क्योंकि यह सीट जीतन राम मांझी की पार्टी हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा को मिली है. सीतामढ़ी से सुनील कुमार पिंटू का टिकट काटकर उनकी जगह पर दिनेश चंद्र ठाकुर को उम्मीदवार बनाया गया है.

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लालू यादव की कैसी है तैयारी?

राजद अध्यक्ष लालू यादव भी इस बार जातीय घेराबंदी करते हुए मैदान में उतर रहे हैं. वह अब तक अपने 10 प्रत्याशियों को चुनावी सिंबल बांट चुके हैं. राजद की पहली लिस्ट में गया से कुमार सर्वजीत, नवादा से श्रवण कुशवाहा, औरंगाबाद से अभय कुशवाहा और जमुई से अर्चना रविदास को पार्टी का सिंबल दिया गया है. इसी तरह से बांका संसदीय क्षेत्र से दावेदार रहे जय प्रकाश नारायण यादव और मुंगेर सीट पर अशोक महतो की पत्नी अनिता कुमारी को सिंबल दे दिया गया है. सूत्रों के मुताबिक, पाटलिपुत्र संसदीय सीट से लालू प्रसाद ने अपनी पुत्री डा. मीसा भारती, जहानाबाद से पूर्व मंत्री सुरेंद्र यादव और बक्सर से सुधाकर सिंह को सिंबल दिया है. इसी तरह से उजियारपुर से पूर्व मंत्री आलोक मेहता पार्टी के टिकट पर उम्मीदवार होंगे. इससे पहले अभय सिंह कुशवाहा को औरंगाबाद से नवादा से श्रवण कुशवाहा, गया से पूर्व मंत्री कुमार सर्वजीत जबकि जमुई से अर्चना रविदास को चुनावी सिंबल दिया गया था.

'MY' की जगह 'BAAP' पर फोकस! 

पहली टिकट में दलित और महादलित पर फोकस किया गया है. राजनीतिक पंडितों का कहना है कि बिहार में जातिवाद का फैक्टर हमेशा से बहुत अहम रहा है. लालू यादव की पार्टी को 'MY' यानी 'मुस्लिम-यादव' का टैग लगा हुआ है. पिछले तीन दशक से लालू की पार्टी को यादवों और मुस्लिमों का वोट मिल रहा है. पिछले लोकसभा चुनाव में भी महागठबंधन को 56% यादवों और 65% मुस्लिमों का वोट मिला था. हालांकि, इस वोटबैंक को छोड़कर अन्य जातियों को लुभाने में महागठबंधन नाकाम रहा था. एनडीए की प्रचंड जीत का सबसे बड़ा कारण भी यही था. 

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