Bihar Politics News: प्रशांत किशोर को तो 2015 के विधानसभा चुनाव के बाद पार्टी में नंबर 2 की हैसियत दी गई थी और उन्हें युवाओं को पार्टी से जोड़ने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी. ऐसा कर पाने में प्रशांत किशोर नाकाम रहे. 2017 आते- आते प्रशांत किशोर ने नीतीश कुमार से नाता तोड़ लिया. वहीं, नीतीश कुमार ने 9वीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली है तो उसके पीछे संजय झा की रणनीति बताई जा रही है.
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Bihar Politics: जो लोग नीतीश कुमार के बाद जनता दल यूनाइटेड के खात्मे की बात कह रहे थे, वे शायद मुगालते में थे. ऐसे लोगों को लगता था कि नीतीश कुमार ने पार्टी में नेक्स्ट जेनरेशन वाली लीडरशिप डेवलप नहीं की या डेवलप हो नहीं पाई. इस तरह के लोग जनता दल यूनाइटेड का हाल आल इंडिया अन्ना द्रमुक मुनेत्र कड़गम यानी एआईएडीएमके और बहुजन समाज पार्टी जैसी होने का हवाला दे रहे थे. इसके पीछे इनके अपने तर्क होते थे. इन पार्टियों में भी नेक्स्ट जेनरेशन की लीडरशिप डेवलप नहीं हो पाई या फिर जयललिता और मायावती ने डेवलप किया ही नहीं. इसलिए आज एआईएडीएम और बहुजन समाज पार्टी का बुरा हाल है. पर अब जनता दल यूनाइटेड के साथ ऐसा नहीं होगा, क्योंकि पार्टी के सर्वेसर्वा नीतीश कुमार ने अपना उत्तराधिकारी चुन लिया है. नीतीश कुमार के उत्तराधिकारी कोई और नहीं, बल्कि उनके सबसे विश्वासपात्र रणनीतिकार संजय झा हो सकते हैं. संजय झा को हाल ही में जनता दल यूनाइटेड की ओर से राज्यसभा के लिए नामित किया गया है.
फेल हुए पीके, आरसीपी और ललन
ऐसा नहीं है कि नीतीश कुमार ने जनता दल यूनाइटेड में लीडरशिप डेवलप करने की कोशिश नहीं की. नीतीश कुमार ने इसके लिए आरसीपी सिंह, ललन सिंह और प्रशांत किशोर को मौका दिया. प्रशांत किशोर को तो 2015 के विधानसभा चुनाव के बाद पार्टी में नंबर 2 की हैसियत दी गई थी और उन्हें युवाओं को पार्टी से जोड़ने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी. ऐसा कर पाने में प्रशांत किशोर नाकाम रहे. 2017 आते- आते प्रशांत किशोर ने नीतीश कुमार से नाता तोड़ लिया. उसके बाद नीतीश कुमार आरसीपी सिंह पर भरोसा किया. आरसीपी सिंह पर आरोप लगा कि वे भाजपा के साथ ज्यादा घुल मिल गए हैं और पार्टी हितों पर भाजपा के हितों को वरीयता दे रहे हैं. उसके बाद ललन सिंह को जेडीयू की अध्यक्षी मिली. ललन सिंह पर आरोप लगा कि वे राजद के ज्यादा नजदीक हो गए हैं. फिर नीतीश कुमार ने एक बार फिर अपने हाथ में कमान थामी और उसके बाद जेडीयू भाजपा के साथ आ गई. इन सबके पीछे संजय झा का दिमाग माना जा रहा है.
नीतीश कुमार के मुख्य रणनीतिकार
नीतीश कुमार ने 9वीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली है तो उसके पीछे संजय झा की रणनीति बताई जा रही है. माना जा रहा है कि संजय झा ही नीतीश कुमार का प्रस्ताव लेकर भाजपा नेताओं से मिले थे और उसके बाद भारतीय जनता पार्टी की ओर से नीतीश कुमार को जो समर्थन पत्र सौंपा गया, वो संजय झा को ही सौंपा गया. इस तरह बिहार में जो इस बार की एनडीए सरकार बनी है, उसके पीछे संजय झा का ही दिमाग माना जा रहा है. इसलिए तो नीतीश कुमार ने इनाम स्वरूप संजय झा को राज्यसभा का टिकट थमा दिया है. इससे पहले संजय झा नीतीश कुमार की बिहार सरकार में जल संसाधन मंत्री के रूप में काम कर रहे थे. नीतीश कुमार 9.0 में जब उन्हें मंत्री नहीं बनाया गया तो लोगों को बहुत हैरानी हुई, लेकिन उसके साथ ही यह तय हो गया कि नीतीश कुमार, संजय झा को कुछ बड़ा तोहफा देने वाले हैं.
अमित शाह भी कर चुके हैं तारीफ
संजय झा की बात करें तो वे जेडीयू के युवा नेताओं में शुमार होते हैं. उनकी सूझबूझ की तारीफ केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह भी कर चुके हैं, जब वे पूर्वी क्षेत्रीय एकता परिषद की बैठक में पटना आए थे. तब संजय झा ने बतौर जल संसाधन मंत्री कोशी पर डैम बनाने को लेकर एक प्रेजेंटेशन दिया था. इस प्रेजेंटेशन को देखकर अमित शाह, संजय झा से काफी प्रभावित हुए थे और उनकी तारीफ किए बिना नहीं रह पाए थे. पिछले एक साल में संजय झा, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ साये की तरह साथ रहे हैं. नीतीश कुमार दिल्ली गए, मुंबई गए, भवनेश्वर गए, कोलकाता गए, लखनऊ गए, संजय झा उनके आजू-बाजू में ही मौजूद दिखाई दिए. इन दिनों में संजय झा ने नीतीश कुमार का जो एक चीज कमाया है, वो है भरोसा. और अगर पार्टी सुप्रीमो आप पर भरोसा करता है तो फिर इस भरोसे का इनाम भी मिलता है.
नीतीश के दूत के रूप में करेंगे काम
भरोसे के इनाम की बात करें तो संजय झा को इनाम की बस एक किश्त भर मिली है. अभी उनको बहुत कुछ मिलना बाकी है. सीटों के बंटवारे में भी वे नीतीश कुमार के दूत के रूप में भाजपा आलाकमान से बात कर सकते हैं. अगर 2024 के लोकसभा चुनाव में मोदी सरकार फिर से बनती है तो वे मोदी कैबिनेट में मंत्री बन सकते हैं. इसके अलावा दिल्ली में होने के नाते नीतीश कुमार के दूत के रूप में भी उनकी भूमिका काफी अहम हो सकती है. नीतीश कुमार अपना संदेश संजय झा के माध्यम से भाजपा के आला नेताओं तक पहुंचा सकते हैं. अभी हाल ही में नीतीश कुमार के दिल्ली दौरे के बीच संजय झा की मौजूदगी की तस्वीरें सामने आई थीं. अगर सब कुछ सही रहा और नीतीश कुमार को अपना उत्तराधिकारी चुनने का मौका मिला तो संजय झा बड़ा नाम हो सकते हैं. 2025 के विधानसभा चुनाव से पहले या फिर बाद में जेडीयू अध्यक्ष का चुनाव तो होगा ही, उस समय संजय झा के पास बड़ा मौका हो सकता है. संजय झा अभी एमएलसी हैं और भाजपा और जेडीयू के बीच की कड़ी हैं. भाजपा से बिगड़े रिश्ते को सुलझाने में संजय झा का अहम रोल रहा है.
बतौर जल संसाधन मंत्री संजय झा ने कई बड़े काम किए हैं:
- बेगुसराय के सिमरिया घाट का कायाकल्प
- हरिद्वार की तर्ज पर गंगा घाट का जीर्णोद्धार
- गया के फल्गू नदी में रबर डैम का निर्माण
- गया, नालंदा और नवादा में गंगा जल घर घर पहुंचाया
- दरभंगा में एम्स के निर्माण के लिए प्रयास
- दरभंगा हवाई अड्डे की शुरुआत
- प्रसिद्ध मिथिला हाट का निर्माण
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अशोक चौधरी ने संजय झा के लिए क्या लिखा
संजय झा पार्टी में निर्विवाद नेता हैं. उन्हें राज्यसभा के लिए नामित किए जाने पर पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं ने उन्हें बधाई संदेश भेजे हैं. जेडीयू के वरिष्ठ नेता डा. अशोक चौधरी का ही ट्वीट देख लीजिए. डा. चौधरी लिखते हैं, अपार हर्ष का विषय है जनता दल (यूनाइटेड) परिवार की तरफ से "मिथिला के लाल", बिहार सरकार के पूर्व मंत्री एवं हमारे साथी, श्री संजय कुमार झा जी को आगामी राज्यसभा के द्विवार्षिक चुनाव 2024 के लिए पार्टी का उम्मीदवार घोषित किया गया है. दरभंगा में एम्स के निर्माण, हवाई अड्डे की शुरुआत, सुप्रसिद्ध मिथिला हाट के निर्माण, सिमरिया घाट के कायाकल्प सहित जल संसाधन विभाग के अंतर्गत, गंगाजल आपूर्ति योजना जैसी अनेक योजनाओं के सफल क्रियान्वयन में आपने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. आपको इस उम्मीदवारी के लिए बहुत-बहुत बधाई एवं अशेष शुभकामनाएं देता हूं. जेडीयू की दूसरी पीढ़ी के नेताओं में अशोक चौधरी का नाम अहम है, जिन्हें नीतीश कुमार काफी पसंद करते हैं और उन पर भरोसा भी करते हैं.
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भाजपा से जेडीयू गए थे संजय झा
अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत भाजपा से करने वाले संजय झा बाद में जेडीयू से जुड़ गए और अभी वे पार्टी के राष्ट्रीय महामंत्री हैं. वे बिहार के मधुबनी जिले के गांव अरड़िया गांव से आते हैं. जेएनयू, दिल्ली से उन्होंने मास्टर क्लास किया है. मंत्री रहते संजय झा ने मिथिलांचल में कोशी डैम को लेकर बहुत काम किया है. अमित शाह के सामने संजय झा ने जो प्रेजेंटेशन दिया था, वो कोशी डैम को लेकर ही है. भाजपा में रहते संजय झा यूथ विंग के राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य रहे थे. वे 1992 से चंद्रिका प्रकाशन का संचालन कर रहे हैं, जिसमें कई राजनीतिक और प्रतियोगिता से रिलेटेड किताबें छपती रही हैं. संजय झा ने कई पुस्तकों का भी प्रकाशन किया है. इन सबके अलावा संजय झा ने कृषि, टेलीमेडिसिन, एग्रो बेस्ड इंडस्ट्री, कम्युनिकेशन आदि पर कई सेमिनारों का भी आयोजन किया है.