Muzaffarpur: मुजफ्फरपुर शहर के सबसे प्राचीनतम दुर्गा पंडाल में मां के खुले नेत्र, साढ़े तीन सौ वर्ष से बैठती आ रही प्रतिमा
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Muzaffarpur: मुजफ्फरपुर शहर के सबसे प्राचीनतम दुर्गा पंडाल में मां के खुले नेत्र, साढ़े तीन सौ वर्ष से बैठती आ रही प्रतिमा

Muzaffarpur Navratri 2024: मुजफ्फरपुर शहर के सबसे प्राचीनतम  ब्राह्मण टोली महामाया बाबू लेन दुर्गास्थान में देर रात मां के नेत्र खुले. जानकारी के अनुसार, यहां साढे तीन सौ वर्ष से मां की प्रतिमा बैठती आ रही है.

Muzaffarpur: मुजफ्फरपुर शहर के सबसे प्राचीनतम दुर्गा पंडाल में मां के खुले नेत्र, साढ़े तीन सौ वर्ष से बैठती आ रही प्रतिमा

मुजफ्फरपुर: Muzaffarpur Navratri 2024: बिहार के मुजफ्फरपुर के ब्राह्मण टोली महामाया बाबू लेन दुर्गा स्थान मे मां दुर्गा के नेत्र मंगलवार की देर संध्या में खुल गए. मां दुर्गा का बिल्वामंत्रण, आवाहन, बोधन, आमंत्रण एवं अधिवास के साथ पूजन वैदिक मंत्रोच्चार के साथ आचार्य डॉ चंदन उपाध्याय ने कराया. वही पूजन के बाद माता को भोग लगाकर महाआरती की गई. 

भगवती को 44 प्रकार की मिट्टी से कराया स्नान 
पूजन के दौरान भगवती को वर्षा का जल, विभिन्न तीर्थों का जल, समुद्र का जल, ओस के जल के साथ-साथ 44 प्रकार की मिट्टी से भी स्नान कराया गया. आचार्य डॉ चंदन उपाध्याय ने बताया कि मुजफ्फरपुर शहर के सबसे प्राचीनतम शारदीय दुर्गा पूजा ब्राह्मण टोली दुर्गास्थान स्थित पंडित महामाया प्रसाद मिश्र के निवास स्थान पर विगत साढ़े तीन सौ वर्ष पूर्व से लगातार पूजा होती आ रही है. 

उन्होंने आगे बताया कि सदियों से मां की प्रतिमा एक जैसी ही रहती है. मां दुर्गा, माता लक्ष्मी, माता सरस्वती, भगवान कार्तिकेय, भगवान गणेश, माथे पर भगवान शिव के साथ-साथ महिषासुर के साथ रहती है और यहां आज भी हस्तलिखित पूजा पद्धति पांडुलिपि में उपलब्ध है.

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देर रात खोले गए मुंगेर में लाल दुर्गा के पट 
वहीं नवरात्र के छठे दिन मंगलवार को मुंगेर में देर रात जिला मुख्यालय स्थित दो बंगाली दुर्गा मंदिर के पट देर शाम खोल दिए गए. मंदिर कपाट खुलते ही मां दुर्गा की प्रतिमा के दर्शन करने को लेकर बंगाली समाज के लोग सहित आसपास के श्रद्धालु भी मंदिर में पहुंचे और मां दुर्गा की दर्शन कर विधिवत पूजा अर्चना किया. 

नवरात्रि के अवसर पर बंगाली समाज के द्वारा वासुदेव ओपी क्षेत्र के रायपुर में वर्ष 1947 से लगातार बंगाली दुर्गा की प्रतिमा स्थापित की जा रही है जो जिले के श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का केंद्र रहता है. यहां की दुर्गा को जिले में लाल दुर्गा के नाम से जानते हैं. इसका मुख्य कारण है कि पूरी प्रतिमा सिंदूर की तरह लाल रहती है. जिस कारण इसे लाल दुर्गा के नाम से भी जाना जाता है. लाल दुर्गा कमेटी के सदस्य सुख हिंदू घोष और सुकन्या घोष ने जानकारी देते हुए बताया कि इस मंदिर में जो दुर्गा प्रतिमा स्थापित की जाती है. वह सिंदूर की तरह लाल रहती है. जिस कारण इस दुर्गा को लाल दुर्गा के नाम से जाना जाता है.

इनपुट - मणितोष कुमार/ प्रशांत कुमार 

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