गंडक नदी से इकट्ठा की गई लकड़ियों को दियारा इलाके के लोग अगले 6 माह से लेकर साल भर तक के लिए इस्तेमाल करते हैं. उन्हें ईधन के लिए पैसे खर्च नहीं करने पड़ते हैं.
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Gopalganj: भारत के पड़ोसी देश नेपाल में लगातार बारिश के बाद बिहार के सीमावर्ती इलाकों में नदियों का जलस्तर बढ़ रहा है. इस वजह से गोपालगंज में गंडक नदी के जलस्तर में भी बढ़ोतरी हुई है. जिसके कारण कई गांव पानी से घुस गया है, जिसके वजह से बाढ़ के हालात पैदा हो रहे हैं. बाढ़ पीड़ितों को आने जाने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. वहीं, दियारा इलाके के लोग बाढ़ के इन हालातों को अवसर में बदल रहे हैं. गंडक नदी में बह कर आने वाली लकड़ियों को चुन कर, उन्हें सूखा कर इंधन के रूप में इस्तेमाल करते हैं.
गंडक नदी का बढ़ा जलस्तर
दरअसल, गोपालगंज के दियारा इलाके में गंडक नदी का जलस्तर बढ़ गया है. जिसके कारण बाढ़ के हालात पैदा हो रहे हैं. दियारा इलाके के लोग गंडक नदी के किनारे खड़े होकर दिनभर बाढ़ की निगरानी करते हैं. यहां पर गंडक नदी में बह कर आने वाली लकड़ियों को चुनते हैं. उसके बाद उन्हें सुखाते हैं और घर में साल भर के जलावन के लिए इस्तेमाल करते हैं.
लकड़ियों को करते हैं इकट्ठा
गंडक नदी से इकट्ठा की गई लकड़ियों को दियारा इलाके के लोग अगले 6 माह से लेकर साल भर तक के लिए इस्तेमाल करते हैं. उन्हें ईधन के लिए पैसे खर्च नहीं करने पड़ते हैं. इसके अलावा गोपालगंज के सदर प्रखंड के रामनगर, पतहरा इलाके के लोग भी गंडक नदी में बह कर आने वाली लकड़ियों को इकट्ठा करते हैं. इसके बाद उन्हे जलावन के रूप में इस्तेमाल करते हैं.
इंधन के रूप में करते हैं इस्तेमाल
इसको लेकर गांव के लोगों का कहना है कि उनके घरों में छोटा गैस सिलेंडर हैं. गैस रिफिल कराने के लिए उन्हें ज्यादा पैसे चुकाने पड़ते हैं. लेकिन जब भी यहां बाढ़ आती है उस दौरान गांव के लोग रोज गंडक नदी के किनारे पहुंचते हैं. गंडक नदी में बहकर आने वाली लकड़ियों को चुनते हैं और उन्हें साल घर में जलावन के रूप में इस्तेमाल करते हैं. इससे पैसे कम खर्च होते हैं.
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