Muzaffarpur News: मुजफ्फरपुर में जर्जर अस्पताल में मरीजों का इलाज हो रहा है. अस्पताल की बिल्डिंग कब गिर जाएगी, इसका कोई भरोसा नहीं है. डर के साए में मरीज इलाज करा रहे है. इलाज ना ही उस अस्पताल में पूरी दवा मिल रही है और ना ही प्रसव के लिए कोई महिला डॉक्टर है.
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मुजफ्फरपुर: बिहार के मुजफ्फरपुर में एक तरफ बिहार में स्वास्थ्य व्यवस्था को हाईटेक बनाया जा रहा है और शहरी अस्पताल को दुरुस्त किया जा रहा है. लेकिन ग्रामीण क्षेत्र की अस्पताल के बारे में बात करें तो वहां की व्यवस्था फेल दिख रही है. शहरी क्षेत्र के अस्पतालों में कई अधिकारी निरीक्षण कर लेते है. जिस कारण से वहां व्यवस्था ठीक-ठाक मिल जाती है. लेकिन ग्रामीण क्षेत्र के अस्पताल में ना ही कोई मंत्री जी घूमने आते है और ना ही कोई अधिकारी देखने आते हैं. जिससे वहां की व्यवस्था इलाज के नाम पर पूरी तरह फेल साबित हो रही है.
जब मुजफ्फरपुर जिले के सकरा प्रखंड पहुंची तो वहां के रेफरल अस्पताल की हालात देखकर चौंक गई, क्योंकि पूरे बिल्डिंग में ही दरार आ चुकी है. जगह-जगह से पानी दिख रहा है और कब छत गिर जाएगी, कब बिल्डिंग ध्वस्त हो जाएगी इसकी कोई गारंटी नहीं है और इस बिल्डिंग के नीचे सक्रो मरीज इलाज करते हुए दिखे. रियलिटी चेक में अस्पताल में दावों की सूची के अनुसार, 20 दवा काम मिला तो अस्पताल में महिला डॉक्टर की नियुक्ति नहीं होने से महिलाओं के प्रसव एएनएम या फिर पुरुष डॉक्टर द्वारा किया जाता है.
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इसके साथ ही अस्पताल में लगे अल्ट्रासाउंड बंद मिला पता चला कि यहां टेक्नीशियन के नहीं रहने के कारण लोगों का अल्ट्रासाउंड नहीं हो पा रहा है और जिन लोगों को अल्ट्रासाउंड की जरूरत पड़ती है. उसे जिला मुख्यालय के बड़े अस्पताल में भेजा जाता है. सवाल यह उसका उठना है कि लाखों की मशीन तो लगा दी गई, जो जंग खा रही है, लेकिन टेक्नीशियन की व्यवस्था नहीं की गई है. जिससे मरीजों को अल्ट्रासाउंड का लाभ नहीं मिल पा रहा है. जब जी मीडिया की टीम ने अस्पताल प्रबंधन धनंजय कुमार से सवाल किया कि आखिरकार इतने खतरनाक जर्जर बिल्डिंग में मरीजों का जो इलाज किया जा रहा है.
उसने कहा बिल्डिंग निर्माण के लिए कई बार विभागीय स्तर पर प्रचार किया गया है. लेकिन अब तक इस दिशा में कोई कार्रवाई नहीं की गई है. इसके साथ ही जब महिला डॉक्टर के बारे में जानकारी ली गई तो उसने कहा कि यहां पर महिला डॉक्टर की प्रतिनिधि नहीं है. जिस कारण से महिलाओं का इलाज पुरुष डॉक्टर से करना पड़ता है. दावों की कमी के बारे में उन्होंने बताया कि दवा के स्टॉक पूरा रहता है. कभी-कभी कम जाता है इसके साथ ही जब अल्ट्रासाउंड नहीं होने की बात पर सवाल किया तो उन्होंने कहा मशीन लगा हुआ है, लेकिन टेक्नीशियन की व्यवस्था यहां पर नहीं है. जिस कारण से मरीजों को अल्ट्रासाउंड के लिए जिला मुख्यालय भेज दिया जाता है.
लेकिन सवाल यह उठता है कि जिस बिहार में स्वास्थ्य व्यवस्था पर करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे है. फिर भी सकरा के रेफरल अस्पताल में जो मरीज इलाज कर रहे है. वह जान जोखिम में डाल के इलाज कर रहे है और बिल्डिंग के लिए कई बार पत्र भी लिखा गया, लेकिन बिल्डिंग नहीं बनाया गया और यह बिल्डिंग जगह-जगह से छूने लगा है. पूरे बिल्डिंग में दरार आ चुका है और जगह- जगह से छत का प्लास्टर गिर चुका है और कब गिर जाएगी, इसका कोई भरोसा नहीं है. इसमें कितने मरीज की जान जा सकती है यह भी कहना मुश्किल लग रहा है.
इनपुट- मणितोष कुमार
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