Nalanda: जज के फैसले के बाद अब 'अपराधी' बन सकेगा 'सिपाही', फैसले की हो रही चर्चा
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Nalanda: जज के फैसले के बाद अब 'अपराधी' बन सकेगा 'सिपाही', फैसले की हो रही चर्चा

Nalanda news: जेजेबी के जज ने किशोर को दोषमुक्त करते हुए टिप्पणी किया है कि बचपन में किए गए एकमात्र अपराध के कारण किशोर को इतने बड़े महत्वपूर्ण अवसर मिलने से वंचित नहीं किया जा सकता. प्रत्येक अपराध का एक अतीत होता है और प्रत्येक अपराधी का एक भविष्य होता है.

जज के फैसले के बाद अब 'अपराधी' बन सकेगा 'सिपाही' (प्रतीकात्मक तस्वीर)

Nalanda: किशोर न्याय परिषद के प्रधान दंडाधिकारी मानवेन्द्र मिश्रा ने एक महत्वपूर्ण फैसले लेते हुए मारपीट व गाली गलौज के आरोपी किशोर के भविष्य को ध्यान में रखते हुए दोषमुक्त किए जाने का फैसला सुनाया है. आरोपी किशोर का सिपाही भर्ती परीक्षा में अंतिम रूप से चयन हो चुका है. जेजेबी (JJB) में किशोर की अपील और उपलब्ध कराए गए साक्ष्यों के आधार पर यह फैसला सुनाया गया है. आरोपी किशोर पर गांव के ही एक व्यक्ति के साथ मारपीट और गाली-गलौज करने का आरोप लगाया गया था.

जानकारी के अनुसार, मामला सितंबर 2017 का है. पुलिस ने 17 नवंबर को चार्जशीट भी कोर्ट में सौंप दिया था. बुधवार को अभियोजन गवाह भी उपस्थित था. किशोर ने न्यायाधीश मिश्रा से कहा कि इस घटना के अलावा उस पर किसी भी तरह का आरोप आज तक नहीं लगा है. सिपाही के पद पर अंतिम रूप से चयन हो चुका है. लेकिन, उसे हमेशा भय लगा रहता है कि पुलिस उसके कैरेक्टर सर्टिफिकेट (Character Certificate) में इस लंबित मुकदमे का उल्लेख कर देगी. जिससे उसकी नियुक्ति रद्द हो जाएगी. काफी संघर्ष के बाद रोजगार का अवसर मिला है और वो अवसर खोना नहीं चाहता है. उसने यह भी कहा कि वो राज्य की सेवा करना चाहता है. एसपी को आदेश के एक प्रति भी भेजने का निर्देश दिया गया है, ताकि किशोर के आचरण प्रमाण पत्र में इस अपराध का उल्लेख न हो.

प्रत्येक अपराधी का होता है भविष्य
जेजेबी के जज ने किशोर को दोषमुक्त करते हुए टिप्पणी किया है कि बचपन में किए गए एकमात्र अपराध के कारण किशोर को इतने बड़े महत्वपूर्ण अवसर मिलने से वंचित नहीं किया जा सकता. प्रत्येक अपराध का एक अतीत होता है और प्रत्येक अपराधी का एक भविष्य होता है.  किशोर के सर्वोत्तम हित, घटना की परिस्थिति, किशोर का विकास, उपचार, सामाजिक पूर्णएकीकरण और इसकी मूलभुत आवश्यकता को देखते हुए जांच कार्रवाई चलाना न्यायोचित प्रतीत नहीं होता. आदेश में यह भी कहा गया है कि घटना के समय किशोर की आयु 17 वर्ष थी और बच्चों का यह स्वाभाविक गुण होता है कि अपने माता-पिता अथवा बड़ो को लड़ते हुए या मारपीट करते वो देखते हैं तो बचाव करने अथवा अपने अभिभावक के सहयोग करने के उद्देश्य से घटना में स्वत: शामिल हो जाते हैं. उन्हें अच्छे-बुरे का ज्ञान नहीं रह जाता है. उनका एकमात्र लक्ष्य माता-पिता की सहायता करना होता है.

13 दिन में हुआ मामला समाप्त
यह मामला 22 सितंबर 17 से ही चल रहा था. आरोपी किशोर द्वारा अपनी उम्र का सत्यापन के लिए मैट्रिक का सर्टिफिकेट दिया गया था. जिसके बाद ACJM 6 के न्यायालय से किशोर का केस  4 मार्च 21 को किशोर न्याय परिषद में भेजा गया.  6 मार्च को इस मामले में एक सुनवाई हुई और अगली तिथि यानी 17 मार्च को केस समाप्त कर दिया गया.

(इनपुट-दीपक विश्वकर्मा)