देश के प्रथम राष्ट्रपति देशरत्न डॉ राजेन्द्र प्रसाद की 138 वीं जयंती, 75 साल बाद भी उनके गांव का नहीं हुआ विकास
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देश के प्रथम राष्ट्रपति देशरत्न डॉ राजेन्द्र प्रसाद की 138 वीं जयंती, 75 साल बाद भी उनके गांव का नहीं हुआ विकास

Siwan: देश के प्रथम राष्ट्रपति देशरत्न डॉ राजेन्द्र प्रसाद की 138 वीं जयंती को लेकर सिवान के जीरादेई स्थित उनके पैतृक आवास पर पुरे जोर-शोर से तैयारी चल रही है.वहीं गांव जीरादेई आजादी के 75 सालों के बाद भी पूरी तरह से विकास की पटरी पर नहीं चढ़ सका है. 

देश के प्रथम राष्ट्रपति देशरत्न डॉ राजेन्द्र प्रसाद की 138 वीं जयंती, 75 साल बाद भी उनके गांव का नहीं हुआ विकास

Siwan: देश के प्रथम राष्ट्रपति देशरत्न डॉ राजेन्द्र प्रसाद की 138 वीं जयंती को लेकर सिवान के जीरादेई स्थित उनके पैतृक आवास पर पुरे जोर-शोर से तैयारी चल रही है. 03 दिसंबर को प्रशासनिक अधिकारी और कई बड़े नेता प्रतिमा पर माला चढ़ाने पहुंचेगे. वहीं गांव जीरादेई आजादी के 75 सालों के बाद भी पूरी तरह से विकास की पटरी पर नहीं चढ़ सका है. 

75 साल बाद भी गांव का नहीं हुआ विकास
सिवान जिला मुख्यालय से करीब 14 किलोमीटर की दूरी पर स्थित जीरादेई गांव, जिसे देश को एक महान स्वतंत्रता सेनानी और पहले राष्ट्रपति देने का गौरव प्राप्त है. गणतंत्र भारत के पहले राष्ट्रपति और देशरत्न की उपाधि से नवाजे जाने वाले डॉ. राजेन्द्र प्रसाद का जन्म सन 1884 में जीरादेई की धरती पर हुआ था. डॉ राजेन्द्र प्रसाद ने तीन बार देश के राष्ट्रपति रूप में कमान संभाली थी. लेकिन आजादी के 75 साल गुजर जाने के बाद भी इस गांव की दशा और दिशा में कोई भी खास परिवर्तन नहीं हुआ है. जीरादेई रेलवे स्टेशन पर यात्रियों के बैठने के लिए बने दो चार बेंच और चबूतरों के अलावा कोई भी सुविधा नहीं है. ना तो यहां बड़ी गाड़ियों के ठहराव और ना शौचालय की सुविधा है. यहां पर प्लेटफार्म पर गड्ढे बने हुए हैं.  जिससे कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है. जिसको लेकर यात्रियों और लोगों में नाराजगी देखने को मिल रही है. 

पैतृक मकान को लाइब्रेरी या म्यूजियम बनाने की मांग
गांव में डॉ राजेन्द्र प्रसाद की धर्मपत्नी राजवंशी देवी के नाम पर एक राजकीय औषधालय की स्थापना की गई थी. हालांकि आज वह खंडहर में तब्दील हो गया है. हालाकि देशरत्न की गरिमा और उनके धरोहर को बरक़रार रखने की नियत से केंद्र सरकार द्वारा जीरादेई स्थित डॉ राजेन्द्र प्रसाद के पैतृक मकान को पुरातत्व विभाग को सौंप दिया गया है. जिस कारण देशरत्न का पैतृक मकान उनकी स्मृति के रूप में बच गया है. राज्य सरकार ने इसे पर्यटन स्थल बनाने की घोषणा की थी, लेकिन इस दिशा में भी अब तक कोई काम शुरू नहीं किया गया है. बावजूद इसके रोजाना यहां सैकड़ों की तादाद में पर्यटक और दर्शक आते हैं.  जिनकी ख्वाहिश है कि देशरत्न के मकान को सरकार कम से कम एक म्यूजियम या फिर लाइब्रेरी के रूप में बना दे. ताकि देशरत्न के बारे में लोग ज्यादा से ज्यादा जान पाएं. बता दें कि प्रधानमंत्री ग्राम विकास योजना के तहत सिवान के तत्कालीन भाजपा सांसद ओमप्रकाश यादव ने जीरादेई को गोद लिया था. लेकिन सांसद के गोद लिए जाने पर भी जीरादेई का विकास नहीं हो पाया. लोगों की माने तो अधिकारी और नेताओं को सिर्फ जयंती पर जीरादेई और डॉ राजेन्द्र प्रसाद की याद आती हैं और माल्यार्पण कर सभी वादों को भूल जाते हैं. 

(रिपोर्टर-अमित कुमार सिंह)

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