नवरात्र में मां दुर्गा के किन 9 रूपों की होती हैं पूजा? शारदीय नवरात्र क्यों होता है विशेष
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नवरात्र में मां दुर्गा के किन 9 रूपों की होती हैं पूजा? शारदीय नवरात्र क्यों होता है विशेष

Navratri Festival: नवरात्रि हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जिसमें मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है. यह पर्व साल में चार बार आता है, लेकिन शारदीय नवरात्र का खास महत्व है.

नवरात्र में मां दुर्गा के किन 9 रूपों की होती हैं पूजा? शारदीय नवरात्र क्यों होता है विशेष

पटना: हिंदू धर्म में त्योहारों का बहुत महत्व होता है और इनमें शारदीय नवरात्र विशेष होता है. यह त्योहार साल में चार बार पड़ने वाले नवरात्रों में से एक है. शारदीय नवरात्र मुख्य रूप से मां दुर्गा की पूजा और आराधना के लिए मनाया जाता है. मां दुर्गा को शक्ति की देवी माना जाता है और उनकी पूजा से भक्तों को ज्ञान, साहस और शक्ति प्राप्त होती है. इस दौरान लोग अपने घरों, दुकानों और दफ्तरों को सजाते हैं. जगह-जगह मां दुर्गा की मूर्तियां स्थापित की जाती हैं. पूजा-पाठ, भजन और कीर्तन का आयोजन होता है.

आचार्य मदन मोहन के अनुसार नवरात्रि के नौ दिन देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा होती है, जिन्हें 'नवदुर्गा' कहा जाता है. यह त्योहार अश्विन मास में मनाया जाता है. नवमी के बाद दशहरे पर समाप्त होता है. दशहरे के दिन रावण दहन भी किया जाता है, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है. नवरात्र के नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है. आइए जानते हैं, मां दुर्गा के ये नौ रूप कौन-कौन से हैं.

शैलपुत्री: नवरात्र के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा होती है, जो पर्वतराज हिमालय की पुत्री हैं. यह मां दुर्गा का पहला रूप है और इन्हें वृषोरूढ़ा और उमा के नाम से भी जाना जाता है.

ब्रह्मचारिणी: दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा होती है, जो तपस्या और साधना की प्रतीक हैं. इन्हें माता पार्वती के अविवाहित रूप में पूजा जाता है. इनके एक हाथ में रुद्राक्ष माला और दूसरे हाथ में कमंडल होता है.

चंद्रघंटा: तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा की जाती है. ये अपने भक्तों को आशीर्वाद और सुरक्षा प्रदान करती हैं. इनका रूप चमकते चंद्रमा की तरह सुंदर और शक्तिशाली है.

कूष्मांडा: चौथे दिन मां कूष्मांडा की पूजा होती है. उनका नाम ‘कूष्मांड’ नामक दैत्य को मारने से जुड़ा है. यह देवी दुर्गा का शक्तिशाली रूप है.

स्कंदमाता: पांचवे दिन मां स्कंदमाता की पूजा की जाती है. यह भगवान कार्तिकेय की माता हैं, और इनकी पूजा से दुश्मनों का नाश होता है.

कात्यायनी: छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा होती है. इनका जन्म महिषासुर का अंत करने के लिए हुआ था. ये देवी शक्ति का एक और रूप हैं.

कालरात्रि: सातवें दिन मां कालरात्रि की पूजा की जाती है. यह मां दुर्गा का भयानक रूप है, जो सभी नकारात्मक शक्तियों का नाश करती हैं.

महागौरी: आठवें दिन मां महागौरी की पूजा की जाती है. ये सुंदर और गोरी देवी हैं, और इनकी पूजा से सुख-समृद्धि प्राप्त होती है.

सिद्धिदात्री: नवमी के दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा होती है, जो भक्तों को सिद्धियां प्रदान करती हैं. इनकी चार भुजाएं होती हैं और ये सिंह पर सवार होती हैं.

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