बिहार में अफसरशाही के मुद्दे पर पूर्व डीप्टी सीएम व राज्यसभा सांसद सुशील मोदी (Sushil Modi) और तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) आमने-सामने आ गए हैं.
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Patna: बिहार में अफसरशाही के मुद्दे पर पूर्व डीप्टी सीएम व राज्यसभा सांसद सुशील मोदी (Sushil Modi) और तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) आमने-सामने आ गए हैं. अफसरशाही के मामले पर ज्यसभा सांसद सुशील मोदी ने तेजस्वी यादव पर हमला बोला है. उन्होंने कहा कि तेजस्वी जो सवाल करते हैं, वह जवाब देने योग्य नहीं होता है.
निशाने पर आये तेजस्वी
तेजस्वी यादव के अफसरशाही वाले ट्वीट पर राज्यसभा सांसद सुशील मोदी ने हमला बोलते हुए कहा कि RJD की जब सरकार थी, तो IAS अधिकारी लालू यादव के लिए खैनी लगाते थे. हम लोगों ने देखा है कि वो लालू यादव का पितदान भी उठाते थे. तेजस्वी यादव को क्या वैसी अफसरशाही चाहिए कि आईएस पीतदान उठाएं खैनी मलकर मुख्यमंत्री को खिलाएं. उन्ही को ऐसी अफसरशाही मुबारक हो.
तेजस्वी यादव ने साधा था निशाना
बिहार में अफसरशाही चरम पर है।अधिकारी सीना तान सरकारी काम में लापरवाही कर भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी को बढ़ावा देते है। जनप्रतिनिधियों को अपमानित करते है और नागरिकों को तो पाँव के धूल बराबर नहीं समझते।
पर सरकार व मंत्रियों को इससे क्या?उन्हें तो बंदरबांट में अपने हिस्से से मतलब है।
— Tejashwi Yadav (@yadavtejashwi) August 29, 2021
अफसरशाही को लेकर तेजस्वी यादव ने ट्वीट करते हुए कहा था कि बिहार में अफसरशाही चरम पर है. अधिकारी सीना तान सरकारी काम में लापरवाही कर भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी को बढ़ावा देते है. जनप्रतिनिधियों को अपमानित करते है और नागरिकों को तो पांव के धूल बराबर नहीं समझते. पर सरकार व मंत्रियों को इससे क्या?उन्हें तो बंदरबांट में अपने हिस्से से मतलब है.
एनडीए सरकार में सत्तारूढ़ दल व बेखौफ अफसरों के लिए भ्रष्टाचार बाएँ हाथ का खेल बन गया है। दोनों मिलकर अवैध कमाई करते हैं और नागरिक घूस, सरकारी बेपरवाही, परेशानी व भ्रष्टाचार के दुष्चक्र में पिस कर रह जाते हैं।
जनता भटक भटक कर रह जाती है पर सुनवाई, कार्रवाई का नामोनिशान नहीं होता।
— Tejashwi Yadav (@yadavtejashwi) August 29, 2021
उन्होंने आगे ट्वीट किया था कि एनडीए सरकार में सत्तारूढ़ दल व बेखौफ अफसरों के लिए भ्रष्टाचार बाएं हाथ का खेल बन गया है. दोनों मिलकर अवैध कमाई करते हैं और नागरिक घूस, सरकारी बेपरवाही, परेशानी व भ्रष्टाचार के दुष्चक्र में पिस कर रह जाते हैं. जनता भटक भटक कर रह जाती है पर सुनवाई, कार्रवाई का नामोनिशान नहीं होता.