आने वाला है बिहार दिवस, क्या आप जानते हैं राज्य की पहचान के इन खास प्रतीकों को
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आने वाला है बिहार दिवस, क्या आप जानते हैं राज्य की पहचान के इन खास प्रतीकों को

Bihar Diwas: बिहार राज्य इसी माह अपने गठन के 111 साल पूरे करने जा रहा है. इसे लेकर राज्य में तैयारियों का आलम है और बिहार की जनता को कई तरह की सौगातें देने की योजना भी है. 22 मार्च 2023 को जब कैलेंडर की तारीख बदलेगी. 

आने वाला है बिहार दिवस, क्या आप जानते हैं राज्य की पहचान के इन खास प्रतीकों को

पटनाः Bihar Diwas: बिहार राज्य इसी माह अपने गठन के 111 साल पूरे करने जा रहा है. इसे लेकर राज्य में तैयारियों का आलम है और बिहार की जनता को कई तरह की सौगातें देने की योजना भी है. 22 मार्च 2023 को जब कैलेंडर की तारीख बदलेगी, बिहार राज्य अपने गठन के एक और नए साल में प्रवेश कर जाएगा. ऐसे में 22 मार्च से 24 मार्च तक राज्य में उत्सव जैसा माहौल रहेगा. 

1912 में अस्तित्व में आया बिहार
साल 1912 में बंगाल के एक बड़े हिस्से को काटकर अलग कर दिया और कई पौराणिक-ऐतिहासिक किरदारों के जन्म और कर्म भूमि रहे जमीन के इस हिस्से को नाम मिला बिहार. एतिहासिक दस्तावेज बताते हैं कि कालांतर में बौद्ध प्रभावों के चलते यहां कई मठ और स्तूप बने, जिन्हें बौद्ध भिक्षु विहार कहा करते थे, इस तरह राज्य का नाम बिहार पड़ा. महात्मा बुद्ध, महावीर स्वामी, चंद्रगुप्त मौर्य, चाणक्य, सम्राट अशोक बल्कि पुराणों में महर्षि वाल्मीकि, दुर्वासा ऋषि, जनक, देवी सीता और बाद में भी कई-कई महापुरुषों-विदुषी महिलाओं की गौरवशाली धरती को बिहार नाम से पहचान मिली. 

ये हैं बिहार के प्रतीक चिह्न
बिहार की पहचान को और ताकत देने के लिए राज्य गठन और स्थापना के बाद इसमें कई अन्य तत्व भी शामिल किए गए. इनमें है बिहार का प्रतीक राजकीय चिह्न, राजकीय फूल, राजकीय भाषा, खेल, पशु, पक्षी और राज्य गीत और राज्य प्रार्थना. बिहार का राजकीय चिह्न दो स्वास्तिक से घिरा हुआ बोधि वृक्ष है. वहीं बिहार का राजकीय फूल गेंदा, राजकीय वृक्ष पीपल है. राजकीय खेल कबड्डी और राजकीय पशु बैल व राजकीय पक्षी गौरेया है. बिहार की राजकीय भाषा हिंदी है.

बिहार का है राज्य गीत
इसके अलावा बिहार का एक राज्य गीत भी है. इसके बोल हैं. मेरे भारत के कंठहार, तुझको शत-शत वंदन बिहार. बिहार राज्य की महिमा को बखान करता ये गीत राज्य की सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और धार्मिक विरासत को शब्दों में पिरोते हुए चलता है. गीत में महर्षि वाल्मीकि का जिक्र आया है, साथ ही सबसे पहले लोकतंत्र स्थापित करने वाले राज्य गणतंत्र वैशाली का भी जिक्र है. 

जैसे-जैसे पंक्तियां आगे बढ़ती जाती हैं, इनमें अशोक, नालंदा, महात्मा बुद्ध और महावीर से लेकर आर्यभट्ट, शेरशाह तक सम्मान सहित स्थान मिला है. बिहार को ये गीत, राज्य गठन के 100 साल पूरे होने पर मिला था. जब सीएम नीतीश की ही कैबिनेट ने साल 2012 में इसे मंजूरी दी थी. उस साल बिहार दिवस के मौके पर इसे प्रस्तुत किया गया और तब से हर सरकारी कार्यक्रम की शुरुआत में इसे गाया जाता है. 

उदित नारायण ने दी प्रार्थना गीत को आवाज
इस राज्य गीत को प्रख्यात बांसुरी वादक हरिप्रसाद चौरसिया और प्रसिद्ध संतूर वादक शिवकुमार शर्मा ने सुरों से सजाया है. वहीं इसे लिखने वाले मशहूर कवि सत्य नारायण हैं. इसके अलावा बिहार का एक प्रार्थना गीत भी है. जिसके बोल हैं मेरी रफ्तार पर सूरज की किरणें नाज करें. मशहूर सिंगर उदित नारायण ने इसे अपनी आवाज दी है.

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