Bihar Education System: बिहार सरकार राज्य में शिक्षा व्यवस्था को हाईटेक करने के दावे करती है, लेकिन जी न्यूज के रियलिटी चेक में इन दावों की पोल खुल गई. मुजफ्फरपुर के बाद अब पटना में एक ऐसा स्कूल मिला, जहां एक ही कमरे में कई कक्षाएं चल रही हैं.
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Bihar Education System: बिहार सरकार भले ही शिक्षा व्यवस्था में सुधार के लाख दावे कर रही हो, लेकिन धरातल पर हालात कुछ और बयां कर है. मसौढ़ी में एक ऐसा स्कूल है, जिसके भवन में महज एक कमरा है. इस एक कमरे में 2 ब्लैकबोर्ड हैं, लेकिन कक्षाएं 5 चलती हैं. कमरे में एक साथ 2 शिक्षक 5 क्लास के बच्चों को पढ़ाते हैं. अब यह बताना जरूरी नहीं होगा कि पढ़ाई कैसे होती होगी? यह विद्यालय पटना के पुनपुन प्रखंड में है. स्कूल का नाम डेहरी प्राथमिक विद्यालय है.
यहां एक ही कमरे में 5 क्लास के बच्चे पढ़ाई करने पर मजबूर हैं. इतना ही नहीं उसी कमरे में मीड दे मील का अनाज, बर्तन और गैस सिलेंडर भी रखा रहता है. यानि अनाज के बोरो के बीच बच्चे पढ़ाई करते नजर आते हैं. जब एक क्लास की पढ़ाई होती है, तो दूसरे क्लास के बच्चे चुपचाप अपने क्लास की पढ़ाई का इंतजार करते हैं. जब स्कूल की दशा के बारे में जी न्यूज ने शिक्षा विभाग का रुख किया तो पता चला कि प्रखंड में ऐसे 10 स्कूल हैं, जो एक कमरे में संचालित हैं. जिनकी रिपोर्ट विभाग को भेजी गई है.
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इसी तरह का एक विद्यालय मुजफ्फरपुर में भी मिला. जी न्यूज के रियलिटी चेक में मुजफ्फरपुर जिले के बोचहा विधानसभा क्षेत्र के खबरा स्थित राजकीय मध्य विद्यालय खबरा और उत्क्रमित मध्य विद्यालय खबरा की पोल खुल गई. यहां दो कमरे वाले स्कूल भवन में मध्य विद्यालय और उच्च विद्यालय चल रहे हैं और 450 छात्र छात्राओं वाले स्कूल में एक कमरे में तीन क्लास और एक ब्लैक बोर्ड पर दो टीचर पढ़ाते नजर आए. इस विद्यालय की स्थिति ऐसी है कि कब गिर जाए, इसका कोई पता नहीं. ऐसे में भी सैकड़ों बच्चे उसमें बैठकर पढ़ने को मजबूर हैं.
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स्कूलों की बदहाली को जब जी न्यूज ने उजागर किया, तो प्रशासन की नींद टूटी. छपरा में डीएम अमन समीर ने कहा की नवंबर के अंत तक सभी विद्यालयों में हर तरह की सुविधाओं का विस्तार कर लिया जाएगा. स्कूलों के बदहाली के स्थिति को देखते हुए राज्य सरकार ने भी निर्देश दिया है कि विद्यालयों का भौतिक सत्यापन कराकर छात्रों की सुविधाओं का ख्याल रखा जाए. इसके लिए डीएम की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया गया है. जिसमें 50 हजार से लेकर 50 लाख तक की योजनाओं की स्वीकृति डीएम स्तर से देने के अधिकार दिए गए हैं. वही 50 लाख से ज्यादा खर्च वाले विद्यालयों के लिए राज्य सरकार को प्रस्ताव भेजा जाएगा.