बिहार-झारखंड में बारिश की कमी से चावल की फसल हो सकती है खराब, सामने आयी यह रिपोर्ट
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बिहार-झारखंड में बारिश की कमी से चावल की फसल हो सकती है खराब, सामने आयी यह रिपोर्ट

इतने बड़े भोगौलिक विविधता से भरे देश में बादलों के बरसने के पैटर्न में भी विविधता रहती है. इस साल भी जुलाई महीने के बीत जाने तक यहीं देखने में आया है. 

बिहार-झारखंड में बारिश की कमी से चावल की फसल हो सकती है खराब, सामने आयी यह रिपोर्ट

पटना/रांची: देश के बड़े हिस्सों में मानसून की बारिश जमकर हो रही है. लेकिन देश के बड़े हिस्सों में अब तक हुई बारिश में 20 से 49 फीसदी तक कमी दर्ज की गई है. इन राज्यों में देश का करीब 35 फीसदी चावल उपजता है. ऐसे में बारिश की कमी से देश का चावल उत्पादन में कमी आने की आशंका जताई जा रही है. आईए जानते है कि इस साल 31 जुलाई तक देश में बादल कैसे बरसे हैं ? 

देश में बारिश 8 प्रतिशत ज्यादा 
इतने बड़े भोगौलिक विविधता से भरे देश में बादलों के बरसने के पैटर्न में भी विविधता रहती है. इस साल भी जुलाई महीने के बीत जाने तक यहीं देखने में आया है. जहां इस वक्त देश में 480 मिमी बारिश हो चुकी है जो कि औसत ( 445.8 मिमी) से 8 प्रतिशत ज्यादा है. इसका कारण है कि दक्षिणी भारत और मध्य भारत में क्रमश 28 प्रतिशत और 17 प्रतिशत ज्यादा बारिश हुई है.  

20 फीसदी सबडिविजन Rain Deficient  
31 जुलाई तक जहां देश में बारिश सरप्लस है. लेकिन अभी भी देश के काफी बड़े हिस्से में बहुत कम बारिश हुई है. मौसम विभाग ने देश में बारिश को मापने के लिए 36 सब डिविजन में बांटा है. इनमे से 7 सबडिविजन में औसत से कम बारिश हुई है. जब किसी भी क्षेत्र में बारिश की कमी 20 प्रतिशत से ज्यादा की कमी होती है तो इसे आधिकारिक रुप से Deficient घोषित किया जाता है. 

देश के कुल 36 सबडिविजन में से 4 में बहुत ज्यादा बारिश हुई है. वहीं 11 सबडिविजन में ज्यादा बारिश दर्ज की गई है. 14 सबडिविजन में सामान्य बारिश हुई है.  

तेलंगाना में इस समय तक बादल औसत से दोगुना (94 प्रतिशत) बरस चुके हैं. देश के दक्षिणी हिस्से में भी अच्छी बारिश हुई है. लेकिन अभी भी देश के कई हिस्सों में बारिश औसत से 50 प्रतिशत तक कम है. कम बारिश वाले राज्यों में झारखंड (49 प्रतिशत), पूर्वी उत्तर प्रदेश (-48 प्रतिशत), पश्चिमी उत्तर प्रदेश (- 42 प्रतिशत), पश्चिम बंगाल(-47 प्रतिशत) और बिहार (-39 प्रतिशत) शामिल हैं. इसके अलावा केरल, नागालैंड, मणिपुर, मिजोरम, त्रिपुरा (NMMT) में बारिश में कमी दर्ज की गई है.  

चावल की खेती पर पड़ सकता है असर  
इस बार फरवरी मार्च में गेहूं की फसल पकने के समय पर आम तापमान से ज्यादा होने के कारण गेहूं की पैदावार में कमी आई थी. वहीं इस बार चावल की फसल पर भी संकट गहरा सकता है. 

साल 2020-21 में देश में चावल का कुल उत्पादन 122 मिलियन मीट्रिक टन हुआ था. इस साल अब तक जिन राज्यों में बारिश कम हुई है उनका देश के कुल चावल उत्पादन में 35 फीसदी से ज्यादा हिस्सा है. देश का 14 प्रतिशत चावल, पश्चिम बंगाल और 12.7 प्रतिशत उत्तर प्रदेश उगाता है. इसके अलावा बिहार (6.3 प्रतिशत) झारखंड (3 प्रतिशत) की भी अहम हिस्सेदारी है. ऐसे में इन राज्यों में फसल लगाने के समय पर बारिश में कमी से चावल की फसल प्रभावित हो सकती है.

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