नीतीश कुमार की पार्टी को लगा करारा झटका, जेडीयू को पछाड़कर बीजेपी बनी नंबर वन पार्टी
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नीतीश कुमार की पार्टी को लगा करारा झटका, जेडीयू को पछाड़कर बीजेपी बनी नंबर वन पार्टी

 बिहार विधान परिषद का उपचुनाव बीजेपी और प्रशांत किशोर के लिए खुशियों का रिजल्ट लेकर आया है. बिहार विधान परिषद में जहां बीजेपी अब नंबर 1 पार्टी बन गई है तो प्रशांत किशोर की पार्टी के खाते में बैठे बिठाए एक सीट आ गई है.

बिहार विधान परिषद

Bihar MLC Election: बिहार विधान परिषद का उपचुनाव बीजेपी और प्रशांत किशोर के लिए खुशियों का रिजल्ट लेकर आया है. बिहार विधान परिषद में जहां बीजेपी अब नंबर 1 पार्टी बन गई है तो प्रशांत किशोर की पार्टी के खाते में बैठे बिठाए एक सीट आ गई है. विधान परिषद में 75 सीटें हैं और उसमें से बीजेपी के पार्षदों की संख्या 24 हो गई है, जबकि जेडीयू 24 से घटकर 23 पर रह गई है. पांच सीटों के विधान परिषद चुनाव में बीजेपी ने जहां एक सीट अपनी बचा ली तो एक सीट पर कब्जा भी कर लिया. इसी के साथ बीजेपी सदन में पहले नंबर की पार्टी बन गई है. आपको बता दें कि एआईएमआईएम के 4 विधायकों के राजद में शामिल होने से पहले तक बीजेपी विधानसभा में भी नंबर वन की पार्टी थी. 

बिहार विधान परिषद चुनाव में बीजेपी ने गया शिक्षक और स्नातक निर्वाचन क्षेत्र में हुए चुनाव जीत लिए. दूसरी ओर, महागठबंधन से कोसी और सारण स्नातक क्षेत्र में जीत का परचम लहराया. जबकि सारण शिक्षक सीट पर निर्दलीय प्रत्याशी अफाक अहमद ने सीपीआई उम्मीदवार आनंद पुष्कर को हरा दिया. माना जा रहा है कि इस निर्दलीय प्रत्याशी को प्रशांत किशोर की ओर से समर्थन किया गया था. 

इस तरह 5 सीटों में से 2 पर महागठबंधन और 2 पर बीजेपी का कब्जा हुआ और एक निर्दलीय के खाते में गया. महागठबंधन एक सीट जहां बीजेपी से हार गई तो दूसरी पर निर्दलीय से मात खा गई. वहीं बीजेपी ने अपनी सीट बरकरार रखी और जनता दल यूनाइटेड के खाते वाली सीट पर भी विजयश्री का तमगा अपने नाम कर लिया. 

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उच्च सदन में भारतीय जनता पार्टी के नंबर वन पार्टी बनने से बिहार में पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं में जोश और उत्साह का माहौल है. नेताओं ने बीजेपी की इस उपलब्धि का स्वागत किया है. दूसरी ओर महागठबंधन में शामिल 7 दल मिलकर भी अपनी सीट की रक्षा नहीं कर पाए और 2 सीटों का उसे नुकसान उठाना पड़ा. 

सारण शिक्षक सीट से हारने वाले आनंद पुष्कर के पिता केदारनाथ पांडेय भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के पुराने दिग्गज नेता थे और वे कई बार इस सीट से प्रतिनिधित्व कर चुके थे. उनके निधन के बाद ही इस सीट पर उपचुनाव कराया गया. दूसरी ओर, अफाक अहमद को बिहार में जनसुराज यात्रा निकाल रहे चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने समर्थन दिया था

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