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Bihar News: कृषि में नई तकनीक के विकास के साथ ही सरकारें भी अब किसानों की बेहतर आमदानी के लिए तरह-तरह की कृषि योजनाएं लेकर आ रही हैं जिसका सीधा लाभ किसानों को मिले और वह अपनी कृषि व्यवस्था को बेहतर कर सकें. बता दें कि कुछ सालों में देश के किसानों ने खेती के तरीकों में बदलाव किया है. किसान अब पारंपरिक खेती से ज्यादा नकदी खेती की तरफ बढ़ रहे हैं. यह ऐसी फसलें हैं जिसको किसान तत्काल तैयार होने के साथ मोटे मुनाफे पर बेच सकते हैं. ताकि उनकी आमदनी बेहतर हो सके और इसमें लागत भी कम आती है और बहुत हद तक सरकारों के द्वारा दिए गए अनुदान की वजह से इसमें अगर किसी तरह का नुकसान की संभावना होती भी है तो उसका कम बोझ किसानों के ऊपर पड़ता है.
दरअसल बिहार की नीतीश सरकार भी किसानों की बेहतरी के लिए कई सारी योजनाएं लेकर आई हैं जो किसानों से जुड़ी हुई हैं. बिहार सरकार की तरफ से राज्य में किसानों से पारंपरिक खेती से अलग कुछ फूलों और औषधीय पौधों की खेती के लिए लगातार अनुदान दिया जा रहा है ताकि इसकी खेती को बढ़ावा मिल सके.
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बिहार सरकार के राज्य कृषि विभाग द्वारा लेमनग्रास, पामारोजा, शतावरी, तुलसी, शहतूत, खस, आंवला, बेल, इमली, कटहल, और नींबू जैसे फसलों की खेती को बढ़ावा देने के लिए अनुपदान दिया जा रहा है. इसके साथ ही बिहार सरकार के बागवानी विभाग द्वारा गेंदा और अन्य फूलों की खेती के लिए भी किसानों को खूब सब्सिडी दी जा रही है.
दरअसल लगातार आयुर्वेद की बढ़ती मांग और औषधीय पौधों की बाजार में बढ़ते डिमांड को देखकर सरकार की तरफ से यह योजना किसानों के लिए लाई गई है. किसानों के लिए बिहार के गया, जमुई, नवादा, पूर्वी चंपारण, सुपौल, पश्चिमी चंपारण, सहरसा, खगड़िया, वैशाली, कैमूर और रोहतास जिलों में यह योजना वहां की जलवायु और मिट्टी को ध्यान में रखकर विशेष रूप से तैयार की गई है. इन जिलों में ऐसी खेती के लिए किसानों को प्रति हेक्टेयर सरकार द्वारा 75000 रुपए की अनुदान राशि दी जाएगी. वहीं अगर किसान करौंदा, बेल, इमली, कटहल और नींबू के पौधों की खेती करेंगे तो उन्हें प्रति हेक्टेयर 50 हजार रुपये की सब्सिडी दी जाएगी.
ऐसे में आप भी इस योजना का लाभ लेना चाहते हैं तो बिहार सरकार के कृषि विभाग की वेबसाइट पर जाकर इसके बारे में पूरी जानकारी हासिल कर सकते हैं. ताकि अगर आपको भी योजना का लाभ चाहिए तो आपको किस प्रोसेस से गुजरना है उसकी पूरी जानकारी आपके पास हो.