बिहार के स्कूलों में गुणवत्ता के लिए BPSC के जरिए हेडमास्टर की बहाली होगी लेकिन सरकार के इस फैसले से नियोजित शिक्षक नाराज हैं.
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Patna: बिहार में ढाई दशक से भी ज्यादा समय के बाद प्राथमिक और उच्च माध्यमिक विद्यालयों में 45 हजार 892 हेडमास्टरों की बीपीएससी (Headmaster will be reinstated through BPSC) से सीधी नियुक्ति होगी. इनमें 40,558 पद प्राथमिक स्कूलों के प्रधान शिक्षकों की जबकि 5,334 प्रधानाध्यापक के पद उत्क्रमित उच्च माध्यमिक विद्यालयों के होंगे.
हालांकि, शिक्षा विभाग चाहता तो नियोजित शिक्षकों को भी प्रमोट कर हेडमास्टर-प्रिंसिपल बना सकता था लेकिन अब वो भर्ती के जरिए ये काम करेगा. सवाल उठता है कि क्या साढ़े तीन लाख से अधिक की संख्या में जो नियोजित शिक्षक काम कर रहे हैं उनमें प्रधान शिक्षक या प्रधानाध्यापक बनने की योग्यता नहीं है?
शिक्षा विभाग भी इस बात को दबी जुबान से इसे स्वीकार कर रहा है. बिहार सरकार के शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी के अनुसार तकरीबन 50 हजार पदों पर बहाली होगी. नियोजित शिक्षकों को बहाली में मौका मिलेगा लेकिन अब सीधी भर्ती के जरिए हेडमास्टर और प्रधानशिक्षक बीपीएससी के जरिए बहाल होंगे.स्कूलों में गुणवत्ता के लिए हम ऐसा कर रहे हैं.
प्रधानाध्यापकों के पद 2025 तक होंगे पूरी तरह से खाली
बिहार के जितने भी सरकारी स्कूल हैं उनके बारे में ये अनुमान है कि यहां काम कर रहे प्रधानाध्यापकों के पद साल 2025 तक पूरी तरह से खाली हो जाएंगे. वजह ये है कि बिहार में आखिरी बार साल 1994 में बीपीएससी के जरिए शिक्षकों की बहाली हुई और ऐसे शिक्षक योग्यता और अनुभव के आधार पर चलकर स्कूलों के हेडमास्टर बने लेकिन अब इनके रिटायर होने का समय आ रहा है लिहाजा विभाग ने प्राथमिक और उच्च माध्यमिक विद्यालयों में खाली हो रहे प्रधानाध्यापकों के पद को भरना का फैसला किया है.
हालांकि, शिक्षा विभाग के इस फैसले से नियोजित शिक्षक नाराज हैं.उनके मुताबिक लगातार आठ साल काम करने के बाद उन्हें प्रधान शिक्षक और हेडमास्टर बनाया जाना चाहिए था लेकिन विभाग ने ये मौका छीन लिया है.
शिक्षा विभाग से फैसले पर दोबारा विचार की मांग
बिहार राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ के कार्यकारी अध्यक्ष मनोज कुमार की मानें तो इन भर्तियों का कोई औचित्य नहीं है. शिक्षा विभाग ने भी कहा था कि नियोजित शिक्षकों के अनुभव और योग्यता के आधार पर इन्हें हेडमास्टर बनाया जाएगा. सरकार ने ही ये नियम बनाया था कि आठ साल काम करने के बाद नियोजित शिक्षकों को प्रोमोट कर सहायक शिक्षक या हेडमास्टर बनाया जाएगा लेकिन अब वो अपने नियम को तोड़ रही है.
नियोजित शिक्षक अश्विनी कुमार पांडेय की माने तो एक तो सरकार ने हमारे लिए ये अवसर छीन लिया है. दूसरी ओर सीबीएसई, बीएसइबी के स्कूलों में पढ़ाने वाले शिक्षकों को अब इस भर्ती परीक्षा में बैठने का मौका दिया जाएगा.
(इनपुट- प्रीतम पांडेय)