Bihar Samachar: तेजश्वी ने सीएम नीतीश कुमार को पत्र लिखकर अस्पतालों के निरीक्षण और पीड़ितों की मदद की अनुमति मांगी है.
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Patna: खुद पर गायब होने का आरोप लगता देख तेजश्वी यादव (Tejashwi Yadav) ने बड़ा दांव खेल दिया है. तेजश्वी ने गेंद अब सरकार के पाले में डाल दिया है. तेजश्वी ने सीएम नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) को पत्र लिखकर अस्पतालों के निरीक्षण और पीड़ितों की मदद की अनुमति मांगी है. साथ हीं, यह भी याद दिलाया है कि जब भी वह मदद के लिए आगे आए हैं उनपर एफआईआर (FIR) दर्ज किया गया है. रूलिंग पार्टी की ओर से तेजश्वी पर लगातार गायब रहने के आरोप में तेजश्वी का यह पत्र बड़ा दांव माना जा रहा है.
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तेजश्वी ने अपने पत्र में लिखा है कि माननीय मुख्यमंत्री जी
आशा है आप पूर्णत: स्वस्थ होंगे. आपको एक और पत्र इस आशा और विश्वास के साथ लिख रहा हूं कि इस पत्र का तो मानवीय हित में आप अवश्य ही जवाब देंगे. विगत चार वर्षों में आपने मेरे किसी पत्र का कभी कोई जवाब नहीं दिया है. कई बार मैं अचंभित भी होता हूं कि पूजनीय गांधी, लोहिया, जेपी और कर्पूरी ठाकुर जी की विचारधारा पर चलने का दंभ भरने वाले मुख्यमंत्री इतना अलोकतांत्रिक कैसे हो सकते है. वो नेता विरोधी दल के पत्र का जवाब देना भी उचित नहीं समझते? यह लोकतांत्रिक परंपराओं और संसदीय प्रणाली के लिए कतई उचित नहीं है.
जैसा कि आप अवगत हैं राज्य में वैश्विक महामारी कोविड-19 का प्रकोप है. इसके साथ ही उच्च स्तर पर स्वास्थ्य विभाग की अव्यवस्था, उदासीनता, भ्रष्टाचार, कमीशनखोरी, आवश्यक दवाओं एवं ऑक्सीजन आदि की कालाबाजारी तथा सरकार की असंवेदनशीलता भी चरम पर है। अब यह महामारी शहरी इलाके के साथ-साथ ग्रामीण इलाकों में भी भयावह रूप से फैल चुकी है. वर्तमान में बिहार की स्वास्थ्य संरचना और सेवाओं की क्या स्थिति है, यह किसी से छिपी नहीं है?
बिहार विधानसभा में आपने ही कहा था कि स्वास्थ्य व्यवस्था, कोविड मैनेंजमेंट, पर्यवेक्षण में विधानमंडल के निर्वाचित प्रतिनिधि भी अपना योगदान दे सकते है. राज्यपाल महोदय द्वारा आहूत सर्वदलीय बैठक में हमने 30 महत्वपूर्ण सुझाव रखे थे. जिसमें एक सुझाव स्पेशल टास्क फोर्स का गठन कर Epidemiologist, Public health experts और तमाम राजनीतिक दलों के जनप्रतिनिधियों को सम्मिलित करने का प्रस्ताव था. लेकिन दुर्भाग्यवश आपकी सरकार ने इसका गठन नहीं किया. शायद इससे वास्तविक आंकड़े सार्वजनिक हो जाते तथा संस्थागत भ्रष्टाचार पर अंकुश लग जाता.
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जब कोई बड़ा संकट आता है तो पीड़ितों द्वारा अपना तारणहार खोजना स्वाभाविक है. आपके दल के ही लोग प्रतिदिन आधिकारिक बयान जारी कर कहते है. कि मुख्यमंत्री की बजाय नेता प्रतिपक्ष को स्वयं फ्रंट पर रहकर कोरोना जांच, जीवन रक्षक दवाओं, बेड, ऑक्सीजन तथा अस्पताल सुनिश्चित व सुव्यवस्थित कराने के साथ-साथ कोरोना के विरुद्ध इस लड़ाई की अगुवाई करनी चाहिए. बिहार के सत्तारूढ़ दलों द्वारा सरकारी व्यवस्था को दुरुस्त करने के बजाय नेता प्रतिपक्ष को खोजने की कवायद को जनता भी इसी दृष्टि से देख रही है.
महोदय, हम जिम्मेदार विपक्ष है तथा मैं स्वयं भी एक संवैधानिक पद पर हूं. ऐसे में मुझे राज्य के लोगों की समस्या को जानने तथा उसके समाधान हेतु सरकार द्वारा लिए जानेवाले फैसलों को जानने तथा जनहित में इनकी कमियों को भी सरकार के सामने लाने का अधिकार है. लेकिन विगत वर्षो में देखा गया है कि अनेकों बार जब-जब जनहित के मुद्दों को लेकर मैं सड़क पर निकला हूं. तब-तब मुझ पर महामारी अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है. जो मेरे संवैधानिक कर्तव्यों का निर्वहन करने से रोकने का एक नाजीवादी विचार व प्रयास है. यह प्रजातंत्र का गला घोंटने तथा आपके हिटलरशाही रवैए का परिचायक है.
महोदय, कोविड जैसी महामारी में स्वास्थ्य विभाग की लचर अव्यवस्था एवं असंवेदनशीलता से जूझती जनता के लिए हम अपने-अपने क्षेत्रों में लोगों को आवश्यक जीवनरक्षक दवाएँ,ऑक्सीजन सिलेन्डर, बेड इत्यादि मुहैया करवा रहे है. मैं इन सारे कार्यो का स्वयं पर्यवेक्षण करना चाहता हूं. साथ ही आपसे अपील है कि सरकार सुनिश्चित करें कि इससे रोगियों व उनके परिजनों को किसी प्रकार की असुविधा ना हो. भीड़भाड़ ना लगे और अफरातफरी ना मचे. प्रशासन व डॉक्टर अपना काम रोककर पीड़ितों को असुविधा ना होने दें.
अतः आपसे अनुरोध है कि राज्य के सभी माननीय विधायकगण सहित मुझे भी राज्य के किसी अस्पताल और कोविड केयर सेंटर आदि के अन्दर जाकर मरीजों एवं उनके परिजनों से मिलने दें. साथ हीं, कोविड केयर सेंटर खोलने तथा सामुदायिक किचन इत्यादि चलाने की अनुमति प्रदान करने की कृपा करें.