Bihar Cricket Association: याचिकाकर्ता का आरोप है कि बीसीसीआई में बैठे लोग प्रतिभाशाली क्रिकेट खिलाड़ियों की संभावनाओं को नजरअंदाज कर रहे हैं और मनमाने तरीके से खिलाड़ियों का चयन कर क्रिकेट को नुकसान पहुंचा रहे हैं.
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पटना: पटना हाईकोर्ट ने बिहार क्रिकेट एसोसिएशन (बीसीए) में भ्रष्टाचार को लेकर कड़े निर्देश दिए. कोर्ट ने दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायाधीश शैलेश कुमार सिन्हा (सेवानिवृत्त) को लोकपाल नियुक्त किया है. कोर्ट ने उन्हें आदेश दिया है कि वह बीसीए के पदाधिकारियों के खिलाफ की गई सभी शिकायतों की जांच करें और बीसीए के उपनियमों के अनुसार फैसला लें. कोर्ट ने बीसीए की खराब प्रबंधन पर कड़ी टिप्पणी की.
जानकारी के लिए बता दें कि बीसीए का मुख्य उद्देश्य राज्य में क्रिकेट को बढ़ावा देना है, लेकिन वहां की कुप्रशासन के कारण बिहार क्रिकेट लंबे समय से प्रभावित हो रहा है. इसके कारण घटिया चयनकर्ताओं द्वारा घटिया खिलाड़ियों का चयन हो रहा है, जिससे राज्य की क्रिकेट छवि खराब हो रही है. कोर्ट ने कहा कि बीसीए के अध्यक्ष राकेश कुमार तिवारी के पास शक्तियों के केंद्रीकरण को लेकर गंभीर शिकायतें हैं और उम्मीद है कि अब से बीसीए के अध्यक्ष बीसीए के नियमों और विनियमों के अनुसार काम करेंगे. यह आदेश न्यायाधीश संदीप कुमार की एकलपीठ ने आदित्य प्रकाश वर्मा की दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया.
याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया है कि बीसीसीआई राज्य क्रिकेट में अनैतिक और गलत प्रथाओं को खत्म करने में पूरी तरह विफल रहा है. उन्होंने कहा कि बीसीसीआई में बैठे लोग प्रतिभावान क्रिकेट खिलाड़ियों की संभावनाओं को नजरअंदाज कर रहे हैं और खिलाड़ियों के मनमाने चयन से क्रिकेट को नुकसान पहुंचा रहे हैं. इसके कारण राज्य में क्रिकेट की स्थिति खराब हो रही है और खिलाड़ी घरेलू टूर्नामेंटों में भी सफल नहीं हो पा रहे हैं.
कोर्ट ने यह भी कहा कि बीसीए द्वारा निर्वाचित सचिव का महत्वपूर्ण पद लंबे समय तक रिक्त रखा गया, जबकि बीसीए के नियमों के अनुसार इसे 45 दिनों के भीतर भरना चाहिए था. इसके अलावा, बैंक खाता संचालन और वित्त प्रबंधन से संबंधित शिकायतें भी गंभीर हैं. बैंक खाता सचिव और कोषाध्यक्ष के संयुक्त हस्ताक्षर से संचालित होना चाहिए था, लेकिन नियमों की अनदेखी की गई. प्रबंध समिति की बैठक में लिए गए निर्णय से यह लगता है कि 12 फरवरी 2023 की विशेष वार्षिक आम बैठक में लाया गया संकल्प अवैध था. इसके अलावा बता दें कि कोर्ट ने निर्देश दिया कि बीसीए का बैंक खाता बीसीए के नियमों और विनियमों के अनुसार ही संचालित किया जाए. इसका संचालन केवल सचिव और कोषाध्यक्ष ही करेंगे और अध्यक्ष और कोषाध्यक्ष नहीं.
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