IAS Sanjeev Hans: बिहार के ऊर्जा विभाग में आईएएस संजीव हंस प्रधान सचिव है. इससे पहले संजी हंस पुल निर्माण निगम में एमडी थे. जानकारी के लिए बता दें कि एसपी सिंगला ग्रुप से अवैध लेनदेन का उन पर आरोप लगा है. इसको लेकर ईडी ने जांच शुरू कर दी है.
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पटना: आईएएस संजीव हंस के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच में ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) ने तेजी दिखाई है. इसी सिलसिले में एसपी सिंगला ग्रुप के कई ठिकानों पर छापेमारी की गई. ये छापेमारी पटना, दिल्ली और पंचकूला सहित अन्य जगहों पर हुई है. आरोप है कि संजीव हंस ने बिहार राज्य पुल निर्माण निगम के एमडी (मैनेजिंग डायरेक्टर) रहते हुए इस कंपनी से अवैध लेनदेन किया था.
संजीव हंस अभी ऊर्जा विभाग के प्रधान सचिव हैं और पहले पुल निर्माण निगम के एमडी थे. आरोप है कि इस पद पर रहते हुए उन्होंने एसपी सिंगला ग्रुप से अवैध लेनदेन किया. ईडी इसी मामले में सबूत जुटाने के लिए कंपनी के ठिकानों पर शुक्रवार को छापेमारी करने पहुंची. संजीव हंस पर आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के मामले में जांच तेजी से चल रही है. छापेमारी के दौरान ईडी को संजीव हंस के घर से आय से अधिक संपत्ति से जुड़े कई दस्तावेज मिले हैं. इसके अलावा मनी लॉन्ड्रिंग की जांच कर रही ईडी की नजर अब संजीव हंस के करीबी लोगों पर भी है. ईडी की टीम ने उनके करीबी रालोसपा नेता सुनील सिन्हा को पूछताछ के लिए पटना स्थित क्षेत्रीय कार्यालय बुलाया है.
जानकारी के अनुसार सुनील सिन्हा, जो रालोसपा के कोषाध्यक्ष हैं, संजीव हंस के साझेदार रहे हैं. एसपी सिंगला कंपनी को बिहार में कई बड़े पुल निर्माण के प्रोजेक्ट मिले हैं. इनमें से भागलपुर के सुल्तानगंज और खगड़िया के अगवानी अप्रोच पुल का निर्माण भी इस कंपनी को मिला था. यह पुल हल्की हवा के झोंके से ही गिर गया था. भ्रष्टाचार की स्थिति यह है कि इस पुल का निर्माण 600 करोड़ रुपये से शुरू हुआ था, जो दो साल बाद 1800 करोड़ रुपये तक पहुंच गया. इसके बाद इसे 2300 करोड़ रुपये करने की कोशिश की जा रही थी.
साथ ही बता दें कि सुपौल में भी सिंगला कंपनी द्वारा बनाया जा रहा एक और पुल निर्माणाधीन स्थिति में गिर गया था. दोनों ही पुलों में घटिया सामग्री के इस्तेमाल के आरोप लगे हैं. सुपौल के पुल की निर्माण लागत 1200 करोड़ रुपये थी. कहा जा रहा है कि इसमें बड़े अधिकारियों की मिलीभगत थी. बिहार में घटिया सामग्री से बने पुलों की निर्माण लागत और समय सीमा दोनों ही बढ़ती जा रही है, लेकिन घटिया सामग्री के कारण ये पुल निर्माण के दौरान ही ध्वस्त हो रहे हैं. अब इन पुलों का निर्माण करने वाली कंपनी पर ईडी की छापेमारी जारी है.
इनपुट- जी बिहार झारखंड
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