नियोजित शिक्षकों ने नई शिक्षक नियमावली का किया विरोध, कहा- जरूरत पड़ी तो जाएंगे कोर्ट
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नियोजित शिक्षकों ने नई शिक्षक नियमावली का किया विरोध, कहा- जरूरत पड़ी तो जाएंगे कोर्ट

Bihar News : शिक्षकों की मांग थी बिना शर्त राज्य कर्मी का दर्जा मिले लेकिन इस नियमावली में एक शर्त थोप दिया गया है जिसका हम लोग विरोध करते है.

नियोजित शिक्षकों ने नई शिक्षक नियमावली का किया विरोध, कहा- जरूरत पड़ी तो जाएंगे कोर्ट

पटना: बिहार में नई शिक्षक नियमावली बनकर तैयार हो गई है और इसी के साथ नियोजित शिक्षकों के लिए राज्यकर्मी बनने का रास्ता भी साफ हो गया है. एक साल के भीतर सक्षमता परीक्षा ली जाएगी, परीक्षा पास करके नियोजित शिक्षक सरकारी शिक्षक बनेंगे, लेकिन नियमावली के तैयार होते ही नियोजित शिक्षकों ने इसका विरोध शुरू कर दिया है. नियोजित शिक्षकों की प्रतिक्रिया भी आई है राजू सिंह का कहना है कि बिहार के लाखों नियोजित शिक्षक राज्य कर्मी बनने की मांग को लेकर वर्षो से संघर्षरत रहे थे ना कि विशिष्ट शिक्षक बनने के लिए संघर्ष किया था. बिहार सरकार से मांग करते हुए कहा की लाखों नियोजित शिक्षकों को बिना शर्त लगाए हुए राज्य कर्मी का दर्जा दें.

वही टीईटी शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष अमित विक्रम का कहना है कि राज्य कर्मी बनाने की दिशा में यह पहला कदम है. इसका हम लोग स्वागत करते हैं लेकिन इस नियमावली में बहुत सारे ऐसे बिंदु हैं जिस पर हमको आपत्ति है. हम शिक्षकों की मांग थी बिना शर्त राज्य कर्मी का दर्जा मिले लेकिन इस नियमावली में एक शर्त थोप दिया गया है जिसका हम लोग विरोध करते है. इस नियमावली के कई बिंदुओं से असंतुष्ट है,7 दिन का जो समय दिया गया है उसमें हम पहले आपत्ति दर्ज करेंगे और उसका निराकरण नहीं हुआ तो हम लोग कोर्ट भी जाएंगे. सड़क पर भी आंदोलन करेंगे. इतना संघर्ष हमने विशिष्ट शिक्षक बनने के लिए नहीं किया था, जल्द ही हम लोग बैठक कर के आगे आंदोलन करने की रणनीति या कोर्ट जाने को लेकर फैसला करेंगे.

वही छात्र नेता दिलीप ने कहा कि 4 लाख से अधिक नियोजित शिक्षक लंबे समय से मांग कर रहे थे कि उनको बिना शर्त राज्यकर्मी का दर्जा दिया जाए लेकिन आज जो नोटिस जारी हुआ उसके अनुसार विशिष्ट शिक्षक बनने के लिए उनको परीक्षा देनी होगी. नियमावली से नियोजित शिक्षक नाराज है सरकार से हम सवाल करते हुए कहा कि आप शिक्षकों का अलग-अलग वर्ग क्यों बना रहे है, यानी सरकार की मंशा अभी भी नियोजन प्रक्रिया बहल रखने की है. एक बार में क्यों नहीं नियोजन प्रक्रिया को समाप्त किया जाए.

इनपुट- निषेद कुमार

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