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छपरा : कहते हैं कि कोई भी उम्र किसी भी कार्य को करने के लिए बाधा नहीं होती और किसी भी कार्य की शुरुआत की कोई उम्र सीमा नहीं होती है. ऐसा ही जज़्बा और खेती करने की लगन नगरा प्रखंड के सैदुपुर मठिया गांव निवासी नर्वदेश्वर गिरी के यहां देखने को मिली.
स्वैच्छिक रिटायरमेंट के बाद शुरू की खेती
कोलकाता के हाजिनगर जुट मिल से स्वैच्छिक रिटायरमेंट के बाद पिताजी की सेवा करने के लिये अपने घर आये नर्मदेश्वर गिरी ने पिताजी के सेवा के साथ ही खेती में अपनी दिलचस्पी दिखाई और धीरे-धीरे अच्छी सब्जी और फलों का एक बगीचा भी इन्होंने लगाया.
आधी जमीन में नर्मदेश्वर गिरी ने लगाए हैं सागवान के पौधे
नर्मदेश्वर गिरी ने 1 एकड़ की जमीन में से आधे एकड़ में सागवान का पौधा लगाया है वहीं आधे एकड़ जमीन में मौसमी सब्जी और फलों की खेती की है. जिससे सिर्फ मौसमी की खेती से इन्हें सालाना 60 हजार की आमदनी हो रही है.
सब्जी और फलों की एक साथ खेती कर रहे हैं नर्मदेश्वर गिरी
इन्होंने मौसमी सब्जी के साथ अपने खेत में ही पपीता, अमरूद, अदरक, ओल, केला, आंवला आदि की खेती भी कर रहे हैं. इन्होंने इसके लिये मिट्टी जांच करवाई और फिर करीब आधे एकड़ जमीन में मौसमी सब्जी और फल की खेती की.
मौसंबी की भी उपज से होगा मुनाफा
इन्होंने बताया कि पौधे जैसे-जैसे पुराने होंगे इनमें फल लगने की संख्या बढ़ेगी और प्रति पेड़ 35 से 40 किलो मौसंबी देने लगेगा. जिससे आधे एकड़ की खेती में भी प्रति वर्ष खेतों से 50 क्विंटल मौसंबी निकल सकता है. जिससे ढाई लाख तक कि आमदनी आने वाले समय में हो सकती है.
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