Gupta Navratri Tripur Bhairvi Puja: कौन हैं देवी त्रिपुर भैरवी, रात नौ बजे के बाद जरूर कर लें पूजा
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Gupta Navratri Tripur Bhairvi Puja: कौन हैं देवी त्रिपुर भैरवी, रात नौ बजे के बाद जरूर कर लें पूजा

माघ गुप्त नवरात्रि के छठवें दिन देवी त्रिपुर भैरवी की उपासना की जाती है. देवी की आद्या शक्तियों में जो 10 महाविद्या स्वरूप हैं उनमें देवी त्रिपुर भैरवी छठवीं शक्ति हैं.

Gupta Navratri Tripur Bhairvi Puja: कौन हैं देवी त्रिपुर भैरवी, रात नौ बजे के बाद जरूर कर लें पूजा

पटनाः Gupta Navratri Tripur Bhairvi Puja: माघ गुप्त नवरात्रि के छठवें दिन देवी त्रिपुर भैरवी की उपासना की जाती है. देवी की आद्या शक्तियों में जो 10 महाविद्या स्वरूप हैं उनमें देवी त्रिपुर भैरवी छठवीं शक्ति हैं. देवी का निवास मां की भृकुटियों के बीच में है और यह आज्ञाचक्र को संचालित करने वाली देवी हैं. मनुष्यों में मस्तिष्क के तंत्रिका तंत्रों में जो चेतना स्वरूप होता है, आध्यात्मिक नजरिए से देखें तो वह मां के द्वारा ही संचालित होता है. यानि देवी हमारे सौम्य और उग्र व्यवहार की परिचायक भी हैं और नियंत्रक भी. देवी की साधना से जीवन में एकाग्रता आती है. इसके अलावा तंत्र साधना में और भी अचूक परिणाम प्राप्त होते हैं.

काल भैरव से है संबंध

देवी त्रिपुर भैरवी सौम्य-उग्र स्वभाव और प्रकृति की हैं. आदि शक्तियों में छठवें स्थान पर विद्यमान त्रिपुर-भैरवी, संहार तथा विध्वंस की पूर्ण शक्ति है. त्रिपुर शब्द का अर्थ है, तीनो लोक “स्वर्ग, विश्व और पाताल” और भैरवी विनाश के एक सिद्धांत के रूप में दिखाई देता है. तीन लोकों में जो सर्व नष्ट या विध्वंस कि जो शक्ति हैं, वह भैरवी हैं. देवी त्रिपुर भैरवी का घनिष्ठ सम्बन्ध ‘काल भैरव’ से है. देवी दंड विधान की भी शक्ति हैं और इसका आधार भी हैं.

ऐसा है देवी का स्वरूप

देवी लाल वस्त्र पहनती हैं और गले में मुंडमाला धारण करती हैं. उनके शरीर पर रक्त चंदन का लेप है. हाथों में जपमाला, पुस्तक तथा वर और अभय मुद्रा है. देवी कमलासन पर विराजमान हैं. भैरवी देवी के कई भेद हैं. इन्हें त्रिपुर भैरवी, चैतन्य भैरवी, सिद्ध भैरवी, भुवनेश्वर भैरवी, संपदाप्रद भैरवी, कमलेश्वरी भैरवी, कौलेश्वर भैरवी, कामेश्वरी भैरवी, नित्याभैरवी, रुद्रभैरवी, भद्र भैरवी तथा षटकुटा भैरवी के नाम से जाना जाता है. महाविद्या त्रिपुरा भैरवी की साधना नवरात्रि या शुक्ल पक्ष के बुधवार या शुक्रवार के दिन से शुरू कर सकते हैं.

मां का मंत्र

‘ह्नीं भैरवी क्लौं ह्नीं स्वाहा:’ इस मंत्र का जाप मूंगे की माला से 15 बार करें.

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