Atheists In Bihar: जातीय जनगणना में यह बात निकलकर आई कि बिहार में हिंदू धर्म का दबदबा कायम है और मुसलमान दूसरे नंबर पर है. इसके अलावा, यह तथ्य भी सामने आया कि बिहार में नास्तिकों की संख्या अब 4 डिजिट में पहुंच गई है और यह बढ़ते क्रम में है.
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लोकसभा चुनाव से पहले जातीय जनगणना का शोर मचा, जातीय जनगणना हो गई और उसकी रिपोर्ट भी आ गई. अब यह शोर मचा है कि बिहार की तरह पूरे देश में जातीय जनगणना कराई जाए और जिसकी जितनी हिस्सेदारी, उसकी उतनी भागीदारी का फॉर्मूला अपनाया जाए. लोकसभा चुनावों के जिस तरह से रिजल्ट आए हैं, उससे विपक्ष उत्साहित है तो सत्ताधारी मोदी सरकार इसको लेकर डिफेंसिव मोड में है. मोदी सरकार अभी तक विपक्ष की जातीय जनगणना की मांग की काट नहीं निकाल पाई है. अब आरएसएस ने भी जातीय जनगणना की पैरवी कर दी है. देश में जहां जाति और धर्म की राजनीति हो रही है, ऐसे में हमें यह भी जान लेना चाहिए कि बिहार में जातीय जनगणना की जो रिपोर्ट आई है, उसमें नास्तिकों या विधर्मियों की संख्या कितनी है.
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जातीय जनगणना के आंकड़ों के अनुसार, बिहार में धर्म के लिहाज से 81.9 प्रतिशत की संख्या के साथ हिंदुओं का दबदबा है तो मुसलमान 17.7 प्रतिशत के साथ दूसरे नंबर पर हैं. 0.05 प्रतिशत ईसाई, 0.01 प्रतिशत सिख, 0.08 प्रतिशत बौद्ध, 0.0096 प्रतिशत जैन और अन्य धर्मों के 0.12 प्रतिशत लोग बिहार में निवास करते हैं. नास्तिकों की बात करें तो बिहार में 2146 लोग ऐसे हैं, जो किसी भी धर्म या संप्रदाय को नहीं मानते.
जातीय जनगणना के आंकड़े बताते हैं कि बिहार की जनसंख्या 13 करोड़ से अधिक है, जिनमें 36.01 प्रतिशत अति पिछड़ा, 27 प्रतिशत पिछड़ा, 19.65 प्रतिशत अनुसूचित जाति तो 1.68 प्रतिशत अनुसूचित जनजाति के लोग शामिल हैं. पिछड़े वर्ग में 14.26 प्रतिशत के साथ यादवों की बहुलता है तो ऊँची जातियों का प्रशित 15.52 है.
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बिहार की 13 करोड़ की जनसंख्या में हिंदू 10,71,92,958, मुसलमान 2,31,49,925, ईसाई 75,238, सिख 14,753, बौद्ध 1,11,201, जैन 12,523 और अन्य धर्म मानने वालों की संख्या 1,66,566 है.