Prashant Kishor Politics: प्रशांत किशोर पार्टी के ऐलान से पहले बहुत ही सधे हुए चाल चल रहे हैं. पहले उन्होंने 40 सीटों पर महिला प्रत्याशी उतारने का ऐलान किया तो अब मुसलमानों को भी उतनी ही सीटें देने की बात कर रहे हैं. यह देखना बाकी है कि बाकी बची 163 सीटों के लिए उनके पास क्या रणनीति है.
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Prashant Kishor News: पार्टी के गठन से पहले ही जनसुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर पूरे फॉर्म में दिख रहे हैं. रोजाना वे नए नए ऐलान कर रहे हैं और अपनी पार्टी की रणनीति का खुलासा कर लोगों के मन मस्तिष्क पर छा जाने की कोशिश कर रहे हैं. इसके अलावा वे सत्ताधारी एनडीए गठबंधन और मुख्य विपक्षी दल राजद के कर्ताधर्ताओं लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव पर हमला भी बोल रहे हैं. अपनी इसी रणनीति के तहत प्रशांत किशोर ने ऐलान किया है कि विधानसभा चुनाव में वे हर लोकसभा क्षेत्र में कम से कम एक महिला उम्मीदवार को खड़ा करेंगे. अगली कड़ी में प्रशांत किशोर ने मुसलमानों के लिए भी इसी तरह का ऐलान किया है. उनका कहना है कि बिहार विधानसभा में 40 सीटों पर मुसलमान प्रत्याशियों को खड़ा किया जाएगा.
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प्रशांत किशोर ने जहां 40 महिला उम्मीदवारों को उतारने की रणनीति का खुलासा कर पीएम मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के कोर वोटर का ध्यान अपनी ओर खींचा है, वहीं 40 मुसलमानों को टिकट देने का ऐलान कर वे राजद के मुख्य आधार वोट बैंक पर भी निशाना साधते हुए अपनी ओर आकर्षित करने की कोशिश कर रहे हैं. अब अपनी कोशिश में वे कितना सफल हो पाते हैं, यह तो वक्त ही बताएगा.
अब सवाल यह है कि प्रशांत किशोर ने 80 सीटों को लेकर तो गणित जाहिर कर दिया, लेकिन बाकी बचे 163 सीटों के लिए उनके दिमाग में क्या चल रहा है? क्या बाकी सीटों को लेकर भी उनके पास कोई रणनीति बची है? क्या कुछ सीटें दलितों, ओबीसी और आदिवासियों के लिए भी फिक्स की जाएंगी? या फिर क्या सवर्णों को लेकर भी उनके दिमाग में कोई स्ट्रैटजी है?
कई सारे सवाल हैं और इन सवालों के उत्तर अभी प्रशांत किशोर के ही पास हो सकता है. जनसंख्या के लिहाज से देखें तो बिहार में महिलाएं सबसे बड़ी वोट बैंक हैं और उसके बाद मुसलमान और फिर यादवों का नंबर आता है. बाकी जो वोट बैंक हैं, वो खुदरा में हैं और सिंगल डिजिट परसेंटेज वाले हैं.
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हो सकता है कि प्रशांत किशोर खुद ब्राह्मण जाति से हैं तो ब्राह्मणों के लिए कोई ऐलान न करें, क्योंकि इससे उन पर ब्राह्मणवादी होने का ठप्पा लग सकता है, लेकिन राजपूत, भूमिहार, कुशवाहा, कोइरी और कुर्मी को लेकर भी उनका प्लान देखने वाला हो सकता है. जो भी हो, प्रशांत किशोर ने बिहार की ठहरी हुई राजनीति में कंकड़ तो उछाल ही दिया है.