ओडिशा में बालासोर नाम से एक जिला है. इस जिले में एक अजीबो गरीब परंपरा है. बालासोर में एक आदिवासी गांव है और यहां अंधविश्वास के नाम पर दो ऐसी शादियां हुई है जिससे हर बुरी आत्माओं (शक्तियों) से निजात मिलेगी.
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बालासोर: देश नई टेक्नोलॉजी के माध्यम से आगे बढ़कर प्रगति कर रहा है, लेकिन कुछ लोग है कि अंधविश्वास की डोर से आज भी बंधे हुए है. ऐसा ही एक अजीबो गरीब किस्सा ओडिशा का है. यहां एक ऐसा गांव है कि इंसान और कुत्ते के बीच शादी करवाई जाती है. आइए जानते है वजह...
बालासोर जिले में इंसान और कुत्ते के बीच होती है शादी
ओडिशा में बालासोर नाम से एक जिला है. इस जिले में एक अजीबो गरीब परंपरा है. बालासोर में एक आदिवासी गांव है और यहां अंधविश्वास के नाम पर दो ऐसी शादियां हुई है जिससे हर बुरी आत्माओं (शक्तियों) से निजात मिलेगी. दरअसल, इस गांव में रहने वाले मचुआ सिंह को अपने बेटे तपन सिंह की शादी एक कुतिया से करवा दी, तो वहीं मानस सिंह ने अपनी बेटी लक्ष्मी की शादी कुत्ते के साथ करवा दी.
बुरे प्रभाव से बचाने के लिए कुत्ते और कुतिया से होती है शादी
बालासोर के रहने वाले मचुआ और मानस सोरो ने बताया कि वो एक बंधशाही गांव के 'हो जनजाति' के सदस्य हैं. यहां आदिवासियों को कुछ अलग ही परंपरा है. दरअसल, यहां अगर किसी बच्चे के ऊपरी जबड़े में पहला दांत निकलता है तो उसकी शादी कुत्ता या कुतिया से करवाई जाती है. इन लोगों का मानना है कि अगर वो ऐसा करते है तो इनके बच्चों की जीवन पर कोई बुरा प्रभाव नहीं पड़ेगा. सभी अपना जीवन अच्छे से यापन कर सकते है.
शादी के बाद हुआ सामूहिक भोज
वहीं सागर सिंह ने बताया कि इनका समुदाय की पुरानी परंपरा को मानता है. साथ ही इन्हीं परंपरा को मानते हुए उन्होंने अपने बच्चों की शादी कुत्ते और कुतिया से करवा दी. सुबह सात बजे से लेकर एक बजे तक दोनों की शादी चलीं. इसके बाद शादी में शामिल अन्य सदस्यों को सामूहिक भोज कराया गया. उन्होंने ने बताया कि ऐसा करने से बुरी आत्मा का साया शादी के बाद कुत्ता और कुतिया में चला जाता है.