Happy Birthday Lalu Yadav: बिहार के फुलवारिया गांव में जन्मे लालू प्रसाद यादव को किसी परिचय की जरूरत नहीं है. लेकिन फिर भी अगर कभी उनके ऊपर कोई फिल्म बने तो उस फिल्म की कहानी कुछ इस प्रकार होगी.
Trending Photos
Patna: 11 जून की तारीख बिहार की सियासत के लिए बेहद खास है. इस दिन का इतिहास बिहार के लिए बहुत मायने रखता है. क्योंकि इस दिन भारतीय राजनीति के महारथियों में शुमार लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) का जन्म हुआ था. बिहार के फुलवारिया गांव में जन्मे लालू प्रसाद यादव को किसी परिचय की जरूरत नहीं है. लेकिन आज उनके जन्मदिन पर फिर जानते हैं उनके जीवन के कुछ अहम किस्से.
बिहार के गोपालगंज में पड़ने वाला फुलवारिया गांव, यहां से नजर घुमाने पर सिर्फ और सिर्फ मिट्टी के कच्चे मकान नजर आते थे. इन्हीं कच्चे मकानों के बीच आजादी के अगले साल जून महीने की 11 तारीख को दूध बेचने वाले कुंदन राय के घर में दूसरे बेटे का जन्म होता है. परिवार वाले बच्चे का नाम 'लालू' रखते हैं.
शिक्षा ग्रहण करने पटना गए लालू
समय के साथ गोद में खेलने वाला लालू अब धीरे-धीरे बड़ा होने लगा है. दिन ढलते ही मां मरिछिया देवी के साथ घर-घर जाकर दूध बांटना लालू की दिनचर्या बन गया है. लेकिन परिवार वाले जानते हैं कि सिर्फ दूध बेचने से घर का गुजारा नहीं होने वाला है. इसी सोच के चलते 1966 में लालू को पढ़ने के लिए बड़े भैया के पास पटना भेज दिया जाता है.
ये भी पढ़ें-लालू ने तेजस्वी की मौजूदगी में मनाया जन्मदिन, पूरा परिवार वीडियो कॉल पर था मौजूद
छात्र राजनीति में बढ़ी दिलचस्पी
पटना में लालू के भैया बिहार वेटरनरी कॉलेज में चपरासी की नौकरी करते हैं और अब यहीं उनके पास रहकर लालू बीए की पढ़ाई करने के लिए बिहार नेशनल कॉलेज में एडमिशन ले लेते हैं. कॉलेज में रहकर लालू की दिलचस्पी छात्र राजनीति में बढ़ने लगती है. गांव में घर-घर जाकर दूध बांटने वाला लालू अब हजारों लोगों के सामने भाषण देने लगा है.
साल बीतने के साथ ही लालू पटना यूनिवर्सिटी की स्टूडेंट यूनियन के जनरल सेक्रेटरी बन जाते हैं. इस दौरान घरवालों को लगा कि लड़का बड़ा हो गया है तो क्यों ना उसके हाथ पीले करवा दिए जाएं.
एक दिन कहानी के हीरो यानी लालू के घर कुछ लोग उनके रिश्ते की बात करने पहुंचते हैं. ऐसे में जहां आमतौर पर लोग सज-धजकर ससुराल वालों के सामने आना पसंद करते हैं, वहां लालू एक साधारण धोती और बनियान में उन लोगों के सामने जाकर खड़े हो जाते हैं. लड़की के पिता को लालू का वह साधारण रूप बेहद पसंद आता है और वह पहली नजर में ही इस रिश्ते के लिए राजी हो जाते हैं.
ये भी पढ़ें-आज 72 साल के हुए लालू यादव, बेटे तेजप्रताप समर्थकों के साथ मनाएंगे जन्मदिन
राबड़ी के गांव पहुंचा लालू का दोस्त
अब घरवाले तो मान गए थे. लेकिन हमारे हीरो को कैसे पता चले कि जो लड़की चुनी गई है वह उनके लिए सक्षम है भी या नहीं. इसी बात का पता लगाने लालू अपने एक करीबी दोस्त को चुपके से लड़की के गांव भेज देते हैं. कुछ दिन गांव में बिताने के बाद लालू का दोस्त उनके पास वापस आता है और बताता है की लड़की का नाम राबड़ी है और वह उनके लिए एकदम परफेक्ट है. लेकिन हर कहानी की तरह इस कहानी में भी कुछ मुश्किलें आना अभी बाकी थीं.
'शादी लड़के से हो रही है ना कि उसके घर से'
दरअसल, लालू के लिए चुनी गई लड़की अमीर घराने से थी. वहीं, लड़की के चाचा को जब इस बात की खबर मिलती है कि उनकी भतीजी की शादी ऐसी जगह की जा रही है जहां रहने के लिए पक्की छत तक नहीं है तो वह शादी से इंकार कर देते हैं. जिसके बाद लड़की के पिता यह कहकर चाचा को मना लेते हैं कि 'शादी लड़के से हो रही है ना कि उसके घर से. नसीब अच्छा रहा तो रिश्ते के साथ-साथ घर की छत भी पक्की हो ही जाएगी.'
1 जून 1973 को लालू प्रसाद यादव की राबड़ी देवी (Rabri Devi) से शादी हो जाती है. शादी की रस्मों-रिवाज के चलते राबड़ी गौना के लिए वापस घर चली जाती है और लालू भी पटना लौट आते हैं.
पहली मुलाकात
साल बीत जाता है, यह वह दौर है जब जयप्रकाश नारायण (Jai Prakash Narayan) ने 'संपूर्ण क्रांति' आंदोलन की घोषणा की है. 18 मार्च का दिन, लालू को पता चलता है कि पत्नी राबड़ी गौना की रस्म कर वापस ससुराल आ गई हैं. वह पहली बार अपनी दुल्हन को देखने वाले हैं. खबर सुनकर लालू के चेहरे पर खुशी कम चिंता ज्यादा दिखाई देती है.
'मुझे माफ करना...
लालू राबड़ी से मिलने पहुंचते हैं और कहते हैं, 'मुझे माफ करना, मैं तुम्हें अभी ज्यादा वक्त नहीं दे पाऊंगा. मैंने आंदोलन में हिस्सा लिया है और अगर मैं वहां नहीं पहुंचा तो लोग मुझे डरपोक और भगोड़ा कहेंगे, मुझे जाना होगा. तुम अपना और परिवार का ध्यान रखना.' इतना कहकर लालू वहां से चले जाते हैं.
पटना, चारों ओर नारेबाजियां हो रही हैं, पुलिस लोगों पर लाठीचार्ज कर रही है. लालू रैली में सबसे आगे हैं, तभी पुलिस की गोली चलती है और सब ब्लैक आउट हो जाता है. कुछ समय बाद लालू के घर खबर पहुंचती है कि लालू रैली के दौरान पुलिस की गोली द्वारा मारे गए. घर में सन्नाटा पसर जाता है. कैमरे का फोकस नई-नवेली दुल्हन राबड़ी पर होता है.
इसके कुछ दिनों बाद राबड़ी घर के काम-काजों में लगी होती हैं कि तभी एक अनजान शख्स उनके सामने आकर खड़ा हो जाता है. राबड़ी के द्वारा उसका परिचय पूछने पर वह बताता है कि लालू जिंदा है, उन्हीं ने उसे यहां भेजा है और कहा है कि आप लोग चिंता ना करें वह जल्द ही आपसे मिलेंगे. इतना सुनते ही राबड़ी मानों खुशी से पागल हो उठती हैं.
राबड़ी ने नहीं की कभी लालू से शिकायत
इसी दौरान यह खबर पुलिस के कानों तक भी पहुंच जाती है. पुलिस लालू को ढूंढ निकालती हैं और उन्हें जेल जाना पड़ता है. लालू अपनी नई शादी को बिल्कुल भी समय नहीं दे पाए. लेकिन राबड़ी देवी ने इस बारे में उनसे शिकायत नहीं की बल्कि हमेशा साथ दिया.
जेल से चुटकुले लिखकर भेजते थे लालू
लालू यादव जेल से ही अपनी पत्नी को चुटकुले लिखकर भेजते हैं. राबड़ी देवी भी लालू से मिलने अक्सर जेल पहुंच जाती थीं. लालू जेल में थे और राबड़ी ने अकेले ही परिवार की जिम्मेदारियां संभाली.
नई शुरुआत
आपातकाल के बाद लोकसभा चुनाव हुआ, लालू छपरा से टिकट जीतकर 29 साल की उम्र में संसद पहुंचने वाले भारत के सबसे युवा सांसद बनते हैं. पार्टी के अंदर भी उनका कद बढ़ता रहा और वह बिहार के सीएम बन जाते हैं. यहां फिल्म 'नायक' की कहानी दोहराई जाएगी कि कैसे सीएम शराब के ठेकों पर खुद छापा मारते हैं, न्याय के लिए आवाज उठाते नजर आते हैं, अखबारों में आए दिन सीएम की पत्नी की घर में पोछा लगाते हुए, आम जनता की तरह अन्य कामकाज करते हुए फोटो छपने लगती है. लालू लोगों के हीरो बन जाते हैं.
सब कुछ अच्छा चल ही रहा था कि अचानक 1996 की जनवरी में पश्चिम सिंहभूम में एनिमल हसबैंडरी विभाग के दफ्तर पर एक रेड पड़ती हैं. जिसके दस्तावेज सार्वजनिक हो जाते हैं. पता चलता है कि भूसे के बदले बिहार सरकार के खजाने से अनाप-शनाप बिल पास करवाए जा रहे हैं. जिसे 'चारा घोटाले' का नाम दिया जाता है.
ये भी पढ़ें-International Women's Day: जानिए भागमनी से राबड़ी कैसे हुआ लालू की पत्नी का नाम?
गद्दी छोड़ी लेकिन सत्ता पर बना रहा कब्जा
इसके इल्जाम में सीबीआई (CBI) लालू को गिरफ्तार कर लेती है. मजबूरी में जुलाई 1997 में लालू को सीएम पद से इस्तीफा देना पड़ता है. लालू पहली बाहर आरोपी के रूप में जेल जा रहे होते हैं और सभी के मन में सवाल होता है कि अब अगला सीएम कौन बनेगा, लालू किसे यह दावेदारी सौंपेंगे. जिसके जवाब में लालू सबको चुकाते हुए सीएम की गद्दी पत्नी राबड़ी देवी को सौंप देते हैं. राबड़ी देवी को इससे पहले कभी सार्वजनिक जीवन में नहीं देखा जाता है.
साल 2021. कुछ महीनों पहले लालू जेल से रिहा हो चुके हैं और आज वह अपना 74वां बर्थडे मना रहे हैं. आज की परिस्थितियां काफी अलग है. काफी कुछ बदल भी गया है. लेकिन 'पिक्चर अभी बाकी है मेरे दोस्त...