शिक्षा मंत्री के निजी सचिव के विभाग में घुसने पर रोक, लालू प्रसाद यादव ने चंद्रशेखर को किया तलब
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शिक्षा मंत्री के निजी सचिव के विभाग में घुसने पर रोक, लालू प्रसाद यादव ने चंद्रशेखर को किया तलब

मुश्किलों में घिरे शिक्षा मंत्री चंद्रशेखऱ को एक और बड़ा झटका लगा है. अपर मुख्य सचिव केके पाठक ने चंद्रशेखर के निजी आप्त सचिव को शिक्षा विभाग में घुसने पर रोक लगा दी है. यह आदेश देते हुए केके पाठक ने पूछा है कि किस हैसियत से नाम के आगे डॉक्टर लगाते हैं.

शिक्षा मंत्री के निजी सचिव के विभाग में घुसने पर रोक, लालू प्रसाद यादव ने चंद्रशेखर को किया तलब

पटना: मुश्किलों में घिरे शिक्षा मंत्री चंद्रशेखऱ को एक और बड़ा झटका लगा है. अपर मुख्य सचिव केके पाठक ने चंद्रशेखर के निजी आप्त सचिव को शिक्षा विभाग में घुसने पर रोक लगा दी है. यह आदेश देते हुए केके पाठक ने पूछा है कि किस हैसियत से नाम के आगे डॉक्टर लगाते हैं. शिक्षा विभाग में छिड़े शीत युद्ध को देखते हुए राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ने शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर को तलब कर लिया है. तलब किए जाने के बाद शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर लालू प्रसाद यादव से मिलने उनके आवास पर पहुंचे हैं. हालांकि इस दौरान शिक्षा मंत्री ने कहा, कोई विवाद नहीं है. वे मामले को देख रहे हैं. 

 

उन्होंने पत्रकारों से यह भी कहा कि आप ही लोग से पता चला है कि विवाद बढ़ा है. इससे पहले शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने पीत पत्र लिखा था. अपर मुख्य सचिव केके पाठक की ओर से मंत्री के निजी सचिव के खिलाफ कार्रवाई को पीत पत्र का जवाब माना जा रहा है. केके पाठक के कार्यालय से मंत्री के निजी सचिव को संबोधित करते हुए जो पत्र लिखा गया है, उसका मजमून कुछ इस प्रकार है- 

डॉ. कृष्णा नन्द यादव,
मा. मंत्री के आप्त सचिव, शिक्षा विभाग, बिहार सरकार
निदेशानुसार, पिछले एक सप्ताह में आपके द्वारा भाँति-भाँति के पीत-पत्रों में भाँति-भाँति के निर्देश विभाग और विभागीय पदाधिकारियों को भेजे गये हैं. इस संबंध में आपको आगाह किया गया था कि आप आप्त सचिव बाह्य के तौर पर हैं. अतः आपको नियमतः सरकारी अधिकारियों से सीधे पत्राचार नहीं करना चाहिए. 
किन्तु आपके लगातार जारी अनर्गल पीत-पत्रों और अविवेकपूर्ण बातों से यह पता चलता है कि आपको माननीय मंत्री के प्रकोष्ठ में अब कोई काम नहीं है और आप व्यर्थ के पत्र लिखकर विभाग के पदाधिकारियों का समय नष्ट कर रहे हैं.

उल्लेखनीय है कि आपकी सेवाएँ लौटाने के लिए सक्षम प्राधिकार को विभाग पहले ही लिख चुका हैं. विभाग द्वारा यह भी निर्देशित किया गया है कि अब आप शिक्षा विभाग के कार्यालय में भौतिक रूप से प्रवेश नहीं कर सकते हैं. विभाग को यह भी पता चला है कि आप विभाग पर मुकदमा कर चुके हैं, जिसके कारण आपकी सेवा सामंजन का प्रस्ताव विभाग द्वारा काफी समय से लगातार खारिज किया जाता रहा है. अतः आप स्वयं एक माननीय विभागीय मंत्री के प्रकोष्ठ में काम करने के लायक नहीं हैं. इन्हीं कारणों से सक्षम प्राधिकार को आपको हटाने के लिए पत्र लिखा जा चुका है.

आपसे अनुरोध है कि आप स्वयं या अपने संरक्षकों जिनके कहने पर ये तथाकथित पीत-पत्र लिख रहे हैं, पूरी प्रक्रियाओं से अवगत हो लें और उसके बाद ही किसी प्रकार का पत्राचार करें. व्यर्थ का पत्राचार करने से आपका और आपके संरक्षकों की कुत्सित मानसिकता एवं अकर्मण्यता जाहिर होती है. विभागीय पदाधिकारियों के लिए संभव नहीं है कि वे आपके हर प्रकार के पत्रों का बार-बार उत्तर देते रहें. 

विभाग में यह भी निदेश निर्गत कर दिया गया है कि आपके द्वारा लिखे गये पत्र-पीत पत्र तुरंत लौटा दिये जाएं. आपको पुनः आगाह किया जाता है कि आप व्यर्थ का पत्राचार न करें और अपने नाम के आगे जो डॉ. लगाते हैं, उसका सबूत दें कि क्या आप वाकई किसी उच्च शिक्षण संस्थान में प्राध्यापक रह चुके हैं. 

सुबोध कुमार चौधरी
निदेशक, प्रशासन, सह अपर सचिव, शिक्षा विभाग, बिहार, पटना

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