...तो क्या शराबबंदी के चलते बिहार में जहरीली शराब से हो रही मौतें? यूपी में एक भी मौत नहीं
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...तो क्या शराबबंदी के चलते बिहार में जहरीली शराब से हो रही मौतें? यूपी में एक भी मौत नहीं

बिहार में 2016 से पूर्ण शराबबंदी लागू है लेकिन हर साल जहरीली शराब से होने वाली मौतें डराती हैं. अभी पूर्वी चंपारण के मोतिहारी से सटे इलाके में जहरीली शराब ने 31 लोगों की मौत हो चुकी है. इससे पहले सारण में 59, सीवार में 5 और बेगुसराय में 2 लोग जहरीली शराब का शिकार हुए थे.

 (फाइल फोटो)

Motihari Hooch Tragedy: बिहार में 2016 से पूर्ण शराबबंदी लागू है लेकिन हर साल जहरीली शराब से होने वाली मौतें डराती हैं. अभी पूर्वी चंपारण के मोतिहारी से सटे इलाके में जहरीली शराब ने 31 लोगों की मौत हो चुकी है. इससे पहले सारण में 59, सीवार में 5 और बेगुसराय में 2 लोग जहरीली शराब का शिकार हुए थे. जब भी जहरीली शराब से मौतें होती हैं तो हाहाकार मचती है और फिर पसर जाता है सन्नाटा. उसके बाद इंतजार होता है कहीं और इस तरह की घटना की. 2016 के बाद से जहरीली शराब से होने वाली मौतों की घटना रिपीट होती रही हैं और हर बात सरकार जांच, जांच और जांच की बात कही निपटा देती है. लेकिन अब चूंकि 2024 का लोकसभा चुनाव नजदीक आ रहा है तो मुख्यमंत्री का हृदय पिघल गया और उन्होंने कुछ शर्तों के साथ 4 लाख रुपये मुआवजे का ऐलान कर दिया है. सवाल यह है कि जहरीली शराब से बिहार में मौत क्या शराबबंदी के चलते हो रही है. अगर नहीं तो फिर उत्तर प्रदेश में 2022-23 में जहरीली शराब से एक भी मौत क्यों नहीं हुई. यूपी में जहां मौत भी नहीं हुई, वहीं शराब के चलते राज्य के राजस्व में भी भारी इजाफा हुआ है. 

यूपी ने राजस्व भी कमाया और मौतें भी नहीं हुईं 

शराबबंदी कानून लागू होने के बाद से बिहार में करीब 2 करोड़ 25 लाख लीटर अंग्रेजी शराब पकड़ी गई है. ये शराब दूसरे राज्यों से बिहार में तस्करी कर लाई गई. वहीं 2016 के बाद से अब तक 1200 से अधिक लोग जहरीली शराब का शिकार हो गए. दूसरी ओर, यूपी की बात करें तो वित्त वर्ष 2021-22 की तुलना में 2022-23 में 4 लाख करोड़ रुपये की शराब बिकी और इससे 36.321 करोड़ रुपये राजस्व यूपी सरकार की झोली में गए. यह 2021-22 की तुलना में 14 फीसद अधिक है. वहीं यूपी सरकार के आंकड़ों को देखें तो राज्य में अवैध या जहरीली शराब के सेवन से एक भी मौत नहीं हुई है.

जायसवाल का आरोप- एक साल में 200 की जान गई 

यूपी सरकार के अफसरों का कहना है कि 2017-18 में एग्साइज पाॅलिसी को मजबूत बनाने के साथ ही लचीला बनाने पर काम शुरू किया गया. उस समय यूपी को 17.329 करोड़ रुपये राजस्व हासिल हुए थे. वहीं बिहार में एक साल में ही गैर आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार 200 से अधिक लोग जहरीली शराब का शिकार हो गए. बीजेपी बिहार के पूर्व अध्यक्ष डा. संजय जायसवाल का कहना है कि दिसंबर 2022 में सारण जिले में 100 से अधिक लोगों की मौत जहरीली शराब से हुई थी, लेकिन सरकार की ओर से मौत का आंकड़ा छुपाया जाता रहा. डा. जायसवाल का कहना है कि जहरीली शराब से हुई मौतों पर नीतीश सरकार का रवैया क्या था, किसी से छिपा नहीं है. अब मोतिहारी में 31 लोगों की मौत हो गई है. फिर भी सरकार आज भी आंकड़ों की जादुगरी में लगी हुई है. 

डायरिया से मौत तो बच्चे और महिलाओं को क्यों नहीं कुछ हुआ 

बीजेपी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष ने कहा, नीतीश सरकार मोतिहारी में जहरीली शराब से हुई मौतों का कारण डायरिया बता रही है. उन्होंने कहा कि नीतीश सरकार को यह भी बताना चाहिए कि डायरिया केवल घर में कमाने वाले लोगों को ही क्या हुआ. बच्चों और महिलाओं को क्यों नहीं हुआ. इसका सीधा मतलब है कि सरकार अपनी खाल बचाने में लगी हुई है. 

6 साल में 1200 लोगों की जान गई- सुशील कुमार मोदी

उधर, बिहार बीजेपी के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी का कहना है कि 6 साल में बिहार में 1200 लोगों की जान जहरीली शराब से जा चुकी है, लेकिन बिहार सरकार के अनुसार केवल 23 मौत ही हुई है. सुशील कुमार मोदी के अनुसार, गोपालगंज में 19 लोगों की मौत हुई थी पर नीतीश सरकार ने भारत सरकार को जो रिपोर्ट भेजी थी, उसमें केवल 6 लोगों की मौत का जिक्र किया गया है. उन्होंने कहा कि बिहार में शराबबंदी बुरी तरह फेल हो गई है. उन्होंने यह भी कहा कि नीतीश सरकार ने 30 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा के राजस्व नुकसान के बाद भी 4 लाख लोगों को जेल भेज दिया. सुशील कुमार मोदी ने आरोप लगाया कि शराबबंदी कानून के सहारे पुलिस और प्रशासनिक अफसरों ने 10 हजार करोड़ से ज्यादा की कमाई की है. उनका यह भी कहना है कि अब जहरीली शराब के धंधे को रोकना बहुत कठिन है.

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