Navratri Bhawani Mandir: शक्तिपीठ भवानी मंदिर पहुंच रहा श्रद्धालुओं का जत्था, नवरात्र पर हुई है खास तैयारी
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Navratri Bhawani Mandir: शक्तिपीठ भवानी मंदिर पहुंच रहा श्रद्धालुओं का जत्था, नवरात्र पर हुई है खास तैयारी

Navratri Bhawani Mandir: राजधानी पटना से चलकर कई भक्त प्रतिदिन दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं. वहीं सप्तमी, अष्टमी, नवमी को विशेष तौर पर पूजा-अर्चना की जाती है. इसमें काफी ज्यादा संख्या में सुबह और शाम भक्तों की भीड़ रहती है जिसे लेकर के मंदिर प्रशासन पूरी तरह से तैयारी पूरी कर ली है

Navratri Bhawani Mandir: शक्तिपीठ भवानी मंदिर पहुंच रहा श्रद्धालुओं का जत्था, नवरात्र पर हुई है खास तैयारी

छपराः मछपरा नवरात्र को लेकर शक्तिपीठ आमी का भवानी मंदिर में दूरदराज से लोग मां के दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं. मंदिर के पुजारी नीलू बाबा ने बताया कि यह शक्तिपीठ जहां पर नवदुर्गा का रूप पिंड के रूप में विराजमान है. उसके दर्शन करने से ही नवदुर्गा का दर्शन हो जाता है. यहां भक्तों की सभी मुरादें पूर्ण होती है, नवरात्र के मौके पर पंचमी की तिथि है, आज की पूजा लोगों को स्वास्थ्य को लेकर के काफी ज्यादा फायदेमंद होता है. इसको लेकर शुक्रवार सुबह से ही भक्तों की भीड़ उमड़ी हुई थी.

नवरात्र में लगती है भीड़
राजधानी पटना से चलकर कई भक्त प्रतिदिन दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं. वहीं सप्तमी, अष्टमी, नवमी को विशेष तौर पर पूजा-अर्चना की जाती है. इसमें काफी ज्यादा संख्या में सुबह और शाम भक्तों की भीड़ रहती है जिसे लेकर के मंदिर प्रशासन पूरी तरह से तैयारी पूरी कर ली है. इसे किसी भक्तों को कोई परेशानी ना हो सभी को मौका मिले माता का दर्शन करने का इसके लिए व्यवस्था की गई है. वहीं भक्तों का कहना है कि यहां आने से बहुत शांति मिलती है और मन की इच्छाएं पूर्ण होती हैं. हम चाहेंगे कि सभी लोग दर्शन के लिए आए साक्षात मां यहां पर विराजमान हैं. इसलिए हमें नहीं दूर दराज से भी लोग मां के दर्शन करने यहां पहुंचते हैं. यही कारण है कि नवरात्र के समय में काफी ज्यादा भक्तों की भीड़ लगती है.

राजा सुरथ की रही है तपस्थली
मांर्कडेय पुराण में वर्णित राजा दक्ष की कर्मस्थली आमी में अवस्थित इस मंदिर का पौराणिक इतिहास रहा है.बताया जाता है कि यह स्थल प्रजापति राजा दक्ष का यज्ञ स्थल एवं राजा सुरथ की तपस्या स्थली रही है. कहते हैं प्रजापति राजा दक्ष द्वारा आयोजित यज्ञ में महादेव को आमंत्रित नहीं किया गया था. लिहाजा सती ने पिता द्वारा अपमानित किये जाने पर हवन कुंड में कूद कर आत्म हत्या कर ली थी. इससे आक्रोशित होकर भगवान शिव सती के शव को लेकर तांडव नृत्य करने लगें. उनके तांडव नृत्य को शांत कराने के लिए भगवान विष्णु ने अपने चक्र से सती के शव को टुकड़े-टुकड़े कर दिये. उनके शव के टुकड़े जहॅा-जहॅा गिरे वही शक्ति पीठ के रूप में जाना गया. आमी में जब से पिंडी स्थापित हुई हैं, तब से यहां दुर्गा प्रतिमा स्थापित नहीं होती है. 

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